देखा एक ख्वाब
मैनें भी आज बहुत बड़ा ।
जिनमें हाथ में थी किताबें और
कंधें पर स्कूल का बस्ता लदा हुआ ,
क्योंकि पढ़ने का है मुझको शौक बड़ा।
पर आंख खुली तो फिर पाया खुद को
करछी, बेलन लिए चौके में खड़ा हुआ।
मेरा भईया जाए स्कूल और
मैं आंखों से लालच टपका रही खड़ी।
बाबा जा रहे छोड़ने भईया को
और मैं वहीं पर झाडू पोंछा लगा रही।