जब तुम आओगी, किताबों के सिवा कुछ न पाओगी,
मेरी तन्हाई में ख्वाबों का सैलाब बहता रहेगा।
कमरे की दीवारें स्याही से रंगी, धूल भरी परतें,
तुम्हारी हँसी के लिए बस खाली कागज बाकी रहेगा।
इन किताबों ने चुरा लीं मेरी रातें जागते हुए,
हर पन्ने में छुपा इश्क़ का राज़ बुनते हुए।
तुम आओ तो मिले खोया सा दिल, बिखरा सा जहां,
किताबों के ढेर में बस एक अधूरी दास्ताँ। ��
ज़ुल्म इनका देखो, जीने न देकर मरने को मजबूर,
ख्वाबों की दुनिया में खोया, हकीकत से बेखबर।
तुम्हारी राहों में बिछी ये किताबें बनेंगी सजावट,
पर दिल कहेगा - अब तो बस तुम्हारी बारी। �