जो ना बन सके में वो बात हूं,
जो ना ख़त्म हो में वो रात हूं,
ना किसिके दिल की हूं आरज़ू,
ना किसीकी नज़र की हूं जुस्तजू, क़िस्मत मेरी यही है,
यूं ही शम्मा बनकर जला करूं...

-Dinkal

Hindi Shayri by Dinkal : 111587149
Asmita Ranpura 4 year ago

क्या बात ... वाह!! आपने तो वो गीत याद दिला दिया.....है इसी में प्यार कि आबरू...

Dinkal 4 year ago

शुक्रिया आपका

shekhar kharadi Idriya 4 year ago

क्या बात है बोहोत खूब..

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now