“सच्चा दोस्त…”
वक़्त बदलते देखा है, रिश्ते बदलते देखे हैं,
पर एक दोस्त का साथ… हमेशा वही रहा है।
ना खून का रिश्ता, ना कोई वादा,
फिर भी सबसे पहले वही आया जब ज़रूरत पड़ी।
जब दुनिया ने पीठ मोड़ी,
तब उसी ने कंधा दिया—बिना पूछे, बिना बोले।
कभी बेवजह की लड़ाइयाँ,
कभी घंटों की बिना मतलब की बातें,
कभी बिना बोले ही समझ जाना,
और कभी बस आँखों से हँस पड़ना…
यही तो दोस्ती है।
वो जो गलती पर डांटे भी,
और फिर छुपकर तुम्हारे लिए सब संभाल भी ले।
वो जो अपने घर से चोरी-छिपे लाए तुम्हारे लिए समोसे,
और फिर खुद भूखा रहे पर तुम्हें खिलाए हँसते हुए।
वो दोस्त ही तो है —
जो तेरी आवाज़ सुनकर कह दे, “क्या हुआ बे?”
और फिर तेरी पूरी उलझन सुनने के बाद बोले,
“चल छोड़… एक चाय मारते हैं।”
कभी साथ बाइक पर निकले थे,
कभी गलियों में बिना वजह घूमे,
कभी छत पर घंटों बैठे थे,
और कभी WhatsApp पर बस “Seen” में भी दिल छुपा था।
एक सच्चा दोस्त —
तेरी कहानियों का गवाह होता है,
तेरे दुखों का कंधा,
तेरी हँसी का राज़,
और तेरे पागलपन का हिस्सा।
ज़िंदगी कितनी भी बदल जाए,
मंज़िलें कितनी भी दूर हों,
अगर दोस्त साथ हो…
तो हर रास्ता आसान लगता है।
क्योंकि दोस्त… सिर्फ़ साथ नहीं देता,
वो ज़िंदगी को जीने का तरीका दे देता है।
“वक़्त बदला, हम नहीं…”
कभी जो हर दिन साथ था,
आज महीने बीत जाते हैं बात किए बिना।
कभी एक कॉल पर हाज़िर होने वाला यार,
अब बिज़ी है, लाइफ में थोड़ा फंसा हुआ है।
पर क्या उससे दोस्ती कम हो गई है?
नहीं… वो तो वैसी ही है, बस हालात बदल गए हैं।
अब ना वो चाय की दुकान है,
ना वो कॉलेज की घंटियाँ,
अब ना हम हर बात पर हँस पड़ते हैं,
ना ही हर ग़लतफ़हमी पर झगड़ बैठते हैं।
अब बात कम होती है,
पर जब होती है — दिल से होती है।
वो जो “अबे कहाँ मर गया था?” से शुरू होती है,
और “जल्दी मिलते हैं यार” पर खत्म।
हम दोनों जानते हैं —
वक़्त भले ही फिसल गया हो हाथों से,
पर दोस्ती अभी भी सीने में धड़कती है।
वो पुरानी तस्वीरें आज भी मुस्कुरा देती हैं,
वो फालतू nickname आज भी दिल को गुदगुदा देते हैं।
और जब भी कोई पूछता है — “तेरा सबसे क़रीबी दोस्त कौन है?”
तो बिना एक पल गंवाए, तेरा नाम जुबां पर आ जाता है।
आख़िरी एहसास:
हम शायद उतने पास नहीं जितने पहले थे,
पर भरोसा उतना ही है जितना पहले था।
क्योंकि सच्ची दोस्ती वक़्त से नहीं मापी जाती,
वो तो बस दिल से निभाई जाती है।
“वक़्त चाहे जितना बदल जाए, दूरी चाहे जितनी भी हो,
सच्चा दोस्त वही है—जो दिल में रहता है, सामने हो या नहीं हो।”
“रिश्ते तो कई मिल जाते हैं इस सफ़र में,
पर दोस्त वही है जो बिना मतलब के साथ निभा जाए।”
“जो बिना कहे समझ जाए दिल की बात,
बस वही दोस्त कहलाता है, सबसे ख़ास।”