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आजा गोरी आज मैं तुझको अपने रंग लगाऊं। करुं तेरा दीदार और मैं तुझमें ही रंग जाऊं॥ रंग रंगू केसरिया तुझको हरा लाल और पीला। वर्षा के रंग अपने प्रेम का कर दूं तन मन गीला॥ ऐसा रंग लगाऊं तुझको मेरा ही रंग भाये। सिवा हमारे तुमको गोरी और कोई न भाये॥ होली के बहाने गोरी तुझसे मिलने आऊं। गोरे गालों पे तेरे मैं प्रीत का रंग लगाऊं॥ रंग प्रीत का लगाके गोरी अपने गले लगाऊं। चुरा के सारी दुनिया से बाहों में तुझे छुपाऊं॥ नज़र तुझे न लगे किसी की ऐसा रंग लगाऊं। प्रीत का रंग लगा के तुझको तुझमें ही रंग जाऊं॥ #U .V.RUDRA
यह इंतजार की बेला है, मन बिल्कुल आज अकेला है। जाने कब प्यास बुझे मन की, अब दिल ने भी ये बोला है।। पावन मिलन की आस लिए, है इंतजार इन आंखों में। जाने कब नयन मिले उनसे, जादू है उनकी आंखों में।। बीते हैं दिवस कई रैन गईं, न बोल सुने उनके हमने। धुंधलाती सी आवाजें हैं, मिश्री है उनकी बातों में।। वो भूल गए हैं जब हमको, क्यों आती हैं उनकी यादें। ये मन तड़पे दिल भी तड़पे, तड़पाती हैं उनकी यादें।। आंसू हैं बरसते आंखों से, कानों में भी सूनापन है। कब छवि दिखे इन आंखों को, और शब्द पड़े इन कानों में।। #U .V.RUDRA
अनजान पथ के हे पथिक, पथ से तू अनजान हैl अनजान पथ पे है चला, न पथ का तुझको ज्ञान हैll पथ से है अनजान तू, चल हाथ मेरा थाम लेl अनजान हैं राहें तेरी, तू पहले इनको जान लेll कितने हैं पथ भटके यहां, कितनो ने ठोकर खाई हैंl मृत्यु यहां आसान पथ, जीवन ये लंबी खाई हैll एक आस का दीपक लिए, द्वारे पे अपने वो खड़ीl पथ तेरा आसान हो, है जिद पे अपने वो अड़ीll पथ तेरा रोशन करे, ले दीप अपने हाथों मेंl हर वक्त तेरा जिक्र है, हर वार उसकी बातों मेंll अनजान पथ पे है चला, क्या लौट तू कभी पायेगाl क्या आस का जलता दीया, तुफानों में जल पायेगाll न आस उसकी टूटेगी, चाहे मृत्यु का वो ग्रास होl जिस दिन न पथ रोशन मिले, उस दिन तुझे अहसास होll #U .V.Rudra
रोको तो कयामत रुक जाए। इस दिल का रुकना मुश्किल है।। तुझे बिन देखे दिन न निकले। तेरी याद न आए ये मुश्किल है।। होती है सुबह तेरे नाम से ही। तुझे सोचके दिन ये निकलता है॥ तुझसे ही लवों की हंसी है मेरी। तेरे विन आंखों में नमी भी मुश्किल है॥ #U .V.RUDRA
उसकी गुलाबी साडी में सुनहरी जरी लगती है। गुलाबी साडी में वो परी सी लगती है॥ स्वर्ग से आई अप्सरा है वो। प्रकृति ने सजाया वसुंधरा लगती है॥ ऊंचे आसमान से उतरी दामिनी है वो। गहरे राग से उभरी रागिनी है वो॥ तेज है थोडी मिर्ची सी लगती है। चंचल है थोडी तितली सी लगती है॥ दो धारी तलवार है वो। चावुक सी पडती मार है वो॥ दूर होकर भी पास लगती है। मुरझाये दिल मे प्यार का एहसास लगती है॥ हर कर्म सफल हो जाये रोहिणी है वो। जिसे देखते ही प्रेम हो जाये मनमोहिनी है वो॥ सावन में ठंडी फुहार सी लगती है। जब भी देखूं उपहार सी लगती है॥ उसकी गुलाबी साडी में सुनहरी जरी लगती है। गुलाबी साडी में वो परी सी लगती है॥ #U .V.RUDRA
कभी फुर्सत मिले तो घुमाना, रहती सांसों तक न बदलूंगा, मेरा नंबर याद तो होगा तुझे। सच कहने पर सारी गलतियां माफ़ होंगी तेरी, मेरा वादा याद तो होगा तुझे।। #U .V.RUDRA
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... सारे जहाँ के दुख: हर लेता, नफरत दिलों से लेता छीन गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... प्यार दिलों में कम न होता, न होता, कोई अपनों दूर गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... अमन चैन की दुनिया होती, दुश्मन होते दोस्त यहाँ। नफरत की कोई जगह न होती, चाहे दिन हो, चाहे रैन॥ गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... न दौलत का लालच होता, न सत्ता की चाहत। सभी खुशी से रहते हरदम, जैसे हों एक मां के बालक॥ गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... तेरा - मेरा लोभ न होता, बेटा - बेटी भेद ना होता। न होता कोई हिंदु मुस्लिम, रहते यहाँ सिर्फ इंसान॥ गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... भाई - भाई से वैर न रखता, न, पिता पुत्र से नफरत करता। हर, भाई बहन की इज्जत करता, न होते रिस्ते बदनाम॥ गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... खुशियों की कोई कमीं न होती, दूध दही की नदियां बहती। ऊंच नीच का भाव न होता, न कोई बालक भूंखा सोता, सब, जैसे एक मां की संतान॥ गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते....... #U .V.RUDRA
नहीं चाहिए तेरी, तरस खाके दी हुई वो रोटियां। जिनको देने से पहले, तूने भूंखे मरने का शाप दिया हो।। #U .V.Rudra
न भरोसा कर जिंदगी का, इससे तो मौत अच्छी है। इज्ज़त ही करनी है, तो इसकी कर शायद कुछ पल, कुछ सांसें और बख़्श दे जिंदगी जीने के लिये।। #U .V.RUDRA
रात है अंधेरा है - रात है अंधेरा है । क्यों उजाले की उम्मीद करते हो।। अहसास है- अहसास है जमाना धोखा देगा। क्यों हमसफ़र की उम्मीद करते हो ।। #U .V.RUDRA
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