पहाड़ों की सर्दी और मेरी सांसों में बसी तेरी सांस
वो ठंडी हवाएं और तेरी बाहों का गरम एहसास......
तेरी आगोश में सिमटी हुई मेरी रात
सिले थे लब और आंखो से हो रही थी बात......
चारों ओर अंधेरा और जहन में लगी आग
तेज होती धड़कने और साथ संगीत भरा राग......
पल पल बढ़ता हमारी चाहत का एहसास
बितता हर लम्हा ले आया और हमें पास.......
- Pragati