hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • सीता

    ''आपने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर का मार्ग क्यूँ चुना ? क्या यह उचित न ह...

  • नम्बर वन

    शाम गहराने लगी है । स्टेशन के बाहर अहाते में खड़े नीम के पेड़ शांत हैं । हवा जैसे...

  • बर्फ में दबी आग

    बारिश थम चुकी थी.. बालकनी में झूले की गति के समान दोलायमान विचारों को विर...

सीता By Shikha Kaushik

''आपने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर का मार्ग क्यूँ चुना ? क्या यह उचित न होता कि आप स्वयं सीता के लिए सर्वश्रेष्ठ वर का चयन करते ?मैं इस तथ्य से भी भली-भांति परिचित हूँ कि सी...

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मर्दानी आँख By Pritpal Kaur

हलके गुलाबी रंग के कुरते में गहरे रंग की प्रिन्ट दार पाइपिंग से सजी किनारी वाली कुर्ती उसकी गोरी रंगत पर फब रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत की गुन्जायिश तो कम थी लेकिन चालाकी का दंश...

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तारा की बलि By Dinesh Tripathi

कहानी- "तारा की बलि" यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है, हलाकि पात्र, स्थान व समय काल्पनिक है परन्तु कथावस्तु सही है|यह कहानी ऐसे समाज का आइना दिखा रही है जिसमें औरत को पू...

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जीत By Upasna Siag

(जमाना कोई भी हो, जब - जब किसी स्त्री ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाई है। उसे न्याय अवश्य ही मिला है। ये घटना अंग्रजों के ज़माने की है।)
सावित्री रात के अमावस के से अ...

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पुनर्जन्म By Dinesh Tripathi

कहानी- "पुनर्जन्म" देव एक चबूतरे के बीचों बीच चारपाई में लेटे थे,एक तो गर्मी का महीना, और सुबह लगभग दस बजे का समय,धूप तेज होती जा रही थी।चबूतरे के छोर में...

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एक औरत By Pritpal Kaur

कमरे में बंद दरवाज़ों के भीतरी पल्लों पर जड़े शीशों से छन कर आती रोशनी बाहर धकलते बादामी रंग के परदे, नीम अँधेरे में सुगबुगाती सी लगती आराम कुर्सी, कोने में राखी ड्रेसिंग टेबल, बाथरू...

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बीबी पचासा By Ajay Amitabh Suman

इस किताब में मैं पत्नी पे इस हास्य कविता को प्रस्तुत कर रहा हूँ गृहस्वामिनी के चरण पकड़ , कवि मनु डरहूँ पुकारी , धड़क ह्रदय प्रणाम करहूँ ,स्वीकारो ये हमारी । बुद्धिहीन मनु कर डाली...

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खोया हुआ प्यार By r k lal

खोया हुआ प्यारआर 0 के 0 लालआज सुहानी के पति विराट पांच बजे ही अपनी कंपनी काम पर चले गए। सात बजे उनका बेटा भी स्कूल चला गया। तभी दरवाजे कि घंटी बजने लगी। सुहानी ने दरवाजा खोला तो दे...

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बेवजह... भाग-७ By Harshad Molishree

इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से कोई संबंध नही है, यह...

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नम्बर वन By Rajesh Bhatnagar

शाम गहराने लगी है । स्टेशन के बाहर अहाते में खड़े नीम के पेड़ शांत हैं । हवा जैसे मेरे दिमाग की भांति सुन्न होकर कहीं जा दुबकी है । नीम के पत्ते भी खामोश हैं । ऊपर आसमान की तरफ देखता...

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हाउस वाइफ नहीं बनूंगी By r k lal

“हाउस वाइफ नहीं बनूंगी” आर 0 के 0 लाल पूनम सुबह उठी तो उसके बुखार चढ़ा हुआ था। पूरा बदन तप रहा था, सर भी फटा जा रहा था। उसने थर्मामीटर लगाया तो पता चला कि उसे 103 डिग...

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जनवरी की वो रात By Saroj Prajapati

जनवरी माह की हो सर्द रात! म्यूनिसिपल हास्पिटल का जच्चा-बच्चा वार्ड भी मानो ठंड की चादर ओढ़े शांत पड़ा था । यह एक छोटा सा अस्पताल था , जहां केवल एक वार्ड था। जिसमें 10 बेड थे। उसके...

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रिसता हुआ अतीत By Rajesh Bhatnagar

लाजो बेजान कदमों से चलती हुई अपना थका बोझिल शरीर लिए धम्म से कुर्सी पर बैठ गई । उसके ज़हन मं छटपटाती एक ज़ख्मी औरत चीख-चीखकर जैसे उसे धिक्कार रही थी, “क्यों बचाया तूने दीपक को ? आखिर...

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बर्फ में दबी आग By Dr. Vandana Gupta

बारिश थम चुकी थी.. बालकनी में झूले की गति के समान दोलायमान विचारों को विराम देने की कोशिश में कृति की नजर गमले में लगे पौधे की एक पत्ती की नोंक पर लटकी उस आखिरी बून्द पर टिक...

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मेरे उसूल, मेरी पहचान By Saroj Prajapati

रोशनी सरकारी विभाग में यूडीसी पद पर कार्यरत थी। सरल ,मृदुभाषी ,हंसमुख रोशनी के दो उसूल पक्के थे समय की पाबंदी और कार्य के प्रति ईमानदारी। चाहे मौसम की मार हो या बीमारी का वार, उसने...

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मज़बूरी By Nirpendra Kumar Sharma

"मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बा...

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शुभसंकल्प By Amita Joshi

"दीदी मैं दो दिन के लिए आपके पास रहने के लिए आना चाहती हूं",मीतू ने मुझसे फोन पर कहा ।उन दिनों मैं महाविद्यालय के कार्यों में कुछ अधिक व्यस्त थी और घर पर सुबह शाम कुछ समय अपने पति...

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अब और नहीं By Priya Vachhani

नेहा जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। साड़ी ठीक करते हुए माथे पर मैचिंग बिंदी लगाई, खुद को आईने में दाएं-बाएं देखकर पर्स उठा बाहर किचन की तरफ आ गई "कितनी देर हो गई आज" टेबल से नाश्ते की...

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मैं सच नहीं बोलूँगी.! By Pranav Vishvas

तेज़ बिजली की कड़कड़ाहट से मेरी नींद टूट गई, खैर बड़ी मुश्किल से आई थी मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गई, साथ वाले तकिए को देखा जों सूना पड़ा था, ऐसा लगा जैसे कितना कुछ कहना चाहता है मगर मैं सु...

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आत्मसम्मान By Saroj Prajapati

मम्मी जीजा जी का फोन आया है।" " तू बात कर मैं अभी आई । " नहीं मम्मी कह रहें हैं जरूरी बात करनी है आपसे जल्दी आओ।" यह सुन कमलेश जी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ऐसी कौन सी बात हो...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर...6 By डॉ अनामिका

कुछ दिन गुज़र गए। पंचवटी की एक ही लता कम हुई थी लेकिन पंचवटी के बाकी पौधे मुर्झाये लगे थे। बेजान, नीरस, अजीब सा सूनापन बिखरने लगा था। परीक्षा नजदीक आ चुकी थी पर पढने का मन किसी का...

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गूंगी बहू By Saroj Prajapati

गूंगी बहूहंसमुख और बातूनी चंचल को आज लड़के वाले देखने अा रहे थे तो उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए समझाया " देख चंचल वो लोग जितना पूछे उतना ही जवाब देना। उनके सामने अपनी मास्टरी झा...

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अब नहीं सहुगी...भाग 15 By Sayra Ishak Khan

शैली नूर के गले लिपट कर ज़ार ज़ार रोती रही lऔर कहा lनूर तू साथ है तो में अब नहीं सहुगी ओर अनुज की कम्पलेन करुंगी पुलिस स्टेशन जाकर मेरी फैमिली मेरे साथ है l मुझे अब कोई डर नहीं फहा...

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अकेली लड़की By r k lal

“अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जाने वाली जिस बस में बैठी थी उसमें लड़कों का एक ग्रुप भी था । ये लड़के आपस में कभी बात, कभी इशारे और क...

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जै सियाराम जिया...! By vandana A dubey

बहुत दिन से लिखना चाह रही थी उन पर...!शायद तब से ही, जब से मिली ....!छोटा क़द, गोल-मटोल शरीर, गोरा रंग, चमकदार चेहरा, बड़ी-बड़ी मुस्कुराती आंखें, माथे पर गोल बड़ी सी सिन्दूरी बिंदी, ग...

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माँ, तुझपे लगा ये कलंक.... By Dharnee Variya

घर में शादी का माहौल चल रहा था। पूरा घर सजा था। महेमनो और ढोल नगाड़े की आवाज़ से घर गूंज रहा था। चूल्हे की आग पे पक रहे खाने की खुशबू पूरे गाँव मे फैल गई। आँगन में दुल्हन की हल्दी की...

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वो पहला पहला दिन By Sonia chetan kanoongo

वो पहला दिन कीर्ति का शादी के बाद, एक अजीब सी उलझन में सिकुड़ी बैठी अपने बेड पर, बार बार लोगो का आना जाना, उसे देखना, ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी अचंभित इंसान को कैद करके प्रदर्शन क...

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सरोगेट मदर By Neelam Samnani

ये नई पीढ़ी, इस युग की बिल्कुल एक नई किस्म की फसल है । ये अपनी खुशी से सरोकार रखने वाले लोग हैं ये बाखूबी वाकिफ  हैं अपनी जरूरतें से और क्या और कितनी मापदंड भी इन्हें पता...

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ताईजी की रसोई By Anjali Joshi

निर्मला ताईजी की रसोई की महक तब भी पूरे मोहल्ले की रौनक थी और आज भी हैं। सब कुछ बदल गया निर्मला ताईजी की जिंदगी में लेकिन ये महक और खाने का स्वाद आज भी पहले दिन सा हैं। मेरे पापा उ...

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मेरी प्यारी बिटिया... सूर्याशीं By सोनू समाधिया रसिक

रामकेश एक अनपढ़, रूढ़िवादी था वह तीन सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मजदूरी से करता था।उसके कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह और उसकी मां बेटी को संतान के रूप में नहीं चाहतीं थी।बेटे की कामना...

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नारी की विड़म्बना By सीमा कपूर

" कितनी बेचेन हैं, नारी प्रथा हमारी जहां कल तक "सीता" और "द्रोपदी" की भावनाओ का कत्ल हुआ छिन्न भिन्न हो गई इज्जत उनकी,'सीता' फिर भ...

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सीता By Shikha Kaushik

''आपने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर का मार्ग क्यूँ चुना ? क्या यह उचित न होता कि आप स्वयं सीता के लिए सर्वश्रेष्ठ वर का चयन करते ?मैं इस तथ्य से भी भली-भांति परिचित हूँ कि सी...

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मर्दानी आँख By Pritpal Kaur

हलके गुलाबी रंग के कुरते में गहरे रंग की प्रिन्ट दार पाइपिंग से सजी किनारी वाली कुर्ती उसकी गोरी रंगत पर फब रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत की गुन्जायिश तो कम थी लेकिन चालाकी का दंश...

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तारा की बलि By Dinesh Tripathi

कहानी- "तारा की बलि" यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है, हलाकि पात्र, स्थान व समय काल्पनिक है परन्तु कथावस्तु सही है|यह कहानी ऐसे समाज का आइना दिखा रही है जिसमें औरत को पू...

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जीत By Upasna Siag

(जमाना कोई भी हो, जब - जब किसी स्त्री ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाई है। उसे न्याय अवश्य ही मिला है। ये घटना अंग्रजों के ज़माने की है।)
सावित्री रात के अमावस के से अ...

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पुनर्जन्म By Dinesh Tripathi

कहानी- "पुनर्जन्म" देव एक चबूतरे के बीचों बीच चारपाई में लेटे थे,एक तो गर्मी का महीना, और सुबह लगभग दस बजे का समय,धूप तेज होती जा रही थी।चबूतरे के छोर में...

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एक औरत By Pritpal Kaur

कमरे में बंद दरवाज़ों के भीतरी पल्लों पर जड़े शीशों से छन कर आती रोशनी बाहर धकलते बादामी रंग के परदे, नीम अँधेरे में सुगबुगाती सी लगती आराम कुर्सी, कोने में राखी ड्रेसिंग टेबल, बाथरू...

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बीबी पचासा By Ajay Amitabh Suman

इस किताब में मैं पत्नी पे इस हास्य कविता को प्रस्तुत कर रहा हूँ गृहस्वामिनी के चरण पकड़ , कवि मनु डरहूँ पुकारी , धड़क ह्रदय प्रणाम करहूँ ,स्वीकारो ये हमारी । बुद्धिहीन मनु कर डाली...

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खोया हुआ प्यार By r k lal

खोया हुआ प्यारआर 0 के 0 लालआज सुहानी के पति विराट पांच बजे ही अपनी कंपनी काम पर चले गए। सात बजे उनका बेटा भी स्कूल चला गया। तभी दरवाजे कि घंटी बजने लगी। सुहानी ने दरवाजा खोला तो दे...

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बेवजह... भाग-७ By Harshad Molishree

इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से कोई संबंध नही है, यह...

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नम्बर वन By Rajesh Bhatnagar

शाम गहराने लगी है । स्टेशन के बाहर अहाते में खड़े नीम के पेड़ शांत हैं । हवा जैसे मेरे दिमाग की भांति सुन्न होकर कहीं जा दुबकी है । नीम के पत्ते भी खामोश हैं । ऊपर आसमान की तरफ देखता...

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हाउस वाइफ नहीं बनूंगी By r k lal

“हाउस वाइफ नहीं बनूंगी” आर 0 के 0 लाल पूनम सुबह उठी तो उसके बुखार चढ़ा हुआ था। पूरा बदन तप रहा था, सर भी फटा जा रहा था। उसने थर्मामीटर लगाया तो पता चला कि उसे 103 डिग...

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जनवरी की वो रात By Saroj Prajapati

जनवरी माह की हो सर्द रात! म्यूनिसिपल हास्पिटल का जच्चा-बच्चा वार्ड भी मानो ठंड की चादर ओढ़े शांत पड़ा था । यह एक छोटा सा अस्पताल था , जहां केवल एक वार्ड था। जिसमें 10 बेड थे। उसके...

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रिसता हुआ अतीत By Rajesh Bhatnagar

लाजो बेजान कदमों से चलती हुई अपना थका बोझिल शरीर लिए धम्म से कुर्सी पर बैठ गई । उसके ज़हन मं छटपटाती एक ज़ख्मी औरत चीख-चीखकर जैसे उसे धिक्कार रही थी, “क्यों बचाया तूने दीपक को ? आखिर...

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बर्फ में दबी आग By Dr. Vandana Gupta

बारिश थम चुकी थी.. बालकनी में झूले की गति के समान दोलायमान विचारों को विराम देने की कोशिश में कृति की नजर गमले में लगे पौधे की एक पत्ती की नोंक पर लटकी उस आखिरी बून्द पर टिक...

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मेरे उसूल, मेरी पहचान By Saroj Prajapati

रोशनी सरकारी विभाग में यूडीसी पद पर कार्यरत थी। सरल ,मृदुभाषी ,हंसमुख रोशनी के दो उसूल पक्के थे समय की पाबंदी और कार्य के प्रति ईमानदारी। चाहे मौसम की मार हो या बीमारी का वार, उसने...

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मज़बूरी By Nirpendra Kumar Sharma

"मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बा...

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शुभसंकल्प By Amita Joshi

"दीदी मैं दो दिन के लिए आपके पास रहने के लिए आना चाहती हूं",मीतू ने मुझसे फोन पर कहा ।उन दिनों मैं महाविद्यालय के कार्यों में कुछ अधिक व्यस्त थी और घर पर सुबह शाम कुछ समय अपने पति...

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अब और नहीं By Priya Vachhani

नेहा जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। साड़ी ठीक करते हुए माथे पर मैचिंग बिंदी लगाई, खुद को आईने में दाएं-बाएं देखकर पर्स उठा बाहर किचन की तरफ आ गई "कितनी देर हो गई आज" टेबल से नाश्ते की...

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मैं सच नहीं बोलूँगी.! By Pranav Vishvas

तेज़ बिजली की कड़कड़ाहट से मेरी नींद टूट गई, खैर बड़ी मुश्किल से आई थी मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गई, साथ वाले तकिए को देखा जों सूना पड़ा था, ऐसा लगा जैसे कितना कुछ कहना चाहता है मगर मैं सु...

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आत्मसम्मान By Saroj Prajapati

मम्मी जीजा जी का फोन आया है।" " तू बात कर मैं अभी आई । " नहीं मम्मी कह रहें हैं जरूरी बात करनी है आपसे जल्दी आओ।" यह सुन कमलेश जी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ऐसी कौन सी बात हो...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर...6 By डॉ अनामिका

कुछ दिन गुज़र गए। पंचवटी की एक ही लता कम हुई थी लेकिन पंचवटी के बाकी पौधे मुर्झाये लगे थे। बेजान, नीरस, अजीब सा सूनापन बिखरने लगा था। परीक्षा नजदीक आ चुकी थी पर पढने का मन किसी का...

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गूंगी बहू By Saroj Prajapati

गूंगी बहूहंसमुख और बातूनी चंचल को आज लड़के वाले देखने अा रहे थे तो उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए समझाया " देख चंचल वो लोग जितना पूछे उतना ही जवाब देना। उनके सामने अपनी मास्टरी झा...

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अब नहीं सहुगी...भाग 15 By Sayra Ishak Khan

शैली नूर के गले लिपट कर ज़ार ज़ार रोती रही lऔर कहा lनूर तू साथ है तो में अब नहीं सहुगी ओर अनुज की कम्पलेन करुंगी पुलिस स्टेशन जाकर मेरी फैमिली मेरे साथ है l मुझे अब कोई डर नहीं फहा...

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अकेली लड़की By r k lal

“अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जाने वाली जिस बस में बैठी थी उसमें लड़कों का एक ग्रुप भी था । ये लड़के आपस में कभी बात, कभी इशारे और क...

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जै सियाराम जिया...! By vandana A dubey

बहुत दिन से लिखना चाह रही थी उन पर...!शायद तब से ही, जब से मिली ....!छोटा क़द, गोल-मटोल शरीर, गोरा रंग, चमकदार चेहरा, बड़ी-बड़ी मुस्कुराती आंखें, माथे पर गोल बड़ी सी सिन्दूरी बिंदी, ग...

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माँ, तुझपे लगा ये कलंक.... By Dharnee Variya

घर में शादी का माहौल चल रहा था। पूरा घर सजा था। महेमनो और ढोल नगाड़े की आवाज़ से घर गूंज रहा था। चूल्हे की आग पे पक रहे खाने की खुशबू पूरे गाँव मे फैल गई। आँगन में दुल्हन की हल्दी की...

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वो पहला पहला दिन By Sonia chetan kanoongo

वो पहला दिन कीर्ति का शादी के बाद, एक अजीब सी उलझन में सिकुड़ी बैठी अपने बेड पर, बार बार लोगो का आना जाना, उसे देखना, ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी अचंभित इंसान को कैद करके प्रदर्शन क...

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सरोगेट मदर By Neelam Samnani

ये नई पीढ़ी, इस युग की बिल्कुल एक नई किस्म की फसल है । ये अपनी खुशी से सरोकार रखने वाले लोग हैं ये बाखूबी वाकिफ  हैं अपनी जरूरतें से और क्या और कितनी मापदंड भी इन्हें पता...

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ताईजी की रसोई By Anjali Joshi

निर्मला ताईजी की रसोई की महक तब भी पूरे मोहल्ले की रौनक थी और आज भी हैं। सब कुछ बदल गया निर्मला ताईजी की जिंदगी में लेकिन ये महक और खाने का स्वाद आज भी पहले दिन सा हैं। मेरे पापा उ...

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मेरी प्यारी बिटिया... सूर्याशीं By सोनू समाधिया रसिक

रामकेश एक अनपढ़, रूढ़िवादी था वह तीन सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मजदूरी से करता था।उसके कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह और उसकी मां बेटी को संतान के रूप में नहीं चाहतीं थी।बेटे की कामना...

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नारी की विड़म्बना By सीमा कपूर

" कितनी बेचेन हैं, नारी प्रथा हमारी जहां कल तक "सीता" और "द्रोपदी" की भावनाओ का कत्ल हुआ छिन्न भिन्न हो गई इज्जत उनकी,'सीता' फिर भ...

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