म्हारी धरती, म्हारा मान,
हरियाणा सै दिल का गान।
दूध-दही का सादा खाना,
पर जज्बा सै लोहा ठाना।
उननीस सौ छियासठ की बात,
बना हरियाणा — मिट्टी की सौगात।
पचपन सालां सै अब उन्नीस जोड़,
५९ साल का गौरव छोड़।
खेती, खेल, हिम्मत, शान,
हर घर में उठे अरमान।
ना डर, ना छल, बस सच्चाई,
हर दिल में हरियाणवी भाईचारा भाई।
ट्यूबल नीचे न्हाणा सवेरा,
गीत गावे गाँव का चेहरा।
छोटे गाँव, पर दिल बड़ा,
हर शब्द में हरियाणा खड़ा।
जवानां नै जोश, किसानां नै मान,
छोरियां भी अब ना रह गुमनाम।
ओलंपिक तगमे लावे शान,
“मिट्टी से मेडल तक” — ये सै पहचान।
बोली में मिठास, इरादे सख्त,
मेहनत में सै हरियाणवी तक्त।
जहाँ घमंड ना, बस गर्व की बात,
हर छोरा छोरा — देश की औकात।
मैं, जतिन त्यागी, कहूं दिल से यार,
हरियाणा सै प्यार अपार।
चलो मनावां, मिलके खास,
जय हरियाणा — सदा रहे आस!
लेखक: जतिन त्यागी