तुम क्यों नहीं छोड़ देती ये दरिया होने का नाटक
मैं क्यों नहीं कुबूल कर लेता अपना तिनका होना

और हम गुम क्यों नहीं हो जाते
मामूली चीज़ों की तरह.

Hindi Blog by Divyarajsinh Vaghela : 111309532

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