मोदी जी भारत रत्न दे दो
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कल मेरे मित्र यमराज ने अजूबा काम किया
मोदी जी को एक पत्र भेज दिया
पत्र की मातृभारती मुझे भी उपलब्ध करा दिया,
जिसे पढ़कर पहले तो मैं मुस्कराया
पर ईमानदारी से कहूँ तो फिर गुस्सा भी खूब आया।
उसने जो लिखा आप भी सुनिए
हंसिए, नाराज होइए या मजाक उड़ाइए
मगर पहले उसके पत्र का मजमून तो सुन लीजिए।
यमराज ने लिखा - सबके प्यारे मोदी जी
यमराज का प्रणाम स्वीकार कीजिए
और मेरी छोटी सी माँग पर यथाशीघ्र विचार कीजिए।
आप सबको कुछ न कुछ दे ही रहे हैं,
कुछ को माँग पर तो कुछ को बिना माँगे ही दे रहे हैं,
पर मैं जो चाहता हूँ, वो ऐसे आप दोगे या नहीं,
फिर भी शर्मोहया छोड़कर माँगकर रहा हूँ,
ज्यादा कुछ नहीं,
बस! अपने लिए सिर्फ भारत रत्न चाह रहा हूँ।
मगर आप परेशान न हों,
मैं भी बदले में कुछ दे ही रहा हूँ
यमलोक रत्न के लिए आपके नाम का
खुल्लम खुल्ला प्रस्ताव दे रहा हूँ।
आप कुछ भी करो, बस मुझे भारत रत्न दे दो
असली नहीं तो नकली ही दे दो,
हाथ जोड़कर कर फरियाद कर रहा हूँ,
प्यारे मोदी जी बस इतना सा एहसान कर दो।
चाहें तो खुफिया तंत्र से
मेरे चाल-चरित्र की जाँच करवा लें
सीबीआई -ईडी से पूछताछ करवा लें,
मेरे गरीब खाने पर छापा डलवा लें,
बैंक खाते सीज करा दें,
धन- संपत्ति की रिपोर्ट मंगवा लें।
आप कहो तो अपने मित्र से प्रस्ताव भिजवा दूँगा,
मिलने का समय दो तो साक्षात दर्शन भी दे दूँगा।
आप लोगों या विपक्ष की चिंता बिल्कुल मत करो
मैं एक साथ सबको सँभाल लूँगा,
जो ज्यादा चटर-पटर करने की कोशिश करेगा
उन सबके मुँह पर अलीगढ़िया ताला लगवा दूँगा,
आप इस समय जिसके बारे में ज्यादा सोच रहे हैं
उसके पीछे अपने चेलों को छोड़ दूँगा,
उसका हुक्का-पानी तक बंद करवा दूँगा
वैसे मुझे पता है, आप जो सोच भर लेते हैं
उसे पूरा करके ही साँस लेते हैं,
तो क्या मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते हैं?
वैसे राज की बात बताऊँ
मैं आपके बहुत काम आ सकता हूँ,
आपकी जगह चुनाव प्रचार कर सकता हूँ
लोगों को गुमराह कर सकता हूँ,
आपके लिए भीड़ जुटा सकता हूँ
वोट दिलवा सकता हूँ, सरकार बनवा सकता हूँ
भारत रत्न के लिए आपकी कुर्सी लेकर
आपके साथ हमेशा चल सकता हूँ,
उस पर किसी और बैठने से
हमेशा के लिए रोक सकता हूँ,
मतलब साफ़ है कि भारत रत्न के लिए
मैं सब कुछ कर सकता हूँ।
अब आप मुझे बताइए तो सही
इतनी योग्यताओं के बाद भी
भारत रत्न भला क्यों नहीं पा सकता हूँ?
यूँ तो ट्रंप अमेरिका रत्न देना चाहते हैं,
नोबेल पुरस्कार वाले चैन से जीने नहीं दे रहे हैं,
मुल्ला मुनीर भी 'निशान-ए-पाकिस्तान' देना चाहता है,
पर सामने आने से डर भी रहा है।
ईमानदारी से कहूँ तो मैं सम्मान का भूखा भी नहीं हूँ
और सिर्फ भारत रत्न चाहता हूँ।
आपसे बड़ी उम्मीद से फरियाद कर रहा हूँ,
वरना मैं अच्छे-अच्छों को घास भी नहीं डाल रहा हूँ,
इज्जत का सवाल आड़े आ जाता है
इसलिए पत्र के द्वारा अपनी बात कह रहा हूँ।
अब इतना सोच विचार करना है
तो मैं अपनी फरियाद वापस ले रहा हूँ,
मगर यमलोक रत्न आपको ही दिया जाएगा
इसका सार्वजनिक ऐलान के साथ
अपनी भावनाओं पर भी अंकुश लगा रहा हूँ,
और आपको बहुत शुभकामनाएं दे रहा हूँ
चिंता मत करिए मुझे कोई दु:ख नहीं हो रहा है,
क्योंकि आपके हाथों में भारत का भविष्य
पूर्ण सुरक्षित दिखने के साथ-साथ
विकास की नई गाथा लिख रहा है,
नये भारत की नई कहानी दुनिया को सुना रहा है
और जाने क्यों ऐसा लग रहा है
जैसे रोज-रोज एक नया भारत रत्न मुझे मिल रहा है,
इसका मुझे गर्व भी हो रहा है,
यूँ तो अपने मित्र के सिवा किसी के आगे झुकता नहीं हूँ
पर आपको एक बार नहीं,
बार-बार शीष झुकाने का दिल कर रहा है,
अब मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ,
आपने इतना समय मेरा पत्र पढ़ने में बर्बाद किया,
इसके लिए आपका धन्यवाद करता हूँ।
सुधीर श्रीवास्तव