देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते प्राण न्योछावर करने वाले शहीद भगत सिंह को ‘राष्ट्र पुत्र’ का दर्जा क्यों नहीं?
" लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा"
23 मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की शहादत को पूरा देश सलाम करता है।
दर्जा दिलाने को लड़ रहे लंबी लड़ाई
नालागढ़ पहुंचने वाले शहीद भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधू से जब इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि आज भी वे तीनों शहीदों को राष्ट्र पुत्र का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हर मंच पर इस मांग को दोहराते रहे हैं।
शहीदों की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता है और उन्हें वह सम्मान (दर्जा) नहीं मिला, जिसके वह असली हकदार थे।
युवा बोले, दर्जा मिलना चाहिए
युवाओं ने शहीद भगत सिंह को भारत पुत्र का दर्जा देने की पुरजोर मांग उठाई है। यान क्लब नालागढ़ के अध्यक्ष ऋषभ शर्मा, प्रिंस शर्मा, रोहित रोमी, युवा क्लब के अध्यक्ष सुमित बस्सी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि शर्मा नौनी, कानूनी सलाहकार राहुल चंदेल ने कहा कि युवाओं के प्रेरणा स्रोत शहीद भगत सिंह को भारत पुत्र का दर्जा दिया जाना चाहिए। आजादी की नींव रखने में उनका बलिदान विस्मरणीय है।