शुभ प्रभात मंगलवार ब्रह्मदत्त
त्यागी हापुड़
पावन पवित्र श्री हनुमान चालीसा
पाठ स्तुति-ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं
बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं
प्रपद्ये।।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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परम पावन हनुमान चालीसा पाठ ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक
उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ||1||
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा ||2||
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजे ॥
संकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||3||
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभुचरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीतामन बसिया ||
4||
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकटरूप धरि लंकजरावा ॥
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे ||5||
लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपतिकीन्ही बहुत बड़ाई। तुममम प्रियभरतहि सम भाई |6||
सहसबदन तुम्हरो जस गावें। अस कहि श्रीपति कंठ लगावें।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||7||
जमकुबेर दिगपाल जहांते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राममिलाय राजपद दीन्हा॥8॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥
जुगसहस्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
9||
प्रभुमुद्रिका मेलिमुख माहीं। जलधि लांधि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते II10।।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सबसुख लहै तुम्हारीसरना। तुम रक्षक काहूको डरना II11 II
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तें कांपे ॥
भूतपिसाच निकटनहिं आवै। महाबीरजब नामसुनावै ॥12॥
नासे रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकटतें हनुमानछुड़ावै । मनक्रम बचनध्यान जो लावै ||13||
सब पर राम तपस्वी राजा, तिन के काज सकल तुम साजा ॥
औरमनोरथ जो कोईलावै। सोइ अमितजीवन फलपावै ॥ ॥14॥
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु-संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥15॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥16॥
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम-जनम के दुख बिसरावे॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाईजहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥17॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत से सर्व सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥8॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥
जो सत बाट पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥19॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजें नाथ हृदय मंह डेरा ||20||
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
इति श्री हनुमान चालीसा पावन पाठ, जय श्री राम जय
बजरंगबली हनुमान - ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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-BrhamduttaTyagi Tyagi