hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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एक थी नचनिया--भाग(२) By Saroj Verma

उस आदमी के मरते ही उस जगह बिल्कुल सन्नाटा छा गया,तब डाकुओं की सरदार श्यामा बोली.... हमने कही थी ना कि कोई हल्ला ना मचाएं,अब सबने देख लओ ना कि का हाल भओ इ आदमी को,सो भलाई येई में है...

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२७) By Saroj Verma

सरगम को सफर में एक परिवार मिल गया था,जिनसे बातें करते करते और उनके बच्चों के साथ खेलते खिलाते सरगम का सफर अच्छे से कट गया था और फिर ट्रेन लगभग सुबह के चार बजे बनारस पहुँच गई,वो परि...

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जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

गुर्गे कुछ समझ पाते उससे पहले ही नीलू का हाथ पकड़ कर शक्ति सिंह ने उससे कहा, "चलो बेटा घर चलते हैं।" "नहीं पापा, मैं अब घर कभी नहीं आऊंगी।" "क्या बोल रही हो नीलू? क्या हुआ बेटा तुम...

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मां की परछाई, पिता का गुरूर बेटियां... By Purnima Kaushik

अपनी मां की परछाई तथा उन्हीं का दूसरा रुप होती हैं बेटियां, अपने पिता की सबसे अधिक लाडली और उनका गुरूर होती है बेटियां | मां के संस्कारों को, उनकी बातों और आदर्शों को अपने मन में स...

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अरे बहु लाये थे या नौकरानी By Sumit Singh

मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं अपनीशादी के 3 साल बाद हिन्दुस्तान वापस आया था, घर का हर शक्स एयरपोर्ट पर मौजूद था, जिसमें मेरी 2 साल की बेटी आलिया भी थी। मेरी आंखें दीपा को ढूंढ रह...

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क्या तुमने - भाग - ९  By Ratna Pandey

सखाराम ने बसंती के माता-पिता से माफ़ी मांगते हुए कहा, “समधी जी मुझे ऐसा लगता है कि अब मोहन कभी नहीं सुधरेगा। हमें अब उसकी पुलिस में शिकायत कर देनी चाहिए। उनके डर से शायद वह …” “पता...

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अटूट प्यार.. By Saroj Verma

गाँव के एक पक्के मकान के पीछे के दरवाजे से एक मर्द और औरत चोरों की तरह आगे पीछे देखते हुये मकान से बाहर निकले, सामने सूरज ढल रहा था और उसकी किरणें सीधी उनके मुँह पर पड़ रही थीं,मर्द...

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दलदल से बाहर By Bhavana Shukla

दलदल से बाहर...   (डॉ.भावना शुक्ल ) ===============  आज मन बहुत प्रफुल्लित हो रहा था गर्मी की छुट्टी बिताने के बाद अपने घर जा रहे थे अब  प्रतीक्षा समाप्त हो रही थी जल्दी ही परिवार...

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नियति By Bhavana Shukla

नियति  ..(कहानी) कहानीकार ....डॉ.भावना शुक्ल ========================================== चारों ओर की आवाजें बच्चों का शोर ,मंदिर जी शंख ध्वनि का स्वर नियति को बैचैने कर रहा था .तभी...

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अलौकिक दुनिया.. By Saroj Verma

"सुना है कल गाँव में लोगों को एक डायन दिखी",अहमद अली बोले... "आप इन सब बातों पर भरोसा करते हैं",रहमान मियाँ ने पूछा... "मैं तो ऐसी बेतुकी बातों पर बिल्कुल भरोसा नहीं करता,ना कभी आँ...

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एक थी नचनिया--भाग(२) By Saroj Verma

उस आदमी के मरते ही उस जगह बिल्कुल सन्नाटा छा गया,तब डाकुओं की सरदार श्यामा बोली.... हमने कही थी ना कि कोई हल्ला ना मचाएं,अब सबने देख लओ ना कि का हाल भओ इ आदमी को,सो भलाई येई में है...

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२७) By Saroj Verma

सरगम को सफर में एक परिवार मिल गया था,जिनसे बातें करते करते और उनके बच्चों के साथ खेलते खिलाते सरगम का सफर अच्छे से कट गया था और फिर ट्रेन लगभग सुबह के चार बजे बनारस पहुँच गई,वो परि...

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जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

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मां की परछाई, पिता का गुरूर बेटियां... By Purnima Kaushik

अपनी मां की परछाई तथा उन्हीं का दूसरा रुप होती हैं बेटियां, अपने पिता की सबसे अधिक लाडली और उनका गुरूर होती है बेटियां | मां के संस्कारों को, उनकी बातों और आदर्शों को अपने मन में स...

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अरे बहु लाये थे या नौकरानी By Sumit Singh

मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं अपनीशादी के 3 साल बाद हिन्दुस्तान वापस आया था, घर का हर शक्स एयरपोर्ट पर मौजूद था, जिसमें मेरी 2 साल की बेटी आलिया भी थी। मेरी आंखें दीपा को ढूंढ रह...

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अटूट प्यार.. By Saroj Verma

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