hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • वो भूली दास्तां, भाग-९

    जल्दी से सब उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। होश आने पर चांदनी ने जब अपने आपको हॉस्पिटल...

  • बदनाम राखी

    बेहद खूबसूरत लगता है ना रात के वक़्त सफर करना और इन ठंडी हवाओं से ना जाने कितनी...

  • गुलाबो - भाग 1

    दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर...

कमजोर की बीबी By Ranjana Jaiswal

वे डॉक्टर थे ।छोटे -मोटे नहीं ,बहुत बड़े डॉक्टर,पर बड़े ही सरल,सदय,हँसमुख,मिलनसार और समाजसेवी।पिछड़ी जाति के एक गरीब परिवार में जन्मे थे,इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की - 4 - अंतिम भाग By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (4) चश्मे वाला कुछ नही बोला। उसने केक का पैकेट लपेट कर मेज पर रख दिया। उसके चेहरे पर थकान और उदासी थी। ऊब और वितृष्णा भी थी...

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किराए के टीचर By saurabh dixit manas

"अरे! नाश्ता तो कर लेती..." सास की बात अनसुनी करते हुए सीमा बाहर निकल गई। "आज फिर लेट हो गई।" बुदबुदाते हुए बाएं कंधे से सरकते बैग को संभालती और दाईं कलाई पर बंधी छोटे से डायल की घ...

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स्त्री तू सबसे बड़ी अछूत By Ranjana Jaiswal

'तू अछूत है मेरे घर मत आना ...|’--आखिर तूने खानदान की नाक कटा दी न ....|‘’मुझे तो पहले से मालूम था ये लड़की कोई न कोई गुल खिलाएगी |’’‘अरे,किया भी तो कहाँ...कोई ढंग का लड़का नहीं...

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वो भूली दास्तां, भाग-९ By Saroj Prajapati

जल्दी से सब उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। होश आने पर चांदनी ने जब अपने आपको हॉस्पिटल में पाया तो आकाश की ओर प्रश्न भरी नजरों से देखा। तब आकाश ने उसे कहा "तुम काम करते हुए बेहोश हो गई थ...

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बिन साजन ना भावे सावन By AKANKSHA SRIVASTAVA

काले बदरे ,ओर रिमझिम फुहार...मोर के पंख सावन के झूले,गरजते बादलों में आपसी बातचीत ओर तुम ओर मैं।क्या तुम मुझे फिर अपने रंग में मुझे रंगोंगे मेरी रूह को तुम छुओगे। क्या हम चमकती बिज...

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चंचल की चाहतें By rajendra shrivastava

कहानी-- चंचल की चाहतें राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’है...हेल्‍लो प्रज्ञा; मैं चंचल!’’ ‘’हॉं चंचल बोलो।‘’ कुछ प्रतीक्षा...

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बदनाम राखी By Singh Srishti

बेहद खूबसूरत लगता है ना रात के वक़्त सफर करना और इन ठंडी हवाओं से ना जाने कितनी बातें करना , इन तारों का जगमगाना और आसमान से चांद का हमारा पीछा करना सब इतना ख़ूबसूरत लग रहा था मानो...

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गुलाबो - भाग 1 By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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द्रोपा भाभी By Lovelesh Dutt

“द्रोपा खत्म हो गयी” सुबह आँख खोलते ही माँ ने बताया, “सुबह तीन बजे के करीब खत्म हुई। लोगों की भीड़ लगी है। तुम भी हो आना, मैं तो देख आई।” जब तक मैं बिस्तर से उठता माँ ने मुझसे कह द...

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लहरें By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- लहरें --आर. एन. सुनगरया किसी भी जवान लड़की के लिये सुहागरात का इन्‍तजार कितना सुखद और म...

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बर्फ का गोला By Sheetal

मेरे प्यारे पार्क मेरा पहला प्यार हो तुम. तुम्हारी उम्र की तो ना शुरुआत है न आखिर. हर उम्र के यार हो तुम. मेरे सोलहवे साल कि कुछ परछाईयाँ अब भी तुम्हारे पास रखी है. शादी के पहले की...

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जीने के लिए - 6 अंतिम भाग By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें…. गतांक से आगे-----------/---------- इसके कुछ दिनों के पश्चात की घटना थी।दोपहर में विकास जी के बेटे मानस का फोन आया कि आन्ट...

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घर की मुर्गी - पार्ट - 8 By AKANKSHA SRIVASTAVA

एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर भी रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़...

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लच्छो By Lovelesh Dutt

नाम तो लक्ष्मी था उसका, लेकिन ऐसे नाम भाग्यहीनों, गरीबों और अनाथों को शोभा नहीं देते। शायद यही सोचकर पूरा मुहल्ला उसे लक्ष्मी नहीं लच्छो कहता था। उसकी प्रसिद्धि का कारण उसका नाम हो...

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अंगूरी अंग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- अंगूरी अंग आर.एन. सुनगरिया ‘’गीता.....गीता.....अरे किधर चली गई। गुडि़या तो...

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स्त्रियों की दशा। By Arjuna Bunty

नमस्कार, आज मै बात कर रहा हूं स्त्रियों के बारे में समाज की सोच आज के दौर में कैसे बदला जा सकता है। समाज के वैसे लोग जिसके घर बेटी नहीं है अब उन्हीं लोगों की मानसिकता को बदलने की ज...

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लिस्ट By Dr.Geeta Dwivedi

लिस्टस्नेहा हमेशा की तरह घर की सफाई में मगन गुनगुनाती जा रही ....... "न चिठिया कोई संदेसा।" ... तभी अचानक सौरभ माँ-माँ चिल्लाता घर में आया और माँ को पकड़कर झूमने लगा | "अरे-अरे !...

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चालीस पार की औरत और एक प्रश्न? By Vandana Gupta

चालीस पार की औरत और एक प्रश्न? चाँदनी रात के नाम से मशहूर गोष्ठी जिसमें तारों की छाँव में धरती के सितारे अवतरित हुए थे और अपनी विचारधारा से अवगत करा रहे थे । खामोशी के पाँव में मान...

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रक्षाबंधन By Medha Jha

#रक्षाबंधन के बहानेअबके बरस भेज भैया को बाबुल, सावन में लीजो बुलाय रेछलके नयन मोरा कसके रे जियरा, बचपन की जब याद आए रे…बंदिनी फिल्म का यह गीत आज के दिन फिर से प्रासंगिक हो गया है उ...

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हवस की आग - मासूम लड़की हुई हवस की शिकार By रनजीत कुमार तिवारी

आदरणीय पाठकों मेरा सादर प्रणाम यह कहानी मैं समाज में आए दिन घट रही घटनाओं से अवगत होकर इसपर प्रकाश डालने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं।अगर कोई कमी हो तो माफ़ करिएगा और अच्छा लगे तो म...

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मेरा बचपन चला गया By निशा शर्मा

भाभी आप हटो बाकी का काम मैं समेट लूंगी , इतनी साधारण सी बात संध्या को यूं लगी मानो किसी ने दिसंबर की भरी सर्दी में दो बाल्टी ठन्डा पानी उस पर डाल दिया हो,क्योंकि जो ननद कभी रसोई मे...

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गुनाह By Sunita Agarwal

इंसान जैसा बीज बोता है वैसे ही फल उसे काटने पड़ते हैं। जवानी में माया देवी ने गुनाह का जो बीज बोया था उसका फल उसके सामने था। आज जिंदगी के उस मोड़पर जब उसके जीवन का सूर्य कभी भी अस्त...

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बंसवा फुलाइल मोरे अँगना By Urmila Shukl

बंसवा फुलाइल मोरे अँगना उर्मिला शुक्ल बाथरूम में शीशे के सामने खड़ी वह देख रही थी, अपने आपको । लग रहा था, जैसे एक ही रात में सब कुछ बदल गया है । उसे लग ही नहीं रहा था कि वह वही सीमा...

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पैडमेन फ़िल्म के बहाने By Neelam Kulshreshtha

पैडमेन फ़िल्म के बहाने [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] मुझे लगता है फ़िल्म पैडमेन ने एक सामाजिक क्रांति कर दी है। लोग आज खुलकर स्त्रियों द्वारा मासिक धर्म या माहवारी या ऋतुचक्र या मेंस्ट्रुअल सा...

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अधिकार By Sudha Adesh

अधिकारप्रेम में त्याग होता है स्वार्थ नहीं. जो यह कहता है कि अगर तुम मेरे नहीं हो सके तो किसी दूसरे के भी नहीं हो सकते…यहाँ प्यार नहीं स्वार्थ बोल रहा है…। सच तो यह है कि प्रेम में...

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अविश्वास By VANDANA VANI SINGH

कहते है बेचैनियो का कोई ठिकाना नहीं होता अपना ही दिल भाग जाना चाहता है अपनी बेचैनी से कहीं दूर कुछ एसा ही इन दिनों रश्मी साथ हो रहा कहने को आज सादी भले ही दो साल हो गए सादी लेकिन उ...

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औरतें रोती नहीं - 25 - अंतिम भाग By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 25 इस मोड़ से आगे रात जमकर नींद आई। बारह बजे उसे स्टूडियो पहुंचना था। तैयार होने से पहले आंटी का नौकर सतीश बता गया कि कोई फैजल आया है उससे मिल...

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कड़क रोटी... By सिमरन जयेश्वरी

"उफ़्फ़!!! यार मैं तंग आ चुकी हूं। इस रोटी मेकर को भी आज ही खराब होना था।" किचन में रोटी बना रही अर्चना ने अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा। "क्या हुआ अर्चना। क्यों परेशान हो गई तुम...

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कमजोर की बीबी By Ranjana Jaiswal

वे डॉक्टर थे ।छोटे -मोटे नहीं ,बहुत बड़े डॉक्टर,पर बड़े ही सरल,सदय,हँसमुख,मिलनसार और समाजसेवी।पिछड़ी जाति के एक गरीब परिवार में जन्मे थे,इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की - 4 - अंतिम भाग By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (4) चश्मे वाला कुछ नही बोला। उसने केक का पैकेट लपेट कर मेज पर रख दिया। उसके चेहरे पर थकान और उदासी थी। ऊब और वितृष्णा भी थी...

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किराए के टीचर By saurabh dixit manas

"अरे! नाश्ता तो कर लेती..." सास की बात अनसुनी करते हुए सीमा बाहर निकल गई। "आज फिर लेट हो गई।" बुदबुदाते हुए बाएं कंधे से सरकते बैग को संभालती और दाईं कलाई पर बंधी छोटे से डायल की घ...

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स्त्री तू सबसे बड़ी अछूत By Ranjana Jaiswal

'तू अछूत है मेरे घर मत आना ...|’--आखिर तूने खानदान की नाक कटा दी न ....|‘’मुझे तो पहले से मालूम था ये लड़की कोई न कोई गुल खिलाएगी |’’‘अरे,किया भी तो कहाँ...कोई ढंग का लड़का नहीं...

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वो भूली दास्तां, भाग-९ By Saroj Prajapati

जल्दी से सब उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। होश आने पर चांदनी ने जब अपने आपको हॉस्पिटल में पाया तो आकाश की ओर प्रश्न भरी नजरों से देखा। तब आकाश ने उसे कहा "तुम काम करते हुए बेहोश हो गई थ...

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बिन साजन ना भावे सावन By AKANKSHA SRIVASTAVA

काले बदरे ,ओर रिमझिम फुहार...मोर के पंख सावन के झूले,गरजते बादलों में आपसी बातचीत ओर तुम ओर मैं।क्या तुम मुझे फिर अपने रंग में मुझे रंगोंगे मेरी रूह को तुम छुओगे। क्या हम चमकती बिज...

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चंचल की चाहतें By rajendra shrivastava

कहानी-- चंचल की चाहतें राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’है...हेल्‍लो प्रज्ञा; मैं चंचल!’’ ‘’हॉं चंचल बोलो।‘’ कुछ प्रतीक्षा...

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बदनाम राखी By Singh Srishti

बेहद खूबसूरत लगता है ना रात के वक़्त सफर करना और इन ठंडी हवाओं से ना जाने कितनी बातें करना , इन तारों का जगमगाना और आसमान से चांद का हमारा पीछा करना सब इतना ख़ूबसूरत लग रहा था मानो...

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गुलाबो - भाग 1 By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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द्रोपा भाभी By Lovelesh Dutt

“द्रोपा खत्म हो गयी” सुबह आँख खोलते ही माँ ने बताया, “सुबह तीन बजे के करीब खत्म हुई। लोगों की भीड़ लगी है। तुम भी हो आना, मैं तो देख आई।” जब तक मैं बिस्तर से उठता माँ ने मुझसे कह द...

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लहरें By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- लहरें --आर. एन. सुनगरया किसी भी जवान लड़की के लिये सुहागरात का इन्‍तजार कितना सुखद और म...

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बर्फ का गोला By Sheetal

मेरे प्यारे पार्क मेरा पहला प्यार हो तुम. तुम्हारी उम्र की तो ना शुरुआत है न आखिर. हर उम्र के यार हो तुम. मेरे सोलहवे साल कि कुछ परछाईयाँ अब भी तुम्हारे पास रखी है. शादी के पहले की...

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जीने के लिए - 6 अंतिम भाग By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें…. गतांक से आगे-----------/---------- इसके कुछ दिनों के पश्चात की घटना थी।दोपहर में विकास जी के बेटे मानस का फोन आया कि आन्ट...

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घर की मुर्गी - पार्ट - 8 By AKANKSHA SRIVASTAVA

एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर भी रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़...

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लच्छो By Lovelesh Dutt

नाम तो लक्ष्मी था उसका, लेकिन ऐसे नाम भाग्यहीनों, गरीबों और अनाथों को शोभा नहीं देते। शायद यही सोचकर पूरा मुहल्ला उसे लक्ष्मी नहीं लच्छो कहता था। उसकी प्रसिद्धि का कारण उसका नाम हो...

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अंगूरी अंग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- अंगूरी अंग आर.एन. सुनगरिया ‘’गीता.....गीता.....अरे किधर चली गई। गुडि़या तो...

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स्त्रियों की दशा। By Arjuna Bunty

नमस्कार, आज मै बात कर रहा हूं स्त्रियों के बारे में समाज की सोच आज के दौर में कैसे बदला जा सकता है। समाज के वैसे लोग जिसके घर बेटी नहीं है अब उन्हीं लोगों की मानसिकता को बदलने की ज...

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लिस्ट By Dr.Geeta Dwivedi

लिस्टस्नेहा हमेशा की तरह घर की सफाई में मगन गुनगुनाती जा रही ....... "न चिठिया कोई संदेसा।" ... तभी अचानक सौरभ माँ-माँ चिल्लाता घर में आया और माँ को पकड़कर झूमने लगा | "अरे-अरे !...

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चालीस पार की औरत और एक प्रश्न? By Vandana Gupta

चालीस पार की औरत और एक प्रश्न? चाँदनी रात के नाम से मशहूर गोष्ठी जिसमें तारों की छाँव में धरती के सितारे अवतरित हुए थे और अपनी विचारधारा से अवगत करा रहे थे । खामोशी के पाँव में मान...

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रक्षाबंधन By Medha Jha

#रक्षाबंधन के बहानेअबके बरस भेज भैया को बाबुल, सावन में लीजो बुलाय रेछलके नयन मोरा कसके रे जियरा, बचपन की जब याद आए रे…बंदिनी फिल्म का यह गीत आज के दिन फिर से प्रासंगिक हो गया है उ...

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हवस की आग - मासूम लड़की हुई हवस की शिकार By रनजीत कुमार तिवारी

आदरणीय पाठकों मेरा सादर प्रणाम यह कहानी मैं समाज में आए दिन घट रही घटनाओं से अवगत होकर इसपर प्रकाश डालने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं।अगर कोई कमी हो तो माफ़ करिएगा और अच्छा लगे तो म...

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मेरा बचपन चला गया By निशा शर्मा

भाभी आप हटो बाकी का काम मैं समेट लूंगी , इतनी साधारण सी बात संध्या को यूं लगी मानो किसी ने दिसंबर की भरी सर्दी में दो बाल्टी ठन्डा पानी उस पर डाल दिया हो,क्योंकि जो ननद कभी रसोई मे...

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गुनाह By Sunita Agarwal

इंसान जैसा बीज बोता है वैसे ही फल उसे काटने पड़ते हैं। जवानी में माया देवी ने गुनाह का जो बीज बोया था उसका फल उसके सामने था। आज जिंदगी के उस मोड़पर जब उसके जीवन का सूर्य कभी भी अस्त...

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बंसवा फुलाइल मोरे अँगना By Urmila Shukl

बंसवा फुलाइल मोरे अँगना उर्मिला शुक्ल बाथरूम में शीशे के सामने खड़ी वह देख रही थी, अपने आपको । लग रहा था, जैसे एक ही रात में सब कुछ बदल गया है । उसे लग ही नहीं रहा था कि वह वही सीमा...

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पैडमेन फ़िल्म के बहाने By Neelam Kulshreshtha

पैडमेन फ़िल्म के बहाने [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] मुझे लगता है फ़िल्म पैडमेन ने एक सामाजिक क्रांति कर दी है। लोग आज खुलकर स्त्रियों द्वारा मासिक धर्म या माहवारी या ऋतुचक्र या मेंस्ट्रुअल सा...

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अधिकार By Sudha Adesh

अधिकारप्रेम में त्याग होता है स्वार्थ नहीं. जो यह कहता है कि अगर तुम मेरे नहीं हो सके तो किसी दूसरे के भी नहीं हो सकते…यहाँ प्यार नहीं स्वार्थ बोल रहा है…। सच तो यह है कि प्रेम में...

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अविश्वास By VANDANA VANI SINGH

कहते है बेचैनियो का कोई ठिकाना नहीं होता अपना ही दिल भाग जाना चाहता है अपनी बेचैनी से कहीं दूर कुछ एसा ही इन दिनों रश्मी साथ हो रहा कहने को आज सादी भले ही दो साल हो गए सादी लेकिन उ...

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औरतें रोती नहीं - 25 - अंतिम भाग By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 25 इस मोड़ से आगे रात जमकर नींद आई। बारह बजे उसे स्टूडियो पहुंचना था। तैयार होने से पहले आंटी का नौकर सतीश बता गया कि कोई फैजल आया है उससे मिल...

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कड़क रोटी... By सिमरन जयेश्वरी

"उफ़्फ़!!! यार मैं तंग आ चुकी हूं। इस रोटी मेकर को भी आज ही खराब होना था।" किचन में रोटी बना रही अर्चना ने अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा। "क्या हुआ अर्चना। क्यों परेशान हो गई तुम...

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