माफ़ किया मैंने, अब हिसाब बराबर समझो,
जो था दिल में बोझ, वो आज से ख़त्म समझो।
गलती मेरी थी कि बार-बार भरोसा करती रही,
हर बार टूटी, फिर भी चुपचाप सहती रही।
पर अब और नहीं… हदें भी कोई चीज़ होती हैं,
अब आँखों में आँसू नहीं, सिर्फ़ तय सीमाएँ होती हैं।
मैंने जो किया, वो सही था, क्योंकि खुद को पाना था,
अब पहले जैसा देखना चाहती हूँ, बस आईना ही अपना था।
अब मैं अपनी हूँ, और तुम अपने—
इससे आगे कुछ नहीं, यही आख़िरी शब्द हैं मेरे।
kajal Thakur 😊