आओ हम सब कुछ इस तरह से दीप पर्व मनायें
मन से ईर्ष्या द्वेष बैर भाव का कचरा हटाएं
जीवन की दीवारों पर प्यार का रंग लगाएं


रिश्तों में स्नेह का घृत डालकर, आत्मीयता की लौ जगाएं
तन मन को सोने चाँदी जैसा बना, हर जन समृद्धि को पाएं।


अवगुणों का तिमिर मिटाकर, शुभ भावों का दीप जलाएं
सदगुणों का लेप लगाकर, अपने मन को महकाएं।


सहयोग के फूलों की सुन्दर सी रंगोली सजाएं
सुसंस्कारों की रंग बिरंगी आतिशबाजी जलाएं
मधुर बोल और सम्मान का सबको उपहार दिलाएं
क्षमा का करके लेन देन, पुराना बही खाता हटाएं


शुभकामनाओं का भोग लगाकर, सच्चा नूतन वर्ष मनाएं
नयी सोच और व्यवहार से, जीवन में खुशियां लाएं


दिलखुश मिठाई बाँटकर भाईचारे का तिलक लगाएं
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर, एक सूत्र में सब बंध जाएं।


वर्ष में केवल पाँच दिन का अब इंतजार मिटाएं
आओ कुछ इस तरह हर दिन अब दीप पर्व मनाएं।

Hindi Poem by Mugdha : 111609708
Ratna Raidani 3 year ago

Bahut shaandar abhivyakti.

Raj 3 year ago

Nice Mugdha ji

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