hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • नारी हूँ...

    नारी हूँ... जरा ठहरो तो अपनी जथा कहूँ नारी हु........

  • राधिका

    5 दिसंबर 1975 को जन्मी थी हमारी नायिका....... हाँ शायद नायिका कहना ही ठीक होगा क...

  • औरतों की दुनिया

    औरतों की दुनिया (कहानीः पंकज सुबीर) ‘‘आज फिर देर हो गई ?’’ सुमित्रा ने पति के कं...

आघात - 17 By Dr kavita Tyagi

आघात डॉ. कविता त्यागी 17 पूजा सोचने लगी - माँ की कहानियाँ स्त्री को अबला बनाती हैं और उसको व्यवस्था से सामंजस्य करना सिखाती हैं ! वे कहानियाँ स्त्री को अपनी शोचनीय दशा में सुधार कर...

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लड़की हूँ... गुनहगार हूँ... By Dhruvin Mavani

क्या एक लड़की होना गुनाह है ? क्यों लोग हमारे लिए फैसले लेते है । क्यों लोगो को ये लगता है की हम काबिल नही और उनको हमे संभालने की जरूरत है । बचपन से अब तक हमेशा दुनिया ह...

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वो लडकी - भगवान ने बेटी नहीं मां दी है तुझे - 3 By Uday Veer

इधर लड़की जब मेले में घूमती है, तो उसे बड़ा मजा आता है, कई दिनों बाद खुले में घूमने को मिला, और फिर मेला तो होता ही मेला है, जो उसका मन करता है करती है, जो खाना होता है खाती है| मे...

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नारी हूँ... By Trisha R S

नारी हूँ... जरा ठहरो तो अपनी जथा कहूँ नारी हु.....सुन सकते हो तो, थोड़ी सी अपनी व्यथा कहूँ बात कुछ नयी नहीं है, चीरकाल पुरानी है बांध के रखा ह्रदय में...

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नारीयोत्तम नैना - 15 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

नारीयोत्तम नैना भाग-15 सभी रस्सी पर लटक गये। उन्होंने रस्सी पकड़कर धीरे-धीरे आगे की ओर खिसकना आरंभ किया। दलदली भूमि जैसे-तैसे पार हो गयी। पहाड़ पर चढ़ाई के पुर्व ही रात्रि घिर आई।...

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नफ़ीसा By PANKAJ SUBEER

नफ़ीसा कहानी पंकज सुबीर ‘‘मुँहजलों, खंजीर की औलादों तुम्हारे माँ बापों ने ये ही सिखाया है कि दूसरों के घरों में जाकर चोरियाँ करो’’ आज फिर नफ़ीसा का पारा सातवें आसमान पर है, पूरे मोहल...

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राधिका By आयुषी सिंह

5 दिसंबर 1975 को जन्मी थी हमारी नायिका....... हाँ शायद नायिका कहना ही ठीक होगा क्योंकि उसके माता पिता ने जो खूबसूरत नाम "राधिका" उसे दिया था उस नाम को उसके माता पिता के अलावा शायद...

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हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हैवनली हैल नीलम कुलश्रेष्ठ (3) ``सॉरी री मैडम !आई एम होल्डिंग यू टुडे. प्लीज़ ! सिट डाउन. `` मजबूरन उसे बैठना पड़ा था. ``इतने दिनों बाद आए हो. अच्छी अच्छी बात करो. अच्छा बताओ आई एम...

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औरतों की दुनिया By PANKAJ SUBEER

औरतों की दुनिया (कहानीः पंकज सुबीर) ‘‘आज फिर देर हो गई ?’’ सुमित्रा ने पति के कंधे पर टँगा बैग उतारते हुए धीमे से पूछा। ‘‘हाँ, आज भी वही सब हुआ, पूरे दिन कचहरी में खड़ा रहा तब जाकर...

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सुहागरात By Dr. Dilbag Singh Virk

सुहागरात मीनू का पारा चढ़ा हुआ था| शायद वह कहीं से लड़ कर आई थी| आते ही अंटी ने उसे मुकेश को साथ ले जाने को कहा| दांत पीसते हुए वह मुकेश को पीछे आने का इशारा करके आगे चल पड़ी| वह मुके...

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नींव By Kishanlal Sharma

न चाहते हुए भी विजय और मीना को बेटी की जिद्द के आगे झुकना पडा था।नीरजा डॉक्टर थी।वह एक अस्पताल मे नौकरी करती थी।दिन मे अस्पताल मे उसे एक मिनट की भी फुर्सत नही मिलती थी।रात को घर आन...

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हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली (3) दिन घिसट रहे हैं, रेंग रहे हैं ---जैसे हेतल के आँसू. कब तक वह् स्कूल ना जाती ?कब तक वह् मीडिया के सामने नहीं आती ?उसे भी लग रहा है वह् कैमरे के सामने...

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फाँस By Rajesh Bhatnagar

फाँस कमली न जाने क्यों मन में ईर्ष्या की गांठ लिये बड़ी देर तक मकान के छज्जे की छाया में बैठकर ऊंचे तारागढ़ की चोटी से मंथर गति से उतरती उस छांव को एकटक देखती रही जो पहाड़ से उतरकर न...

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औकात By shilpi krishna

' औकात ' "तुम्हारी औकात हैं इतने महंगे कपड़े लेने की , कभी माँ - बाप ने इतने महंगे कपड़े पहनाये हैं तुम्हे .....?" राजीव ने हिकारत से रश्मि से कहा । वो दोनो शॉपिंग करने मार...

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खुशियाँ लौट आयी By Satender_tiwari_brokenwordS

बारात दरवाज़े पे थी ।स्वागत में पूरा परिवार था , की तभी दूल्हे (अमन)के घर से फ़ोन आता है कि माँ की तबियत फिर बिगड़ गयी। पड़ोस के चाचा अस्पताल लेकर गए हैं। असल में माँ की तबियत सुबह सुब...

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फ़ैसला - 14 - अंतिम भाग By Rajesh Shukla

फ़ैसला (14) आज शायद इस मुकदमे का आखिरी दिन हो। यही बैठे-बैठे कमरें मंे सिद्धेश सोच ही रहा था कि अचानक उसका मोबाइल बजा। उसने उठाकर देखा तो डा. के.डी. लाइन पर थे। हैलो ! डा. साहब! सिद...

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सबरीना - 32 - अंतिम भाग By Dr Shushil Upadhyay

सबरीना (32) ‘कभी लौटकर आओगे प्रोफेसर!’ सबरीना, डाॅ. मिर्जाएव, छोटा चारी एयरपोर्ट पर सुशांत को छोड़ने आए थे। जारीना नहीं आई थी। दानिश आया था, उसे देखकर सुशांत को अच्छा लगा। अभी वो पू...

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १४. By DILIP UTTAM

-----अध्याय १४."शिक्षा कहाँ?"---- शिक्षा का भेदभाव आज भी बड़े स्तर पर परिवार वालों के चलते ही होता है, लड़कियां पढ़ नहीं पाती, उनकी सोच है कि लड़की पढ़ जाएगी तो मनमानी करेगी, अरे...

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आघात - 17 By Dr kavita Tyagi

आघात डॉ. कविता त्यागी 17 पूजा सोचने लगी - माँ की कहानियाँ स्त्री को अबला बनाती हैं और उसको व्यवस्था से सामंजस्य करना सिखाती हैं ! वे कहानियाँ स्त्री को अपनी शोचनीय दशा में सुधार कर...

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लड़की हूँ... गुनहगार हूँ... By Dhruvin Mavani

क्या एक लड़की होना गुनाह है ? क्यों लोग हमारे लिए फैसले लेते है । क्यों लोगो को ये लगता है की हम काबिल नही और उनको हमे संभालने की जरूरत है । बचपन से अब तक हमेशा दुनिया ह...

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वो लडकी - भगवान ने बेटी नहीं मां दी है तुझे - 3 By Uday Veer

इधर लड़की जब मेले में घूमती है, तो उसे बड़ा मजा आता है, कई दिनों बाद खुले में घूमने को मिला, और फिर मेला तो होता ही मेला है, जो उसका मन करता है करती है, जो खाना होता है खाती है| मे...

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नारी हूँ... By Trisha R S

नारी हूँ... जरा ठहरो तो अपनी जथा कहूँ नारी हु.....सुन सकते हो तो, थोड़ी सी अपनी व्यथा कहूँ बात कुछ नयी नहीं है, चीरकाल पुरानी है बांध के रखा ह्रदय में...

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नारीयोत्तम नैना - 15 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

नारीयोत्तम नैना भाग-15 सभी रस्सी पर लटक गये। उन्होंने रस्सी पकड़कर धीरे-धीरे आगे की ओर खिसकना आरंभ किया। दलदली भूमि जैसे-तैसे पार हो गयी। पहाड़ पर चढ़ाई के पुर्व ही रात्रि घिर आई।...

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नफ़ीसा By PANKAJ SUBEER

नफ़ीसा कहानी पंकज सुबीर ‘‘मुँहजलों, खंजीर की औलादों तुम्हारे माँ बापों ने ये ही सिखाया है कि दूसरों के घरों में जाकर चोरियाँ करो’’ आज फिर नफ़ीसा का पारा सातवें आसमान पर है, पूरे मोहल...

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राधिका By आयुषी सिंह

5 दिसंबर 1975 को जन्मी थी हमारी नायिका....... हाँ शायद नायिका कहना ही ठीक होगा क्योंकि उसके माता पिता ने जो खूबसूरत नाम "राधिका" उसे दिया था उस नाम को उसके माता पिता के अलावा शायद...

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हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हैवनली हैल नीलम कुलश्रेष्ठ (3) ``सॉरी री मैडम !आई एम होल्डिंग यू टुडे. प्लीज़ ! सिट डाउन. `` मजबूरन उसे बैठना पड़ा था. ``इतने दिनों बाद आए हो. अच्छी अच्छी बात करो. अच्छा बताओ आई एम...

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औरतों की दुनिया By PANKAJ SUBEER

औरतों की दुनिया (कहानीः पंकज सुबीर) ‘‘आज फिर देर हो गई ?’’ सुमित्रा ने पति के कंधे पर टँगा बैग उतारते हुए धीमे से पूछा। ‘‘हाँ, आज भी वही सब हुआ, पूरे दिन कचहरी में खड़ा रहा तब जाकर...

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सुहागरात By Dr. Dilbag Singh Virk

सुहागरात मीनू का पारा चढ़ा हुआ था| शायद वह कहीं से लड़ कर आई थी| आते ही अंटी ने उसे मुकेश को साथ ले जाने को कहा| दांत पीसते हुए वह मुकेश को पीछे आने का इशारा करके आगे चल पड़ी| वह मुके...

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नींव By Kishanlal Sharma

न चाहते हुए भी विजय और मीना को बेटी की जिद्द के आगे झुकना पडा था।नीरजा डॉक्टर थी।वह एक अस्पताल मे नौकरी करती थी।दिन मे अस्पताल मे उसे एक मिनट की भी फुर्सत नही मिलती थी।रात को घर आन...

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हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली (3) दिन घिसट रहे हैं, रेंग रहे हैं ---जैसे हेतल के आँसू. कब तक वह् स्कूल ना जाती ?कब तक वह् मीडिया के सामने नहीं आती ?उसे भी लग रहा है वह् कैमरे के सामने...

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फाँस By Rajesh Bhatnagar

फाँस कमली न जाने क्यों मन में ईर्ष्या की गांठ लिये बड़ी देर तक मकान के छज्जे की छाया में बैठकर ऊंचे तारागढ़ की चोटी से मंथर गति से उतरती उस छांव को एकटक देखती रही जो पहाड़ से उतरकर न...

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औकात By shilpi krishna

' औकात ' "तुम्हारी औकात हैं इतने महंगे कपड़े लेने की , कभी माँ - बाप ने इतने महंगे कपड़े पहनाये हैं तुम्हे .....?" राजीव ने हिकारत से रश्मि से कहा । वो दोनो शॉपिंग करने मार...

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खुशियाँ लौट आयी By Satender_tiwari_brokenwordS

बारात दरवाज़े पे थी ।स्वागत में पूरा परिवार था , की तभी दूल्हे (अमन)के घर से फ़ोन आता है कि माँ की तबियत फिर बिगड़ गयी। पड़ोस के चाचा अस्पताल लेकर गए हैं। असल में माँ की तबियत सुबह सुब...

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फ़ैसला - 14 - अंतिम भाग By Rajesh Shukla

फ़ैसला (14) आज शायद इस मुकदमे का आखिरी दिन हो। यही बैठे-बैठे कमरें मंे सिद्धेश सोच ही रहा था कि अचानक उसका मोबाइल बजा। उसने उठाकर देखा तो डा. के.डी. लाइन पर थे। हैलो ! डा. साहब! सिद...

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सबरीना - 32 - अंतिम भाग By Dr Shushil Upadhyay

सबरीना (32) ‘कभी लौटकर आओगे प्रोफेसर!’ सबरीना, डाॅ. मिर्जाएव, छोटा चारी एयरपोर्ट पर सुशांत को छोड़ने आए थे। जारीना नहीं आई थी। दानिश आया था, उसे देखकर सुशांत को अच्छा लगा। अभी वो पू...

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १४. By DILIP UTTAM

-----अध्याय १४."शिक्षा कहाँ?"---- शिक्षा का भेदभाव आज भी बड़े स्तर पर परिवार वालों के चलते ही होता है, लड़कियां पढ़ नहीं पाती, उनकी सोच है कि लड़की पढ़ जाएगी तो मनमानी करेगी, अरे...

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