hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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हमें देश को आगे ले जाना चाहिए ये हमारा कर्त्वय है हम ने जो किया वो मेने बताया अब आप भी करो ये काम - By Sawai Joshi Raj

ये बात उन दिनों की जब हम बच्चे थे हम तीन भाई है श्रवण कुमार जोशी  अर्जुनलाल शर्मा  जाजड़ा  और में जोशी राज हम तीनों एक अछे भाई और एक दोस्त कुल मिलके एक फेमली हम तीनों...

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रीता का कसूर प्रथम भाग By पूर्णिमा राज

म्हारी बनरी गुलाब का फूल , कि भँवरा बन्ना जी ।महारी बनरी चाँद का नूर ,कि चकोरा प्यारा बनरा जी ॥ एक घर में महिलाएं ढोल और हरमोनियम पर यह ब्याह गीत गा रही थी। यह घर था ' कटक निवा...

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काश में माँ न होती By Neerja Dewedy

काश! मैं माँ न होती आकाश में घने बादल छाये थे. रह-रह कर बिजली कड़कती थी. जनवरी की ठंड में सरसराती हवा के साथ खिड़की से आत...

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स्त्री By Rakesh Kumar Pandey Sagar

"स्त्री" स्त्री, एक शब्द जो देखने में अधूरा है, लेकिन अपने अंदर समेटे संसार पूरा है, सुनने में अक्सर आता है, घर में बिटिया हुई है, कहीं खुशी का साग...

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मधर्स डे - डिजीटल लव By Haresh Chaudhary

करवटें बदलते बदलते थक गई थी लेकिन नींद आंखों से कोसों दूर थी।आती भी केसे कल मदर्स डे जो है। पूरे 5 साल के बाद दोनों बच्चे होस्टल से घर आए हे। इन 5 सालों में मदर्स डे पर सिर्फ फोन प...

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डिवोर्स... By r k lal

डिवोर्स आर0 के0 लाल वकील साहब को आज घर पर बुलाया गया था। उनके साथ, ड्राइंग रूम में मेरे मम्मी-पापा, भाई, चाचा एवं पड़ोस के एक अंकल सभी बैठे थे। सामने चाय नाश्ता रखा था। सब एकमत...

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पूरे दिल से By Ritu Dubey

अपने दिल की बात ही तो सुनती हूँ, तभी तो इस जगह खड़ी हूँ ...

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बेवजह... भाग ६ By Harshad Molishree

अब तक..."विक्रम ठाकुर ने तन्ने हवेली पर बुलाया है, आज जो कुछ भी हवा उसके लिए ठाकुर साहब ने शमा मांगी है और तुझे नौकरी पर भी वापस बुलाया है"..."माँ, बापू को हवेली नही भेजना चाहती थी...

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मां का आँचल By Rakesh Kumar Pandey Sagar

1- "तेरे आँचल को छूने से" हे माँ तुझको नमन मेरा, तू ही श्रृंगार है मेरा, बहलता है ये मन मेरा , तेरे आँचल को छूने से।। तेरे ममता के आँचल में, पला बचपन मेरा ऐसे,...

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दादी,, By Nirpendra Kumar Sharma

चिंटू अरे ओ चिंटू,,,, अस्सी बरस की रामकली बिस्तर पर लेटे लेटे अपने पोते को पुकार रही है। रामकली बूढी अवश्य हो गई है किंतु जीवन जीने की आशा ने उसे कभी जीर्ण होने नहीं दिया। खाल सिकु...

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वो औरत है, क्या यही उसकी कमजोरी है। By Sonia chetan kanoongo

भाग दौड़ वाली जिंदगी से अनिता खुश तो नही थी पर ये उसकी नियति बन गयी थी , उसने हमेशा से सोचा कि बस ग्रहस्थ जीवन जीऊँगी जहाँ घर की जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभाउंगी, पर जो हम सोचते है अ...

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चरित्रहीन... By Bansari Rathod

"आ गई मेमसाब गुलछर्रे उड़ाके!! "अभी श्यामली के कदम घरमें पड़ने ही वाले थे की वहीं जम गए. "अरे! आप अभी तक सोए नहीं!!"बड़े ही मधुर स्वर में श्यामली ने सुबोध से कहा,, "और खाना खा...

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मैं बिलखती रही और वो बच्ची को लेकर चले गए। By Sonia chetan kanoongo

दीदी छोड़ आया वो उसको उसके माँ के घर, बहुत रो रही थी वो, मुझे बोली काकू बहुत मारा उसने मुझे देखो हाथों में नील पड़ गयी ,मेरी बेटी रोती रही पर मैं उसे अपने पास भी नही सुला पाई, सास आय...

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कोई अपनी माँ के पेट से सीख कर नही आता By Sonia chetan kanoongo

क्या ख़ुशी, घरवालों ने तुम्हारा नाम खुशी रखा है तब भी कभी तुम खुश नही रहती, हमेशा रोती रहती हो ,हताश रहती हो अपने खुद के घर मे यह हाल है तो कल को शादी होकर जाओगी तो कैसे अपनी जिंदगी...

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मेरे मगरूर सनम! By Pandit Swayam Prakash Mishra

....दोस्तों ! मैं स्वयं प्रकाश मिश्र     ग्राम: माल जिला लखनऊ  से हूं ...मैं आपके समक्ष अपनी पहली पुस्तक लेकर आया हूं जिसका शीर्षक है...." इक जिक्र उनका भी".......

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भगवान ने चाहा तो आज रात तुम मुझे नही देखोगी। By Sonia chetan kanoongo

     भगवान ने चाहा तो आज रात तुम मुझे नही देखोगी।नेहा स्तब्ध थी ऐसे शब्दों का प्रयोग मन को झगझोड़ देने वाला था,कोई इतना कठोर होकर कैसे जीवन खुशी से बिता सकता था,&nbsp...

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नागफनी के काँटे By Namita Gupta

सान्या पास आकर खुशी से चहकती हुईं बोली – “अरे दी आप कब आई ?,आपने बताया भी नहीं , आप अपने आने की खबर कर देती तो घर की साफ -सफाई ही करा दी जाती । अच्छा दी, कोई बात नहीं अब आप हमार...

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क्या शारिरिक शोषण ही महिला उत्पीड़न है? मानसिक शोषण नही । By Sonia chetan kanoongo

महिला यौन उत्पीड़न ना केवल भारत देश में अपनी जड़ों को जमा चुका है अपितु विदेशों में भी अपनी पकड़ बनाये हुए है, इसी के तहत एक नई सोच जो #मीटू के नाम से विख्यात हुई है वो बाढ़ की तरह अपन...

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चाहत By Rajesh Maheshwari

चाहत सावन माह में चारों ओर फैली हरियाली मन को प्रफुल्लित कर रहीं थी। आनन्द और राकेश बगीचे में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। उनमें इस बात पर चर्चा हो रही थी कि जीवन कैसा होना चाह...

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मैं तुम्हारा भगवान हूँ और तुम मेरी ग़ुलाम By Sonia chetan kanoongo

तो आखिर तुम चाहते क्या हो , ना तुम ये चाहते हो कि मैं नॉकरी छोड़ू औऱ न तुम मेरे घर के काम में हाथ बटाना चाहते हो, और ना ये चाहते हो कि माता पिता यहाँ आये । तो मैं क्या निर्जीव प्राण...

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इकतारे वाला जोगी - 2 By Dr kavita Tyagi

आभा की किशोरवयः पुत्री शुभ्रा भी मांँ की मनःस्थिति को ना समझते हुए उसके रोग का कारणभूत जोगी के इकतारे को समझती है और जोगी को हमेशा-हमेशा के लिए उस शहर को छोड़कर कहीं दूर चले जाने क...

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एक शतांश विवाह By Mamta shukla

आधुनिकता की परिभाषा के अलग अलग आयाम। पुरुष के झूठे अहम की पोल खोलती कहानी।हर व्यक्ति प्रेमिका तो मॉडल जैसी चाहता है किंतु पत्नी माँ सी।पुरुष अपने हर कृत को, अपने अन्दाज में, स्वयं...

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डोली चढ़ना जानूँ हूँ By Archana Singh

‘अंतरा मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठत...

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इकलौती पत्नी By Archana Singh

‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठते...

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बिखरे सपने By Manish Gode

ये कहानी एक ऐसी बंजारन की है, जो लीक से हट कर, थोड़ी महत्वाकांक्षी है... उसे औरों की तरह पिटी-पिटाई जिंदगी नहीं जीनी है... पढ़िए क्या उसके देखे सपने पूरे हुए..

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अंतरा By Archana Singh

‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठ...

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कंचन By Namita Gupta

कंचन एक सत्य घटना है
उन रिश्तो के लिए जो खून के न होके भी खून के होते है
यह कहानी में ये बताया गया है कि कैसे एक माँ दूसरे के बच्चों को भी अपने बच्चों जैसे प्यार देती लेकिन वो बच...

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अंतरा By Archana Singh

‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठ...

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अंतरा By Archana Singh

‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठ...

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चुनौती By Rajesh Kumar Dubey

ऐसी लड़की की कहानी जिसने प्रेम विवाह किया, जिसने अपने पत्ति को अपने से ज्यादा अहमियत दिया. अपने पति की इक्षा के सामने अपनी सारी इक्षाओं की कुर्बानी दे दी पर उसका पति तरह-तरह से उसे...

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रुश्दी By saksham dwivedi

पारसी धर्म में रक्त की पवित्रता पर बहुत ध्यान देते हैं यहां तक की वो शुद्ध रक्त ना मिलने पर रक्तदान अस्वीकार करके मौत तक चुन लेते हैं मगर रुश्दी इस से भी ज्यादा महत्व भावना की पवित...

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“लेडीज क्लब” By Hanif Madaar

एक शहर के बहाने ही सही अपने समय का इतिहास बनती ऐसी अनेक घटना-परिघटनाओं की आत्मीय एवं गहन पड़ताल सम्पूर्ण भारतीय समाज में समीक्षात्मक दृष्टि से संवेदना को तलाशना है।

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हमें देश को आगे ले जाना चाहिए ये हमारा कर्त्वय है हम ने जो किया वो मेने बताया अब आप भी करो ये काम - By Sawai Joshi Raj

ये बात उन दिनों की जब हम बच्चे थे हम तीन भाई है श्रवण कुमार जोशी  अर्जुनलाल शर्मा  जाजड़ा  और में जोशी राज हम तीनों एक अछे भाई और एक दोस्त कुल मिलके एक फेमली हम तीनों...

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रीता का कसूर प्रथम भाग By पूर्णिमा राज

म्हारी बनरी गुलाब का फूल , कि भँवरा बन्ना जी ।महारी बनरी चाँद का नूर ,कि चकोरा प्यारा बनरा जी ॥ एक घर में महिलाएं ढोल और हरमोनियम पर यह ब्याह गीत गा रही थी। यह घर था ' कटक निवा...

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काश में माँ न होती By Neerja Dewedy

काश! मैं माँ न होती आकाश में घने बादल छाये थे. रह-रह कर बिजली कड़कती थी. जनवरी की ठंड में सरसराती हवा के साथ खिड़की से आत...

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स्त्री By Rakesh Kumar Pandey Sagar

"स्त्री" स्त्री, एक शब्द जो देखने में अधूरा है, लेकिन अपने अंदर समेटे संसार पूरा है, सुनने में अक्सर आता है, घर में बिटिया हुई है, कहीं खुशी का साग...

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मधर्स डे - डिजीटल लव By Haresh Chaudhary

करवटें बदलते बदलते थक गई थी लेकिन नींद आंखों से कोसों दूर थी।आती भी केसे कल मदर्स डे जो है। पूरे 5 साल के बाद दोनों बच्चे होस्टल से घर आए हे। इन 5 सालों में मदर्स डे पर सिर्फ फोन प...

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डिवोर्स... By r k lal

डिवोर्स आर0 के0 लाल वकील साहब को आज घर पर बुलाया गया था। उनके साथ, ड्राइंग रूम में मेरे मम्मी-पापा, भाई, चाचा एवं पड़ोस के एक अंकल सभी बैठे थे। सामने चाय नाश्ता रखा था। सब एकमत...

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अब तक..."विक्रम ठाकुर ने तन्ने हवेली पर बुलाया है, आज जो कुछ भी हवा उसके लिए ठाकुर साहब ने शमा मांगी है और तुझे नौकरी पर भी वापस बुलाया है"..."माँ, बापू को हवेली नही भेजना चाहती थी...

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मां का आँचल By Rakesh Kumar Pandey Sagar

1- "तेरे आँचल को छूने से" हे माँ तुझको नमन मेरा, तू ही श्रृंगार है मेरा, बहलता है ये मन मेरा , तेरे आँचल को छूने से।। तेरे ममता के आँचल में, पला बचपन मेरा ऐसे,...

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दादी,, By Nirpendra Kumar Sharma

चिंटू अरे ओ चिंटू,,,, अस्सी बरस की रामकली बिस्तर पर लेटे लेटे अपने पोते को पुकार रही है। रामकली बूढी अवश्य हो गई है किंतु जीवन जीने की आशा ने उसे कभी जीर्ण होने नहीं दिया। खाल सिकु...

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वो औरत है, क्या यही उसकी कमजोरी है। By Sonia chetan kanoongo

भाग दौड़ वाली जिंदगी से अनिता खुश तो नही थी पर ये उसकी नियति बन गयी थी , उसने हमेशा से सोचा कि बस ग्रहस्थ जीवन जीऊँगी जहाँ घर की जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभाउंगी, पर जो हम सोचते है अ...

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चरित्रहीन... By Bansari Rathod

"आ गई मेमसाब गुलछर्रे उड़ाके!! "अभी श्यामली के कदम घरमें पड़ने ही वाले थे की वहीं जम गए. "अरे! आप अभी तक सोए नहीं!!"बड़े ही मधुर स्वर में श्यामली ने सुबोध से कहा,, "और खाना खा...

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मैं बिलखती रही और वो बच्ची को लेकर चले गए। By Sonia chetan kanoongo

दीदी छोड़ आया वो उसको उसके माँ के घर, बहुत रो रही थी वो, मुझे बोली काकू बहुत मारा उसने मुझे देखो हाथों में नील पड़ गयी ,मेरी बेटी रोती रही पर मैं उसे अपने पास भी नही सुला पाई, सास आय...

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कोई अपनी माँ के पेट से सीख कर नही आता By Sonia chetan kanoongo

क्या ख़ुशी, घरवालों ने तुम्हारा नाम खुशी रखा है तब भी कभी तुम खुश नही रहती, हमेशा रोती रहती हो ,हताश रहती हो अपने खुद के घर मे यह हाल है तो कल को शादी होकर जाओगी तो कैसे अपनी जिंदगी...

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मेरे मगरूर सनम! By Pandit Swayam Prakash Mishra

....दोस्तों ! मैं स्वयं प्रकाश मिश्र     ग्राम: माल जिला लखनऊ  से हूं ...मैं आपके समक्ष अपनी पहली पुस्तक लेकर आया हूं जिसका शीर्षक है...." इक जिक्र उनका भी".......

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भगवान ने चाहा तो आज रात तुम मुझे नही देखोगी। By Sonia chetan kanoongo

     भगवान ने चाहा तो आज रात तुम मुझे नही देखोगी।नेहा स्तब्ध थी ऐसे शब्दों का प्रयोग मन को झगझोड़ देने वाला था,कोई इतना कठोर होकर कैसे जीवन खुशी से बिता सकता था,&nbsp...

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नागफनी के काँटे By Namita Gupta

सान्या पास आकर खुशी से चहकती हुईं बोली – “अरे दी आप कब आई ?,आपने बताया भी नहीं , आप अपने आने की खबर कर देती तो घर की साफ -सफाई ही करा दी जाती । अच्छा दी, कोई बात नहीं अब आप हमार...

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क्या शारिरिक शोषण ही महिला उत्पीड़न है? मानसिक शोषण नही । By Sonia chetan kanoongo

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चाहत By Rajesh Maheshwari

चाहत सावन माह में चारों ओर फैली हरियाली मन को प्रफुल्लित कर रहीं थी। आनन्द और राकेश बगीचे में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। उनमें इस बात पर चर्चा हो रही थी कि जीवन कैसा होना चाह...

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इकतारे वाला जोगी - 2 By Dr kavita Tyagi

आभा की किशोरवयः पुत्री शुभ्रा भी मांँ की मनःस्थिति को ना समझते हुए उसके रोग का कारणभूत जोगी के इकतारे को समझती है और जोगी को हमेशा-हमेशा के लिए उस शहर को छोड़कर कहीं दूर चले जाने क...

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एक शतांश विवाह By Mamta shukla

आधुनिकता की परिभाषा के अलग अलग आयाम। पुरुष के झूठे अहम की पोल खोलती कहानी।हर व्यक्ति प्रेमिका तो मॉडल जैसी चाहता है किंतु पत्नी माँ सी।पुरुष अपने हर कृत को, अपने अन्दाज में, स्वयं...

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डोली चढ़ना जानूँ हूँ By Archana Singh

‘अंतरा मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठत...

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‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठते...

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अंतरा By Archana Singh

‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठ...

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‘अंतरा‘ मेरी पुस्तक का ये शीर्षक भी मेरी आत्मा की ही पुकार है। जीवन संगीत के मध्य का अंतरा अलग-अलग रुप,रंग में हमारे समक्ष आता रहता है। नारी के अंतर्मन में भी न जाने ऐसे कई सवाल उठ...

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ऐसी लड़की की कहानी जिसने प्रेम विवाह किया, जिसने अपने पत्ति को अपने से ज्यादा अहमियत दिया. अपने पति की इक्षा के सामने अपनी सारी इक्षाओं की कुर्बानी दे दी पर उसका पति तरह-तरह से उसे...

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रुश्दी By saksham dwivedi

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“लेडीज क्लब” By Hanif Madaar

एक शहर के बहाने ही सही अपने समय का इतिहास बनती ऐसी अनेक घटना-परिघटनाओं की आत्मीय एवं गहन पड़ताल सम्पूर्ण भारतीय समाज में समीक्षात्मक दृष्टि से संवेदना को तलाशना है।

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