खुशियों की बौछार आई, न पूछो इसका कारण,
जब देखो मन में खिलते, रंग-बिरंगे नज़र आईं,
कहाँ से आई ये लहरें, सपनों का राज़ खोले,
सच बताऊं, तो बातें सुनकर, आप भी मुस्कुराएँगे।
सुबह की पहली किरण से, जीवन में आया नया रंग,
सत्यनारायण की कथा हुई, गूँजती है मधुर तरंग।
हर दिल में उमंग है, चुराया सबने उल्लास,
खुशियों का ये मौसम है, चलो मनाएँ हम साथ।
दुख का साया छूटा, हर मन में बसी बहार,
बच्चों की हंसी से भरा, ये प्यारा सा संसार।
खुशियों का कारण क्या है, क्यों जानना है तुमको,
बस ये याद रखो, खुश रहो, यही खुशी है सबको।
खुशियों की बौछार आई, छू लो इसे हर बार,
आज के दिन को जी लो, सहेज लो खुशियों का प्यार।
खुशियों की मुस्कान में, जीवन को हम सजाएँ
नये घर में जाने की खुशियां ही खुशियां आईं।
- Kaushik Dave