Hindi Quote in Poem by Madhu Shalini Verma

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

कसक


अपने सफेद हुये बालों को रंगती, रंगवाती
कंसीलर से चेहरे के दाग-धब्बो को
बार-बार ढकती, पुतवाती
कभी काजल से तो कभी आई लाइनर से
और मस्करे से आड़ी-तिरछी रेखाएँ खींच,
आँखों की झुर्रियों को छुपाती
और खूबसूरत दिखने की चाह में,
लोगों के चेहरे पे आने वाली
व्यंग वाली मुस्कान की वजह बन जाती।

पतिदेव के सोशल मीडिया अकाउंट में,
फीमेल दोस्तों की बढ़ती तदातों को
देखती फिर अनदेखा करती
फिर भी मौका मिलते ही उन सब के
अबाउट अस कॉलम को बार-बार पढ़ती
स्करोल कर हर तस्वीर की जगह
खुद को रखती, तरह-तरह के पोज़ बनाती
सेल्फी लेती, खुद से ही तुलना कर डिलीट करती
मुस्कुराती और खुद को ही बेवकूफ बनाती।


देर रात जब कभी घुटनों और एड़ियों के
दर्द से छटपटा कर अक्सर जाग जाती,
और मोबाइल की रोशनी में प्रियवर को
चैट करते वक्त मुस्कुराते देखती
जल-भून जाती, कोयला बनती
फिर राख बन उड़ती और उड़ाती
सब कुछ देखती पर अनदेखा करती
और खुद से खुद को तस्सली दिलाती
अब तो पच्चीस से ज़्यादा साल गुजार चुके
का दिलासा दे, आँखों को मींचे सपनों में खो जाती।

कोशिश करने पे भी बढ़ते वजन को जब न रोक पाती
अब क्या मुझे शादी करनी है, कह बच्चों को चुप कराती
ओपन पल्लू में ज़्यादा अच्छी लगती हूँ न कहती
तो कभी निकले हुये पेट को दुपट्टे से छुपाती
ग्रुप फ़ोटो लेते हुये बीच में घुस प्यार की आड़ में
मोटापे को कैमरे की नज़रों से न जाने
कितनी बार ढंकती और चुराती
और, खुश होने की कोशिश करते हुये
थोड़ी और भी मायूस सी हो जाती।

कभी दूर से जोड़ो को हाथ थामे आते देखती, और
कुछ पल में ही खुद से दूर निकलता देखती रह जाती
और होड़ लगाने की नाकाम कोशिश मे
हाँफते हुय घुटनों की दर्द से असहाय
कमर पकड़ वहीं पे थक कर बैठ जाती
जिन्हें उंगली पकड़ कर चलना सिखाया
जिसके साथ जीवन बिताया, उनके तानों से
छटपटाती, घबराती, खुद से बतियाती,
पसीने और आँखों की नमकीन पानी में
बहती जाती और सिर्फ बस बहती ही जाती।

***************************

कॉपीराइट@मधु शलिनी वर्मा

Hindi Poem by Madhu Shalini Verma : 112001800
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now