निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कोई मंजिल मिल जाए।
या इस अधेरी रातमे, उजाले का दीपक जल जाए।
के निकल पड़े है नये रास्ते पर....
निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कोई शिखर चढ़ जाए।
या फिर अपने हाथो से, अलादिंका चिराग चल जाए।
के निकल पड़े है नये रास्ते पर....
निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कुछ अच्छा कर जाए।
या फिर अंधेरी रात में, कोई टूटता तारा दिख जाए।
के निकल पड़े है नये रास्ते पर....
निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कोई फूल खिल जाए।
या फिर इस जीवनमे, कोई जादुई कलम मिल जाए।
के निकल पड़े है नये रास्ते पर....
निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कोई सफलता मिल जाए।
या फिर ईस जीवन पर, प्रभुकी लीला पड़ जाए।
के निकल पड़े है नये रास्ते पर, सायद कोई मंजिल मिल जाए।
या इस अधेरी रातमे, उजाले का दीपक जल जाए।
- धरम महेश्वरी