hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मेट्रो गर्ल

    मेट्रो गर्ल आर0 के लाल उस दिन मेट्रो में बहुत भीड़ थी। राघव किसी तरह मेट्रो मे...

  • विधायक की पत्नी

    नौ साल बाद नौकरानी की हत्या के आरोप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किये जाने पर गरि...

  • आंखों की भूख

    ★~आंखों की भूख~★ यह तो सबको पता ही है कि भूख क्या होती है। लेकिन मेरी नज़र में भू...

सबरीना - 16 By Dr Shushil Upadhyay

फ्लैट में रसोई बाहर के कमरे के साथ जुड़ी हुई थी। भीतर के कमरे में बेडरूम था और बाहर वाले कमरे में जो जगह बची थी वहां पर एक बड़ी मेज रखी थी। शायद इस मेज से बहुत सारे काम लिए जाते होंग...

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मेट्रो गर्ल By r k lal

मेट्रो गर्ल आर0 के लाल उस दिन मेट्रो में बहुत भीड़ थी। राघव किसी तरह मेट्रो में चढ़ा और धीरे-धीरे जगह बनाता हुआ एक साइड में खड़ा हो गया । कहीं कोई जगह नहीं थी, महिलाएं भी धक्का-म...

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न्यूड ग़ज़ल - 3 By Junaid Chaudhary

रात को मैने उस से पूछा तो कैसा लगा आज?वो बड़ा खुश था,मानो जैसे जो चाहता हो वो उसे मिल गया हो,इस मुलाकात के बाद हमारे रिश्ते में रवानी आ गई थी,दोनों के दिलो में एक दूसरे के लिए फिकरे...

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अजीब औरत By Jayanti Ranganathan

बिल्डिंग के सामने उर्षिला ने अपनी लंबी गाड़ी पार्क की ही थी कि सीढिय़ों के पीछे खंभे से सटकर खड़ी वह दिख गई। उर्षिला उसकी निगाहों से नहीं बच सकती थी। चार घंटे पहले वह यहां आ चुकी थी...

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फ़ैसला - 4 By Rajesh Shukla

आज अभय ने मेरी बात को घुमाया नहीं बल्कि सच बताने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि इस समय वह शराब के नशे में था और जहां तक मैंने सुना कि आदमी शराब के नशे में सच बोलता है। उसने बताया कि क...

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ३ By DILIP UTTAM

-----अध्याय ३."दोगलापन |" ----- हमेशा पूरा ज्ञान नारी को ही क्यों दिया जाता है? पुरुषों को पूरा ज्ञान क्यों नहीं दिया जाता? ये करो, वो करो यह सब स्त्रियों को ही बोला जाता है, आखि...

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विधायक की पत्नी By Shikha Kaushik

नौ साल बाद नौकरानी की हत्या के आरोप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किये जाने पर गरिमा सिंह ने राहत की सांस ली .लगातार छठी बार विधायक चुने गए उसके पतिदेव स्वराज सिंह सौ से भी ज्यादा का...

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बस अब और नहीं By Jyotsana Kapil

बस अब और नही कावेरी बड़ी तल्लीनता से बोलती जा रही थी, और मीटिंग में शामिल सभी सदस्य प्रशंसा के भाव लिए उसे देख रहे थे। उसके खामोश होते ही लोगों ने मेजें थपथपा कर उसका उत्साहवर्धन कि...

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आंखों की भूख By Pallavi Saxena

★~आंखों की भूख~★ यह तो सबको पता ही है कि भूख क्या होती है। लेकिन मेरी नज़र में भूख के भी कई रंग होते है। कोई कोई भूख ऐसी भी होती है जो कभी पूरी ही नही होती। जैसे प्यार की भूख हर इंस...

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धरती पे माँ कहलाती है By Ajay Amitabh Suman

ये कविता संसार की सारी माताओं की चरणों में कवि की सादर भेंट है. इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक तक विभिन्न चरणों में दिखाई गई है . माँ के आत्मा की यात्रा...

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कुछ टूटा था...उसका दिल By Shilpi Saxena_Barkha_

क्या हुआ .... आज कहाँ गया तुम्हारा प्यार तुम्हारा विश्वास ? बहुत प्यार करते थे ना तुम मुझसे .... ?? इसी प्यार के लिये तुमने सबसे लड़कर ज़िन्दगी भर के लिये मेरा हाथ थामा था ना ? आज...

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मैं हूँ ना By Renu Gupta

मैं हूँ ना बसंत ने कालिंदी की आंखों में झांकते हुए बेहद भाव विह्वल स्वरों में उससे कहा, ‘‘कालिंदी, मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं, तुमसे विवाह करना चाहता हूं। वायदा करता हू...

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तपस्या By Renu Gupta

इस कहानी का संक्षिप्त रूप राजस्थान पत्रिका में 2019 में प्रकाशित हो चुका है। तपस्या ‘मौली.... पकौड़े थोड़े और करारे सिकवाओ और थोड़ी चटनी भी और दो इधर।’ मौली के पति राजन ने उसे आव...

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सीता By Shikha Kaushik

''आपने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर का मार्ग क्यूँ चुना ? क्या यह उचित न होता कि आप स्वयं सीता के लिए सर्वश्रेष्ठ वर का चयन करते ?मैं इस तथ्य से भी भली-भांति परिचित हूँ कि सी...

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मर्दानी आँख By Pritpal Kaur

हलके गुलाबी रंग के कुरते में गहरे रंग की प्रिन्ट दार पाइपिंग से सजी किनारी वाली कुर्ती उसकी गोरी रंगत पर फब रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत की गुन्जायिश तो कम थी लेकिन चालाकी का दंश...

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तारा की बलि By Dinesh Tripathi

कहानी- "तारा की बलि" यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है, हलाकि पात्र, स्थान व समय काल्पनिक है परन्तु कथावस्तु सही है|यह कहानी ऐसे समाज का आइना दिखा रही है जिसमें औरत को पू...

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जीत By Upasna Siag

(जमाना कोई भी हो, जब - जब किसी स्त्री ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाई है। उसे न्याय अवश्य ही मिला है। ये घटना अंग्रजों के ज़माने की है।)
सावित्री रात के अमावस के से अ...

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पुनर्जन्म By Dinesh Tripathi

कहानी- "पुनर्जन्म" देव एक चबूतरे के बीचों बीच चारपाई में लेटे थे,एक तो गर्मी का महीना, और सुबह लगभग दस बजे का समय,धूप तेज होती जा रही थी।चबूतरे के छोर में...

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एक औरत By Pritpal Kaur

कमरे में बंद दरवाज़ों के भीतरी पल्लों पर जड़े शीशों से छन कर आती रोशनी बाहर धकलते बादामी रंग के परदे, नीम अँधेरे में सुगबुगाती सी लगती आराम कुर्सी, कोने में राखी ड्रेसिंग टेबल, बाथरू...

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बीबी पचासा By Ajay Amitabh Suman

इस किताब में मैं पत्नी पे इस हास्य कविता को प्रस्तुत कर रहा हूँ गृहस्वामिनी के चरण पकड़ , कवि मनु डरहूँ पुकारी , धड़क ह्रदय प्रणाम करहूँ ,स्वीकारो ये हमारी । बुद्धिहीन मनु कर डाली...

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खोया हुआ प्यार By r k lal

खोया हुआ प्यारआर 0 के 0 लालआज सुहानी के पति विराट पांच बजे ही अपनी कंपनी काम पर चले गए। सात बजे उनका बेटा भी स्कूल चला गया। तभी दरवाजे कि घंटी बजने लगी। सुहानी ने दरवाजा खोला तो दे...

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बेवजह... भाग-७ By Harshad Molishree

इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से कोई संबंध नही है, यह...

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नम्बर वन By Rajesh Bhatnagar

शाम गहराने लगी है । स्टेशन के बाहर अहाते में खड़े नीम के पेड़ शांत हैं । हवा जैसे मेरे दिमाग की भांति सुन्न होकर कहीं जा दुबकी है । नीम के पत्ते भी खामोश हैं । ऊपर आसमान की तरफ देखता...

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हाउस वाइफ नहीं बनूंगी By r k lal

“हाउस वाइफ नहीं बनूंगी” आर 0 के 0 लाल पूनम सुबह उठी तो उसके बुखार चढ़ा हुआ था। पूरा बदन तप रहा था, सर भी फटा जा रहा था। उसने थर्मामीटर लगाया तो पता चला कि उसे 103 डिग...

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जनवरी की वो रात By Saroj Prajapati

जनवरी माह की हो सर्द रात! म्यूनिसिपल हास्पिटल का जच्चा-बच्चा वार्ड भी मानो ठंड की चादर ओढ़े शांत पड़ा था । यह एक छोटा सा अस्पताल था , जहां केवल एक वार्ड था। जिसमें 10 बेड थे। उसके...

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रिसता हुआ अतीत By Rajesh Bhatnagar

लाजो बेजान कदमों से चलती हुई अपना थका बोझिल शरीर लिए धम्म से कुर्सी पर बैठ गई । उसके ज़हन मं छटपटाती एक ज़ख्मी औरत चीख-चीखकर जैसे उसे धिक्कार रही थी, “क्यों बचाया तूने दीपक को ? आखिर...

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बर्फ में दबी आग By Dr. Vandana Gupta

बारिश थम चुकी थी.. बालकनी में झूले की गति के समान दोलायमान विचारों को विराम देने की कोशिश में कृति की नजर गमले में लगे पौधे की एक पत्ती की नोंक पर लटकी उस आखिरी बून्द पर टिक...

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मेरे उसूल, मेरी पहचान By Saroj Prajapati

रोशनी सरकारी विभाग में यूडीसी पद पर कार्यरत थी। सरल ,मृदुभाषी ,हंसमुख रोशनी के दो उसूल पक्के थे समय की पाबंदी और कार्य के प्रति ईमानदारी। चाहे मौसम की मार हो या बीमारी का वार, उसने...

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सबरीना - 16 By Dr Shushil Upadhyay

फ्लैट में रसोई बाहर के कमरे के साथ जुड़ी हुई थी। भीतर के कमरे में बेडरूम था और बाहर वाले कमरे में जो जगह बची थी वहां पर एक बड़ी मेज रखी थी। शायद इस मेज से बहुत सारे काम लिए जाते होंग...

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मेट्रो गर्ल By r k lal

मेट्रो गर्ल आर0 के लाल उस दिन मेट्रो में बहुत भीड़ थी। राघव किसी तरह मेट्रो में चढ़ा और धीरे-धीरे जगह बनाता हुआ एक साइड में खड़ा हो गया । कहीं कोई जगह नहीं थी, महिलाएं भी धक्का-म...

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न्यूड ग़ज़ल - 3 By Junaid Chaudhary

रात को मैने उस से पूछा तो कैसा लगा आज?वो बड़ा खुश था,मानो जैसे जो चाहता हो वो उसे मिल गया हो,इस मुलाकात के बाद हमारे रिश्ते में रवानी आ गई थी,दोनों के दिलो में एक दूसरे के लिए फिकरे...

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अजीब औरत By Jayanti Ranganathan

बिल्डिंग के सामने उर्षिला ने अपनी लंबी गाड़ी पार्क की ही थी कि सीढिय़ों के पीछे खंभे से सटकर खड़ी वह दिख गई। उर्षिला उसकी निगाहों से नहीं बच सकती थी। चार घंटे पहले वह यहां आ चुकी थी...

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फ़ैसला - 4 By Rajesh Shukla

आज अभय ने मेरी बात को घुमाया नहीं बल्कि सच बताने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि इस समय वह शराब के नशे में था और जहां तक मैंने सुना कि आदमी शराब के नशे में सच बोलता है। उसने बताया कि क...

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ३ By DILIP UTTAM

-----अध्याय ३."दोगलापन |" ----- हमेशा पूरा ज्ञान नारी को ही क्यों दिया जाता है? पुरुषों को पूरा ज्ञान क्यों नहीं दिया जाता? ये करो, वो करो यह सब स्त्रियों को ही बोला जाता है, आखि...

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विधायक की पत्नी By Shikha Kaushik

नौ साल बाद नौकरानी की हत्या के आरोप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किये जाने पर गरिमा सिंह ने राहत की सांस ली .लगातार छठी बार विधायक चुने गए उसके पतिदेव स्वराज सिंह सौ से भी ज्यादा का...

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बस अब और नहीं By Jyotsana Kapil

बस अब और नही कावेरी बड़ी तल्लीनता से बोलती जा रही थी, और मीटिंग में शामिल सभी सदस्य प्रशंसा के भाव लिए उसे देख रहे थे। उसके खामोश होते ही लोगों ने मेजें थपथपा कर उसका उत्साहवर्धन कि...

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आंखों की भूख By Pallavi Saxena

★~आंखों की भूख~★ यह तो सबको पता ही है कि भूख क्या होती है। लेकिन मेरी नज़र में भूख के भी कई रंग होते है। कोई कोई भूख ऐसी भी होती है जो कभी पूरी ही नही होती। जैसे प्यार की भूख हर इंस...

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धरती पे माँ कहलाती है By Ajay Amitabh Suman

ये कविता संसार की सारी माताओं की चरणों में कवि की सादर भेंट है. इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक तक विभिन्न चरणों में दिखाई गई है . माँ के आत्मा की यात्रा...

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कुछ टूटा था...उसका दिल By Shilpi Saxena_Barkha_

क्या हुआ .... आज कहाँ गया तुम्हारा प्यार तुम्हारा विश्वास ? बहुत प्यार करते थे ना तुम मुझसे .... ?? इसी प्यार के लिये तुमने सबसे लड़कर ज़िन्दगी भर के लिये मेरा हाथ थामा था ना ? आज...

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मैं हूँ ना By Renu Gupta

मैं हूँ ना बसंत ने कालिंदी की आंखों में झांकते हुए बेहद भाव विह्वल स्वरों में उससे कहा, ‘‘कालिंदी, मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं, तुमसे विवाह करना चाहता हूं। वायदा करता हू...

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तपस्या By Renu Gupta

इस कहानी का संक्षिप्त रूप राजस्थान पत्रिका में 2019 में प्रकाशित हो चुका है। तपस्या ‘मौली.... पकौड़े थोड़े और करारे सिकवाओ और थोड़ी चटनी भी और दो इधर।’ मौली के पति राजन ने उसे आव...

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सीता By Shikha Kaushik

''आपने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर का मार्ग क्यूँ चुना ? क्या यह उचित न होता कि आप स्वयं सीता के लिए सर्वश्रेष्ठ वर का चयन करते ?मैं इस तथ्य से भी भली-भांति परिचित हूँ कि सी...

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मर्दानी आँख By Pritpal Kaur

हलके गुलाबी रंग के कुरते में गहरे रंग की प्रिन्ट दार पाइपिंग से सजी किनारी वाली कुर्ती उसकी गोरी रंगत पर फब रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत की गुन्जायिश तो कम थी लेकिन चालाकी का दंश...

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तारा की बलि By Dinesh Tripathi

कहानी- "तारा की बलि" यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है, हलाकि पात्र, स्थान व समय काल्पनिक है परन्तु कथावस्तु सही है|यह कहानी ऐसे समाज का आइना दिखा रही है जिसमें औरत को पू...

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जीत By Upasna Siag

(जमाना कोई भी हो, जब - जब किसी स्त्री ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाई है। उसे न्याय अवश्य ही मिला है। ये घटना अंग्रजों के ज़माने की है।)
सावित्री रात के अमावस के से अ...

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पुनर्जन्म By Dinesh Tripathi

कहानी- "पुनर्जन्म" देव एक चबूतरे के बीचों बीच चारपाई में लेटे थे,एक तो गर्मी का महीना, और सुबह लगभग दस बजे का समय,धूप तेज होती जा रही थी।चबूतरे के छोर में...

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एक औरत By Pritpal Kaur

कमरे में बंद दरवाज़ों के भीतरी पल्लों पर जड़े शीशों से छन कर आती रोशनी बाहर धकलते बादामी रंग के परदे, नीम अँधेरे में सुगबुगाती सी लगती आराम कुर्सी, कोने में राखी ड्रेसिंग टेबल, बाथरू...

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बीबी पचासा By Ajay Amitabh Suman

इस किताब में मैं पत्नी पे इस हास्य कविता को प्रस्तुत कर रहा हूँ गृहस्वामिनी के चरण पकड़ , कवि मनु डरहूँ पुकारी , धड़क ह्रदय प्रणाम करहूँ ,स्वीकारो ये हमारी । बुद्धिहीन मनु कर डाली...

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खोया हुआ प्यार By r k lal

खोया हुआ प्यारआर 0 के 0 लालआज सुहानी के पति विराट पांच बजे ही अपनी कंपनी काम पर चले गए। सात बजे उनका बेटा भी स्कूल चला गया। तभी दरवाजे कि घंटी बजने लगी। सुहानी ने दरवाजा खोला तो दे...

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बेवजह... भाग-७ By Harshad Molishree

इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से कोई संबंध नही है, यह...

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नम्बर वन By Rajesh Bhatnagar

शाम गहराने लगी है । स्टेशन के बाहर अहाते में खड़े नीम के पेड़ शांत हैं । हवा जैसे मेरे दिमाग की भांति सुन्न होकर कहीं जा दुबकी है । नीम के पत्ते भी खामोश हैं । ऊपर आसमान की तरफ देखता...

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हाउस वाइफ नहीं बनूंगी By r k lal

“हाउस वाइफ नहीं बनूंगी” आर 0 के 0 लाल पूनम सुबह उठी तो उसके बुखार चढ़ा हुआ था। पूरा बदन तप रहा था, सर भी फटा जा रहा था। उसने थर्मामीटर लगाया तो पता चला कि उसे 103 डिग...

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जनवरी की वो रात By Saroj Prajapati

जनवरी माह की हो सर्द रात! म्यूनिसिपल हास्पिटल का जच्चा-बच्चा वार्ड भी मानो ठंड की चादर ओढ़े शांत पड़ा था । यह एक छोटा सा अस्पताल था , जहां केवल एक वार्ड था। जिसमें 10 बेड थे। उसके...

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रिसता हुआ अतीत By Rajesh Bhatnagar

लाजो बेजान कदमों से चलती हुई अपना थका बोझिल शरीर लिए धम्म से कुर्सी पर बैठ गई । उसके ज़हन मं छटपटाती एक ज़ख्मी औरत चीख-चीखकर जैसे उसे धिक्कार रही थी, “क्यों बचाया तूने दीपक को ? आखिर...

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बर्फ में दबी आग By Dr. Vandana Gupta

बारिश थम चुकी थी.. बालकनी में झूले की गति के समान दोलायमान विचारों को विराम देने की कोशिश में कृति की नजर गमले में लगे पौधे की एक पत्ती की नोंक पर लटकी उस आखिरी बून्द पर टिक...

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मेरे उसूल, मेरी पहचान By Saroj Prajapati

रोशनी सरकारी विभाग में यूडीसी पद पर कार्यरत थी। सरल ,मृदुभाषी ,हंसमुख रोशनी के दो उसूल पक्के थे समय की पाबंदी और कार्य के प्रति ईमानदारी। चाहे मौसम की मार हो या बीमारी का वार, उसने...

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