वन्दे मातरम्, तेरी गूँज अमर है,
हर धड़कन में तेरा ही स्वर है।
तूने सिखाया मिट्टी की महक को,
माँ! तेरी ममता का नहीं कोई उत्तर है।।
जब-जब दुश्मन ने नजरें उठाईं,
तेरे लालों ने जान लुटाईं।
तेरे नाम पर हँसते-हँसते चढ़े फाँसी,
हर पीढ़ी ने तेरी इज़्ज़त बढ़ाई।।
तेरे शब्दों से जोश मिला रणभूमि में,
हर सैनिक ने शपथ ली तेरी छवि में।
तेरे चरणों की धूल हमारा तिलक है,
तेरी जयगाथा लिखी हर शिविर की वीथि में।।
आज भी तेरी पुकार दिलों में है,
हर भारतवासी के क़रार में है।
तेरे गीत से उठता है एक नया सवेरा,
तेरा नाम ही हमारी पहचान में है।।
आओ फिर वही जोश जगाएँ,
तेरे नाम का दीप जलाएँ।
कभी न थमे “भारत माता की जय”,
वन्दे मातरम् के स्वर गगन तक गाएँ।।
— ©️ जतिन त्यागी