अश्कों में है यादें तेरी
भीगी भीगी रातें मेरी
गुम है कहीं राहें मेरी !

रेडियो पर गीत सुनते हुए राधिका रसोई के काम जल्दी जल्दी निपटाने में लगी है ।

"राधिका यार मेरा टावेल दे जाओ, जल्द बाजी में बाहर ही रह गया ।" आलोक बाथरूम से चिल्लाया ।

"राधिका अभी तक चाय नहीं बनी क्या? मुझे मंदिर जाने में देर हो रही है!" सासु माँ ने अपने कमरे से झांकते हुए पूछा ।

"मम्मा..... आज तो व्हाइट शूज पहनकर जाना है नही तो पी टी सर डांटेंगे ।" कहते कहते सुलभ जोर जोर से रोने लगा ।

एक हाथ में टावेल, दूसरे हाथ में चाय का कप थामे राधिका फुर्ती से रसोई से निकली ही थी कि अचानक...... उसका पैर फिसला उसके मुंह से चीख़ निकली जिसे सुनकर सासु माँ व सुलभ उसकी ओर लपके । गनीमत तो ये रही कि चाय का कप साइड पर गिरा । सौरभ भी चीख़ सुन गीले कपङे लपेटे ही बाहर निकल आया ।

जैसे तैसे कपङे बदले और राधिका को खङा करने की कोशिश की पर पैर मुङने के कारण वह खङी न हो पाई । आलोक बिना समय गंवाये उसे अपनी बांहों में उठा कर बाहर भागा ।

"सुलभ तू कार का दरवाजा खोल जल्दी से! मां आप घर ही रहो, मै अस्पताल पहुंच कर आप को फोन करता हूँ ।"

राधिका दर्द से तङप रही थी, आलोक की आंखें भर आई पर आंसुओं को जब्त करते हुए वह बार बार राधिका को दिलासा देता रहा ।

क्रमशः

Hindi Story by Anju Kharbanda : 111054451
Anju Kharbanda 5 year ago

भाग एक है अभी तो । आगे जानने के लिए इंतजार कीजिए

Aasim Raza 5 year ago

hai kya is khani me mujhy to kuch bhi samjh nhi aya

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