hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अब और नहीं

    नेहा जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। साड़ी ठीक करते हुए माथे पर मैचिंग बिंदी लगाई, ख...

  • अब नहीं सहुगी...भाग 15

    शैली नूर के गले लिपट कर ज़ार ज़ार रोती रही lऔर कहा lनूर तू साथ है तो में अब नहीं...

  • अकेली लड़की

    “अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जान...

मज़बूरी By Nirpendra Kumar Sharma

"मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बा...

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शुभसंकल्प By Amita Joshi

"दीदी मैं दो दिन के लिए आपके पास रहने के लिए आना चाहती हूं",मीतू ने मुझसे फोन पर कहा ।उन दिनों मैं महाविद्यालय के कार्यों में कुछ अधिक व्यस्त थी और घर पर सुबह शाम कुछ समय अपने पति...

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अब और नहीं By Priya Vachhani

नेहा जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। साड़ी ठीक करते हुए माथे पर मैचिंग बिंदी लगाई, खुद को आईने में दाएं-बाएं देखकर पर्स उठा बाहर किचन की तरफ आ गई "कितनी देर हो गई आज" टेबल से नाश्ते की...

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मैं सच नहीं बोलूँगी.! By Pranav Vishvas

तेज़ बिजली की कड़कड़ाहट से मेरी नींद टूट गई, खैर बड़ी मुश्किल से आई थी मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गई, साथ वाले तकिए को देखा जों सूना पड़ा था, ऐसा लगा जैसे कितना कुछ कहना चाहता है मगर मैं सु...

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आत्मसम्मान By Saroj Prajapati

मम्मी जीजा जी का फोन आया है।" " तू बात कर मैं अभी आई । " नहीं मम्मी कह रहें हैं जरूरी बात करनी है आपसे जल्दी आओ।" यह सुन कमलेश जी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ऐसी कौन सी बात हो...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर...6 By डॉ अनामिका

कुछ दिन गुज़र गए। पंचवटी की एक ही लता कम हुई थी लेकिन पंचवटी के बाकी पौधे मुर्झाये लगे थे। बेजान, नीरस, अजीब सा सूनापन बिखरने लगा था। परीक्षा नजदीक आ चुकी थी पर पढने का मन किसी का...

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गूंगी बहू By Saroj Prajapati

गूंगी बहूहंसमुख और बातूनी चंचल को आज लड़के वाले देखने अा रहे थे तो उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए समझाया " देख चंचल वो लोग जितना पूछे उतना ही जवाब देना। उनके सामने अपनी मास्टरी झा...

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अब नहीं सहुगी...भाग 15 By Sayra Ishak Khan

शैली नूर के गले लिपट कर ज़ार ज़ार रोती रही lऔर कहा lनूर तू साथ है तो में अब नहीं सहुगी ओर अनुज की कम्पलेन करुंगी पुलिस स्टेशन जाकर मेरी फैमिली मेरे साथ है l मुझे अब कोई डर नहीं फहा...

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अकेली लड़की By r k lal

“अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जाने वाली जिस बस में बैठी थी उसमें लड़कों का एक ग्रुप भी था । ये लड़के आपस में कभी बात, कभी इशारे और क...

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जै सियाराम जिया...! By vandana A dubey

बहुत दिन से लिखना चाह रही थी उन पर...!शायद तब से ही, जब से मिली ....!छोटा क़द, गोल-मटोल शरीर, गोरा रंग, चमकदार चेहरा, बड़ी-बड़ी मुस्कुराती आंखें, माथे पर गोल बड़ी सी सिन्दूरी बिंदी, ग...

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माँ, तुझपे लगा ये कलंक.... By Dharnee Variya

घर में शादी का माहौल चल रहा था। पूरा घर सजा था। महेमनो और ढोल नगाड़े की आवाज़ से घर गूंज रहा था। चूल्हे की आग पे पक रहे खाने की खुशबू पूरे गाँव मे फैल गई। आँगन में दुल्हन की हल्दी की...

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वो पहला पहला दिन By Sonia chetan kanoongo

वो पहला दिन कीर्ति का शादी के बाद, एक अजीब सी उलझन में सिकुड़ी बैठी अपने बेड पर, बार बार लोगो का आना जाना, उसे देखना, ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी अचंभित इंसान को कैद करके प्रदर्शन क...

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सरोगेट मदर By Neelam Samnani

ये नई पीढ़ी, इस युग की बिल्कुल एक नई किस्म की फसल है । ये अपनी खुशी से सरोकार रखने वाले लोग हैं ये बाखूबी वाकिफ  हैं अपनी जरूरतें से और क्या और कितनी मापदंड भी इन्हें पता...

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ताईजी की रसोई By Anjali Joshi

निर्मला ताईजी की रसोई की महक तब भी पूरे मोहल्ले की रौनक थी और आज भी हैं। सब कुछ बदल गया निर्मला ताईजी की जिंदगी में लेकिन ये महक और खाने का स्वाद आज भी पहले दिन सा हैं। मेरे पापा उ...

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मेरी प्यारी बिटिया... सूर्याशीं By सोनू समाधिया रसिक

रामकेश एक अनपढ़, रूढ़िवादी था वह तीन सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मजदूरी से करता था।उसके कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह और उसकी मां बेटी को संतान के रूप में नहीं चाहतीं थी।बेटे की कामना...

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नारी की विड़म्बना By सीमा कपूर

" कितनी बेचेन हैं, नारी प्रथा हमारी जहां कल तक "सीता" और "द्रोपदी" की भावनाओ का कत्ल हुआ छिन्न भिन्न हो गई इज्जत उनकी,'सीता' फिर भ...

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हमें देश को आगे ले जाना चाहिए ये हमारा कर्त्वय है हम ने जो किया वो मेने बताया अब आप भी करो ये काम - By Sawai Joshi Raj

ये बात उन दिनों की जब हम बच्चे थे हम तीन भाई है श्रवण कुमार जोशी  अर्जुनलाल शर्मा  जाजड़ा  और में जोशी राज हम तीनों एक अछे भाई और एक दोस्त कुल मिलके एक फेमली हम तीनों...

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रीता का कसूर प्रथम भाग By पूर्णिमा राज

म्हारी बनरी गुलाब का फूल , कि भँवरा बन्ना जी ।महारी बनरी चाँद का नूर ,कि चकोरा प्यारा बनरा जी ॥ एक घर में महिलाएं ढोल और हरमोनियम पर यह ब्याह गीत गा रही थी। यह घर था ' कटक निवा...

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काश में माँ न होती By Neerja Dewedy

काश! मैं माँ न होती आकाश में घने बादल छाये थे. रह-रह कर बिजली कड़कती थी. जनवरी की ठंड में सरसराती हवा के साथ खिड़की से आत...

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स्त्री By Rakesh Kumar Pandey Sagar

"स्त्री" स्त्री, एक शब्द जो देखने में अधूरा है, लेकिन अपने अंदर समेटे संसार पूरा है, सुनने में अक्सर आता है, घर में बिटिया हुई है, कहीं खुशी का साग...

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मधर्स डे - डिजीटल लव By Haresh Chaudhary

करवटें बदलते बदलते थक गई थी लेकिन नींद आंखों से कोसों दूर थी।आती भी केसे कल मदर्स डे जो है। पूरे 5 साल के बाद दोनों बच्चे होस्टल से घर आए हे। इन 5 सालों में मदर्स डे पर सिर्फ फोन प...

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डिवोर्स... By r k lal

डिवोर्स आर0 के0 लाल वकील साहब को आज घर पर बुलाया गया था। उनके साथ, ड्राइंग रूम में मेरे मम्मी-पापा, भाई, चाचा एवं पड़ोस के एक अंकल सभी बैठे थे। सामने चाय नाश्ता रखा था। सब एकमत...

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पूरे दिल से By Ritu Dubey

अपने दिल की बात ही तो सुनती हूँ, तभी तो इस जगह खड़ी हूँ ...

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बेवजह... भाग ६ By Harshad Molishree

अब तक..."विक्रम ठाकुर ने तन्ने हवेली पर बुलाया है, आज जो कुछ भी हवा उसके लिए ठाकुर साहब ने शमा मांगी है और तुझे नौकरी पर भी वापस बुलाया है"..."माँ, बापू को हवेली नही भेजना चाहती थी...

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मां का आँचल By Rakesh Kumar Pandey Sagar

1- "तेरे आँचल को छूने से" हे माँ तुझको नमन मेरा, तू ही श्रृंगार है मेरा, बहलता है ये मन मेरा , तेरे आँचल को छूने से।। तेरे ममता के आँचल में, पला बचपन मेरा ऐसे,...

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दादी,, By Nirpendra Kumar Sharma

चिंटू अरे ओ चिंटू,,,, अस्सी बरस की रामकली बिस्तर पर लेटे लेटे अपने पोते को पुकार रही है। रामकली बूढी अवश्य हो गई है किंतु जीवन जीने की आशा ने उसे कभी जीर्ण होने नहीं दिया। खाल सिकु...

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वो औरत है, क्या यही उसकी कमजोरी है। By Sonia chetan kanoongo

भाग दौड़ वाली जिंदगी से अनिता खुश तो नही थी पर ये उसकी नियति बन गयी थी , उसने हमेशा से सोचा कि बस ग्रहस्थ जीवन जीऊँगी जहाँ घर की जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभाउंगी, पर जो हम सोचते है अ...

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मज़बूरी By Nirpendra Kumar Sharma

"मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बा...

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शुभसंकल्प By Amita Joshi

"दीदी मैं दो दिन के लिए आपके पास रहने के लिए आना चाहती हूं",मीतू ने मुझसे फोन पर कहा ।उन दिनों मैं महाविद्यालय के कार्यों में कुछ अधिक व्यस्त थी और घर पर सुबह शाम कुछ समय अपने पति...

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अब और नहीं By Priya Vachhani

नेहा जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। साड़ी ठीक करते हुए माथे पर मैचिंग बिंदी लगाई, खुद को आईने में दाएं-बाएं देखकर पर्स उठा बाहर किचन की तरफ आ गई "कितनी देर हो गई आज" टेबल से नाश्ते की...

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मैं सच नहीं बोलूँगी.! By Pranav Vishvas

तेज़ बिजली की कड़कड़ाहट से मेरी नींद टूट गई, खैर बड़ी मुश्किल से आई थी मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गई, साथ वाले तकिए को देखा जों सूना पड़ा था, ऐसा लगा जैसे कितना कुछ कहना चाहता है मगर मैं सु...

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आत्मसम्मान By Saroj Prajapati

मम्मी जीजा जी का फोन आया है।" " तू बात कर मैं अभी आई । " नहीं मम्मी कह रहें हैं जरूरी बात करनी है आपसे जल्दी आओ।" यह सुन कमलेश जी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ऐसी कौन सी बात हो...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर...6 By डॉ अनामिका

कुछ दिन गुज़र गए। पंचवटी की एक ही लता कम हुई थी लेकिन पंचवटी के बाकी पौधे मुर्झाये लगे थे। बेजान, नीरस, अजीब सा सूनापन बिखरने लगा था। परीक्षा नजदीक आ चुकी थी पर पढने का मन किसी का...

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गूंगी बहू By Saroj Prajapati

गूंगी बहूहंसमुख और बातूनी चंचल को आज लड़के वाले देखने अा रहे थे तो उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए समझाया " देख चंचल वो लोग जितना पूछे उतना ही जवाब देना। उनके सामने अपनी मास्टरी झा...

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अब नहीं सहुगी...भाग 15 By Sayra Ishak Khan

शैली नूर के गले लिपट कर ज़ार ज़ार रोती रही lऔर कहा lनूर तू साथ है तो में अब नहीं सहुगी ओर अनुज की कम्पलेन करुंगी पुलिस स्टेशन जाकर मेरी फैमिली मेरे साथ है l मुझे अब कोई डर नहीं फहा...

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अकेली लड़की By r k lal

“अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जाने वाली जिस बस में बैठी थी उसमें लड़कों का एक ग्रुप भी था । ये लड़के आपस में कभी बात, कभी इशारे और क...

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जै सियाराम जिया...! By vandana A dubey

बहुत दिन से लिखना चाह रही थी उन पर...!शायद तब से ही, जब से मिली ....!छोटा क़द, गोल-मटोल शरीर, गोरा रंग, चमकदार चेहरा, बड़ी-बड़ी मुस्कुराती आंखें, माथे पर गोल बड़ी सी सिन्दूरी बिंदी, ग...

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माँ, तुझपे लगा ये कलंक.... By Dharnee Variya

घर में शादी का माहौल चल रहा था। पूरा घर सजा था। महेमनो और ढोल नगाड़े की आवाज़ से घर गूंज रहा था। चूल्हे की आग पे पक रहे खाने की खुशबू पूरे गाँव मे फैल गई। आँगन में दुल्हन की हल्दी की...

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वो पहला पहला दिन By Sonia chetan kanoongo

वो पहला दिन कीर्ति का शादी के बाद, एक अजीब सी उलझन में सिकुड़ी बैठी अपने बेड पर, बार बार लोगो का आना जाना, उसे देखना, ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी अचंभित इंसान को कैद करके प्रदर्शन क...

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सरोगेट मदर By Neelam Samnani

ये नई पीढ़ी, इस युग की बिल्कुल एक नई किस्म की फसल है । ये अपनी खुशी से सरोकार रखने वाले लोग हैं ये बाखूबी वाकिफ  हैं अपनी जरूरतें से और क्या और कितनी मापदंड भी इन्हें पता...

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ताईजी की रसोई By Anjali Joshi

निर्मला ताईजी की रसोई की महक तब भी पूरे मोहल्ले की रौनक थी और आज भी हैं। सब कुछ बदल गया निर्मला ताईजी की जिंदगी में लेकिन ये महक और खाने का स्वाद आज भी पहले दिन सा हैं। मेरे पापा उ...

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मेरी प्यारी बिटिया... सूर्याशीं By सोनू समाधिया रसिक

रामकेश एक अनपढ़, रूढ़िवादी था वह तीन सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मजदूरी से करता था।उसके कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह और उसकी मां बेटी को संतान के रूप में नहीं चाहतीं थी।बेटे की कामना...

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नारी की विड़म्बना By सीमा कपूर

" कितनी बेचेन हैं, नारी प्रथा हमारी जहां कल तक "सीता" और "द्रोपदी" की भावनाओ का कत्ल हुआ छिन्न भिन्न हो गई इज्जत उनकी,'सीता' फिर भ...

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हमें देश को आगे ले जाना चाहिए ये हमारा कर्त्वय है हम ने जो किया वो मेने बताया अब आप भी करो ये काम - By Sawai Joshi Raj

ये बात उन दिनों की जब हम बच्चे थे हम तीन भाई है श्रवण कुमार जोशी  अर्जुनलाल शर्मा  जाजड़ा  और में जोशी राज हम तीनों एक अछे भाई और एक दोस्त कुल मिलके एक फेमली हम तीनों...

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रीता का कसूर प्रथम भाग By पूर्णिमा राज

म्हारी बनरी गुलाब का फूल , कि भँवरा बन्ना जी ।महारी बनरी चाँद का नूर ,कि चकोरा प्यारा बनरा जी ॥ एक घर में महिलाएं ढोल और हरमोनियम पर यह ब्याह गीत गा रही थी। यह घर था ' कटक निवा...

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काश में माँ न होती By Neerja Dewedy

काश! मैं माँ न होती आकाश में घने बादल छाये थे. रह-रह कर बिजली कड़कती थी. जनवरी की ठंड में सरसराती हवा के साथ खिड़की से आत...

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स्त्री By Rakesh Kumar Pandey Sagar

"स्त्री" स्त्री, एक शब्द जो देखने में अधूरा है, लेकिन अपने अंदर समेटे संसार पूरा है, सुनने में अक्सर आता है, घर में बिटिया हुई है, कहीं खुशी का साग...

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मधर्स डे - डिजीटल लव By Haresh Chaudhary

करवटें बदलते बदलते थक गई थी लेकिन नींद आंखों से कोसों दूर थी।आती भी केसे कल मदर्स डे जो है। पूरे 5 साल के बाद दोनों बच्चे होस्टल से घर आए हे। इन 5 सालों में मदर्स डे पर सिर्फ फोन प...

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डिवोर्स... By r k lal

डिवोर्स आर0 के0 लाल वकील साहब को आज घर पर बुलाया गया था। उनके साथ, ड्राइंग रूम में मेरे मम्मी-पापा, भाई, चाचा एवं पड़ोस के एक अंकल सभी बैठे थे। सामने चाय नाश्ता रखा था। सब एकमत...

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पूरे दिल से By Ritu Dubey

अपने दिल की बात ही तो सुनती हूँ, तभी तो इस जगह खड़ी हूँ ...

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बेवजह... भाग ६ By Harshad Molishree

अब तक..."विक्रम ठाकुर ने तन्ने हवेली पर बुलाया है, आज जो कुछ भी हवा उसके लिए ठाकुर साहब ने शमा मांगी है और तुझे नौकरी पर भी वापस बुलाया है"..."माँ, बापू को हवेली नही भेजना चाहती थी...

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मां का आँचल By Rakesh Kumar Pandey Sagar

1- "तेरे आँचल को छूने से" हे माँ तुझको नमन मेरा, तू ही श्रृंगार है मेरा, बहलता है ये मन मेरा , तेरे आँचल को छूने से।। तेरे ममता के आँचल में, पला बचपन मेरा ऐसे,...

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दादी,, By Nirpendra Kumar Sharma

चिंटू अरे ओ चिंटू,,,, अस्सी बरस की रामकली बिस्तर पर लेटे लेटे अपने पोते को पुकार रही है। रामकली बूढी अवश्य हो गई है किंतु जीवन जीने की आशा ने उसे कभी जीर्ण होने नहीं दिया। खाल सिकु...

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वो औरत है, क्या यही उसकी कमजोरी है। By Sonia chetan kanoongo

भाग दौड़ वाली जिंदगी से अनिता खुश तो नही थी पर ये उसकी नियति बन गयी थी , उसने हमेशा से सोचा कि बस ग्रहस्थ जीवन जीऊँगी जहाँ घर की जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभाउंगी, पर जो हम सोचते है अ...

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