#घोंसला

जिस दिन मेरा घोंसला टूटा,
उस दिन मेरा हौंसला टूटा।
बहुत मेहनत से बनाया था मैंने,
एक पल में ही तोड़ दिया।
अपने कुछ पल के मनोरंजन के लिए,
मेरा बसा बसाया घर तोड़ दिया।
क्यों मनुष्य को यह एहसास नहीं होता है,
अपने हाथों से सजाया हुआ घर कितना खास होता है।
हां! जिस दिन मेरा घोंसला टूटा,
उस दिन मेरा हौंसला टूटा।

Hindi Poem by Rinki Choudhary : 111453301
Rinki Choudhary 4 year ago

धन्यवाद ।

shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत सराहनीय....

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