उसकी गुलाबी साडी में सुनहरी जरी लगती है।
गुलाबी साडी में वो परी सी लगती है॥
स्वर्ग से आई अप्सरा है वो।
प्रकृति ने सजाया वसुंधरा लगती है॥
ऊंचे आसमान से उतरी दामिनी है वो।
गहरे राग से उभरी रागिनी है वो॥
तेज है थोडी मिर्ची सी लगती है।
चंचल है थोडी तितली सी लगती है॥
दो धारी तलवार है वो।
चावुक सी पडती मार है वो॥
दूर होकर भी पास लगती है।
मुरझाये दिल मे प्यार का एहसास लगती है॥
हर कर्म सफल हो जाये रोहिणी है वो।
जिसे देखते ही प्रेम हो जाये मनमोहिनी है वो॥
सावन में ठंडी फुहार सी लगती है।
जब भी देखूं उपहार सी लगती है॥
उसकी गुलाबी साडी में सुनहरी जरी लगती है।
गुलाबी साडी में वो परी सी लगती है॥
#U .V.RUDRA