*साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधवः |*
*कालेन फलते तीर्थं सद्यः साधुसमागमः ||*
भावार्थ - सन्त महात्माओं के दर्शन मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती
है क्यों कि वे तीर्थों के समान पवित्र होते हैं | तीर्थवास करने का सुपरिणाम
तो कुछ समय के पश्चात ही प्राप्त होता है , परन्तु सन्तों की सत्सङ्गति
का सुपरिणाम तो तुरन्त ही प्राप्त हो जाता है |
हर हर महादेव