Hindi Quote in Poem by ADITYA RAJ RAI

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💔“दर्द”💔


कभी किसी शाम यूँ ही
हवा ने चेहरा छुआ था मेरा,
लगा था जैसे कोई याद
फिर से ज़िंदा हो गई हो भीतर गहरा।

खामोश कमरों में अब भी
तेरी हँसी की गूंज बची है कहीं,
पर इन दीवारों को अब
सिर्फ़ सिसकियों की आदत पड़ी है वहीं।

हर सुबह जब सूरज निकलता है,
तो उजाला भी बोझिल लगता है,
क्योंकि तेरे बिना हर रंग
अब फीका और अधूरा लगता है।

लोग कहते हैं “समय सब ठीक कर देता है,”
पर ये झूठ है —
समय बस दर्द को सिखा देता है
कि चुप रहना भी एक कला है।

कभी-कभी सोचता हूँ,
काश तू लौट आती किसी बहाने,
भले फिर से टूट जाता मैं,
पर वो पल, वो साँसें... फिर जी लेता बहाने।

अब तो दिल भी थक गया है,
हर रात आँसुओं से बात करता है,
और नींद? वो तो जैसे
किसी पराए शहर में बसती है अब।

दर्द, तू भी अजीब दोस्त है मेरा,
कभी चुपके से गले लग जाता है,
कभी आईने में चेहरा बनकर
मुझी को देख हँस जाता है।


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लेखक - @karthikaditya

Hindi Poem by ADITYA RAJ RAI : 112002541
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