hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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लव योर सेल्फ मम्मा By Dr Vinita Rahurikar

लव योर सेल्फ मम्मा किचन में मीनू के लिए मठरियाँ तलती अनुभा की आँखें बार-बार भर आ रही थीं. लेकिन मीनू के आसपास मंडराते रहने के कारण वह अपने आपको जब्त कर लेती और आँसुओं को आँखों में...

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साक्षात्कार - 2 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (2) उसे अपनी एक मित्र सिन्धु से जानकारी है जो इनके यहाँ काम कर चुकी है कि हर पाँचवें छठे महीने इनका विदेश टूर लगता रहता है. हर बात को वे विदेशी नज़रिये स...

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यादें - (पुरानी यादों का दर्द) - 2 By Uday Veer

कुछ धटनाऐ अचानक से धटित हो जाती है जिनके बारे मे हमने सोचा भी नहीं होता ऐसी ही एक धटना आपके लिए लेकर आ रहा हूँ जो कि बिलकुल सच्ची घटना है...रात को लगभग 9 बजे तीनो लोग(वीर, लक्ष्मण...

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भेड़ियों का पोशम्पा By Seema Sharma

भेड़ियों का पोशम्पा सीमा शर्मा भेड़ियों का झुंड दनदनाता हुआ आया और लाश के चारों ओर गोल-गोल चक्कर काटने लगा। उनमें से एक ने लाश को सूँघा। अचानक उसने नाक सिकोड़ ली। जैसे दुर्गंध लगी...

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नीला आकाश - 2 By Niraj Sharma

नीला आकाश (2) "क्या नाम है तुम्हारा?" "जी, नी...ला" झिझकते हुए धीरे से कहा उसने। "आओ बैठो।" वह सिकुड़ी-सी पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी। "तुम्हें इस तरह शर्माते हुए देखकर मुझे आश्चर्य ह...

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सनातन By Neelam Kulshreshtha

सनातन नीलम कुलश्रेष्ठ तब गाँधी जी के बंदरों की लोग अक्सर चर्चा करते थे, किस तरह वे सन्देश देतें हैं -`बुरा मत देखो `,बुरा मत सुनो `,बुरा मत कहो `. तब भी कौन सब ये बात मानते ही थे ?...

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रचयिता By Neelam Kulshreshtha

रचयिता नीलम कुलश्रेष्ठ ये शिक्षा संस्थान ओजस्विता का गढ़ है। इसके निदेशक भारतीय संस्कृति के पुजारी हैं। वे कुछ नया करने के जूनून में वे ये घोषणा करते हैं कि जल्दी ही इस संस्थान के क...

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एक तरफ़ा प्यार By preeti

एकतरफ़ा प्यार उत्तर यानी प्यार का अंत तीन सही कहा ना प्यार प्यार प्यार हवास क्या आप अपनी लड़कियों को बाहर भेजना चाहेंगे इतनी सुन्दर लड़कियाँ और आपने उनको घर में रखा है ये तो आपका न...

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फुलवा By Vandana Bajpai

फुलवा उफ़ ! अभी तक महारानी नहीं आयीं, घडी देखते हुए मेरे मुँह से स्वत: निकल गया | सुबह का समय वैसे भी कामकाजी औरतों के लिए बहुत कठिन होता है, एक हाथ और दस काम, क्या –क्या करें? आखिर...

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कुक बुक By shilpi krishna

"ये तो कुछ नही कर सकती , किसी भी काम कि नही है , बाज़ार से अकेले सब्जी भी नही ला सकती मेरी हेल्प के बिना , सच भाभी आप कितनी स्मार्ट और सुन्दर...

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आघात - 18 By Dr kavita Tyagi

आघात डॉ. कविता त्यागी 18 पूजा को ससुराल गये पाँच महीने बीत चुके थे। इस समयान्तराल में उसने मात्र दो पत्र अपनी कुशलता की सूचना देने के लिए भेजे थे एक ससुराल पहुंँचने के तत्काल बाद त...

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लड़की हूँ... गुनहगार हूँ... By Dhruvin Mavani

क्या एक लड़की होना गुनाह है ? क्यों लोग हमारे लिए फैसले लेते है । क्यों लोगो को ये लगता है की हम काबिल नही और उनको हमे संभालने की जरूरत है । बचपन से अब तक हमेशा दुनिया ह...

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वो लडकी - भगवान ने बेटी नहीं मां दी है तुझे - 3 By Uday Veer

इधर लड़की जब मेले में घूमती है, तो उसे बड़ा मजा आता है, कई दिनों बाद खुले में घूमने को मिला, और फिर मेला तो होता ही मेला है, जो उसका मन करता है करती है, जो खाना होता है खाती है| मे...

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नारी हूँ... By Trisha R S

नारी हूँ... जरा ठहरो तो अपनी जथा कहूँ नारी हु.....सुन सकते हो तो, थोड़ी सी अपनी व्यथा कहूँ बात कुछ नयी नहीं है, चीरकाल पुरानी है बांध के रखा ह्रदय में...

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नारीयोत्तम नैना - 15 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

नारीयोत्तम नैना भाग-15 सभी रस्सी पर लटक गये। उन्होंने रस्सी पकड़कर धीरे-धीरे आगे की ओर खिसकना आरंभ किया। दलदली भूमि जैसे-तैसे पार हो गयी। पहाड़ पर चढ़ाई के पुर्व ही रात्रि घिर आई।...

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नफ़ीसा By PANKAJ SUBEER

नफ़ीसा कहानी पंकज सुबीर ‘‘मुँहजलों, खंजीर की औलादों तुम्हारे माँ बापों ने ये ही सिखाया है कि दूसरों के घरों में जाकर चोरियाँ करो’’ आज फिर नफ़ीसा का पारा सातवें आसमान पर है, पूरे मोहल...

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राधिका By आयुषी सिंह

5 दिसंबर 1975 को जन्मी थी हमारी नायिका....... हाँ शायद नायिका कहना ही ठीक होगा क्योंकि उसके माता पिता ने जो खूबसूरत नाम "राधिका" उसे दिया था उस नाम को उसके माता पिता के अलावा शायद...

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हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हैवनली हैल नीलम कुलश्रेष्ठ (3) ``सॉरी री मैडम !आई एम होल्डिंग यू टुडे. प्लीज़ ! सिट डाउन. `` मजबूरन उसे बैठना पड़ा था. ``इतने दिनों बाद आए हो. अच्छी अच्छी बात करो. अच्छा बताओ आई एम...

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औरतों की दुनिया By PANKAJ SUBEER

औरतों की दुनिया (कहानीः पंकज सुबीर) ‘‘आज फिर देर हो गई ?’’ सुमित्रा ने पति के कंधे पर टँगा बैग उतारते हुए धीमे से पूछा। ‘‘हाँ, आज भी वही सब हुआ, पूरे दिन कचहरी में खड़ा रहा तब जाकर...

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सुहागरात By Dr. Dilbag Singh Virk

सुहागरात मीनू का पारा चढ़ा हुआ था| शायद वह कहीं से लड़ कर आई थी| आते ही अंटी ने उसे मुकेश को साथ ले जाने को कहा| दांत पीसते हुए वह मुकेश को पीछे आने का इशारा करके आगे चल पड़ी| वह मुके...

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नींव By Kishanlal Sharma

न चाहते हुए भी विजय और मीना को बेटी की जिद्द के आगे झुकना पडा था।नीरजा डॉक्टर थी।वह एक अस्पताल मे नौकरी करती थी।दिन मे अस्पताल मे उसे एक मिनट की भी फुर्सत नही मिलती थी।रात को घर आन...

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हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली (3) दिन घिसट रहे हैं, रेंग रहे हैं ---जैसे हेतल के आँसू. कब तक वह् स्कूल ना जाती ?कब तक वह् मीडिया के सामने नहीं आती ?उसे भी लग रहा है वह् कैमरे के सामने...

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लव योर सेल्फ मम्मा By Dr Vinita Rahurikar

लव योर सेल्फ मम्मा किचन में मीनू के लिए मठरियाँ तलती अनुभा की आँखें बार-बार भर आ रही थीं. लेकिन मीनू के आसपास मंडराते रहने के कारण वह अपने आपको जब्त कर लेती और आँसुओं को आँखों में...

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साक्षात्कार - 2 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (2) उसे अपनी एक मित्र सिन्धु से जानकारी है जो इनके यहाँ काम कर चुकी है कि हर पाँचवें छठे महीने इनका विदेश टूर लगता रहता है. हर बात को वे विदेशी नज़रिये स...

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यादें - (पुरानी यादों का दर्द) - 2 By Uday Veer

कुछ धटनाऐ अचानक से धटित हो जाती है जिनके बारे मे हमने सोचा भी नहीं होता ऐसी ही एक धटना आपके लिए लेकर आ रहा हूँ जो कि बिलकुल सच्ची घटना है...रात को लगभग 9 बजे तीनो लोग(वीर, लक्ष्मण...

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भेड़ियों का पोशम्पा By Seema Sharma

भेड़ियों का पोशम्पा सीमा शर्मा भेड़ियों का झुंड दनदनाता हुआ आया और लाश के चारों ओर गोल-गोल चक्कर काटने लगा। उनमें से एक ने लाश को सूँघा। अचानक उसने नाक सिकोड़ ली। जैसे दुर्गंध लगी...

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नीला आकाश - 2 By Niraj Sharma

नीला आकाश (2) "क्या नाम है तुम्हारा?" "जी, नी...ला" झिझकते हुए धीरे से कहा उसने। "आओ बैठो।" वह सिकुड़ी-सी पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी। "तुम्हें इस तरह शर्माते हुए देखकर मुझे आश्चर्य ह...

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सनातन By Neelam Kulshreshtha

सनातन नीलम कुलश्रेष्ठ तब गाँधी जी के बंदरों की लोग अक्सर चर्चा करते थे, किस तरह वे सन्देश देतें हैं -`बुरा मत देखो `,बुरा मत सुनो `,बुरा मत कहो `. तब भी कौन सब ये बात मानते ही थे ?...

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रचयिता By Neelam Kulshreshtha

रचयिता नीलम कुलश्रेष्ठ ये शिक्षा संस्थान ओजस्विता का गढ़ है। इसके निदेशक भारतीय संस्कृति के पुजारी हैं। वे कुछ नया करने के जूनून में वे ये घोषणा करते हैं कि जल्दी ही इस संस्थान के क...

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एक तरफ़ा प्यार By preeti

एकतरफ़ा प्यार उत्तर यानी प्यार का अंत तीन सही कहा ना प्यार प्यार प्यार हवास क्या आप अपनी लड़कियों को बाहर भेजना चाहेंगे इतनी सुन्दर लड़कियाँ और आपने उनको घर में रखा है ये तो आपका न...

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फुलवा By Vandana Bajpai

फुलवा उफ़ ! अभी तक महारानी नहीं आयीं, घडी देखते हुए मेरे मुँह से स्वत: निकल गया | सुबह का समय वैसे भी कामकाजी औरतों के लिए बहुत कठिन होता है, एक हाथ और दस काम, क्या –क्या करें? आखिर...

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आघात - 18 By Dr kavita Tyagi

आघात डॉ. कविता त्यागी 18 पूजा को ससुराल गये पाँच महीने बीत चुके थे। इस समयान्तराल में उसने मात्र दो पत्र अपनी कुशलता की सूचना देने के लिए भेजे थे एक ससुराल पहुंँचने के तत्काल बाद त...

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लड़की हूँ... गुनहगार हूँ... By Dhruvin Mavani

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वो लडकी - भगवान ने बेटी नहीं मां दी है तुझे - 3 By Uday Veer

इधर लड़की जब मेले में घूमती है, तो उसे बड़ा मजा आता है, कई दिनों बाद खुले में घूमने को मिला, और फिर मेला तो होता ही मेला है, जो उसका मन करता है करती है, जो खाना होता है खाती है| मे...

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नारी हूँ... By Trisha R S

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नफ़ीसा By PANKAJ SUBEER

नफ़ीसा कहानी पंकज सुबीर ‘‘मुँहजलों, खंजीर की औलादों तुम्हारे माँ बापों ने ये ही सिखाया है कि दूसरों के घरों में जाकर चोरियाँ करो’’ आज फिर नफ़ीसा का पारा सातवें आसमान पर है, पूरे मोहल...

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राधिका By आयुषी सिंह

5 दिसंबर 1975 को जन्मी थी हमारी नायिका....... हाँ शायद नायिका कहना ही ठीक होगा क्योंकि उसके माता पिता ने जो खूबसूरत नाम "राधिका" उसे दिया था उस नाम को उसके माता पिता के अलावा शायद...

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हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हैवनली हैल नीलम कुलश्रेष्ठ (3) ``सॉरी री मैडम !आई एम होल्डिंग यू टुडे. प्लीज़ ! सिट डाउन. `` मजबूरन उसे बैठना पड़ा था. ``इतने दिनों बाद आए हो. अच्छी अच्छी बात करो. अच्छा बताओ आई एम...

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औरतों की दुनिया (कहानीः पंकज सुबीर) ‘‘आज फिर देर हो गई ?’’ सुमित्रा ने पति के कंधे पर टँगा बैग उतारते हुए धीमे से पूछा। ‘‘हाँ, आज भी वही सब हुआ, पूरे दिन कचहरी में खड़ा रहा तब जाकर...

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सुहागरात By Dr. Dilbag Singh Virk

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नींव By Kishanlal Sharma

न चाहते हुए भी विजय और मीना को बेटी की जिद्द के आगे झुकना पडा था।नीरजा डॉक्टर थी।वह एक अस्पताल मे नौकरी करती थी।दिन मे अस्पताल मे उसे एक मिनट की भी फुर्सत नही मिलती थी।रात को घर आन...

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हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली (3) दिन घिसट रहे हैं, रेंग रहे हैं ---जैसे हेतल के आँसू. कब तक वह् स्कूल ना जाती ?कब तक वह् मीडिया के सामने नहीं आती ?उसे भी लग रहा है वह् कैमरे के सामने...

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