hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अंतर्द्वन्द - 5

    अंतर्द्वन्द -5अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा एक बेटी की माँ बन जाती है।अब आगे पढिये :-...

  • शहीद की विधवा

    गाँव के कुएँ पर___ कस्तूरी को आता हुआ देखकर ,विमला बोली__ लो आ गई महारानी,अब प...

  • मैं गूँगी नहीं, बना दी गई

    मैं गूंँगी नहीं बना दी गई...!! ये मेरे बचपन की बात है,तब मैं अपनी नानी के यहाँ क...

जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 3 By Neerja Hemendra

कहानी -3- आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो कर वह स्वयं को ध्यानपूर्वक देख रही थी। उसने अपना चेहरा अनेक कोणों से घुमा-घुमा कर देखा। पुनः स्वयं को नख से शिख तक देखा। भरपूर दृष्टि व हर को...

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पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक By Neelam Kulshreshtha

पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक नीलम कुलश्रेष्ठ [ बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से स्त्री विमर्श ने द्रुत गति पकड़ी है. सारी दुनिया की स्त्रियां इस बात से...

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त्रिखंडिता - 22 - अंतिम भाग By Ranjana Jaiswal

त्रिखंडिता 22 'मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ | ' -पर मैं तो मानता हूँ | 'मान लेने से कोई किसी की पत्नी नहीं हो जाती | ' -तो इधर आओ| उन्होंने उसे बांह से पकड़ा और घर के उस...

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अंतर्द्वन्द - 5 By Sunita Agarwal

अंतर्द्वन्द -5अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा एक बेटी की माँ बन जाती है।अब आगे पढिये :- वह बहुत खुश है कि चलो पराये से लगने वाले इस घर में कोई तो ऐसा आया, जिसे वह अपना कह सकती है।उसके मासू...

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शहीद की विधवा By Saroj Verma

गाँव के कुएँ पर___ कस्तूरी को आता हुआ देखकर ,विमला बोली__ लो आ गई महारानी,अब पूछ लो।। तभी शीला बोल पड़ी___ क्यों री !तेरा ब्याह तय हो गया और तूने हमें बताया ही नहीं॥ वो बताने वाली...

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मैं गूँगी नहीं, बना दी गई By Saroj Verma

मैं गूंँगी नहीं बना दी गई...!! ये मेरे बचपन की बात है,तब मैं अपनी नानी के यहाँ कभी कभार जाती थीं, उस समय के गाँव और अब के गाँव में बहुत फर्क हैं, लगभग तीस साल पहले की बात होगी, उस...

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The girl's life is abandoned without dreams - 2 By navita

???Noor???Part - 2चली थी मैं अपनों पर यक़ीन करने..मेरे अपनों ने था, मेरे यक़ीन को तोड़ा..बाहर से ज्यादा, अपनों से था मैंने मुँह मोड़ा..इज़्ज़त का रख ध्यान...,अपनों से रहना पहला सावधान...

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कोख से कब्र तक: स्त्री-विमर्श के विभिन्न रूप By Santosh Srivastav

रवीन्द्र कात्यायन "मुझे जन्म दो मांताकि मैं लपटों की रोशनाई से आग की कलम पकड़कर रचूं धूप का वह गीत जो संदूकों में बंद औरत के बुसाए सीलन भरे अतीत को दफ़न कर उगे सूरज की तरह पूरब की दि...

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नियति... - 12 - (अंतिम भाग) By Apoorva Singh

गार्ड कार्ड देख अंदर आफिस रिसेप्शन में कॉल करता है और कॉल कर पूछता है कि दो लोग आफिस के बाहर खड़े हुए है उनका कहना है कि वो कम्पनी ने को प्रतियोगिता स्पॉन्सर की वहीं से आए है। उन्ह...

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पम्मी मम्मी .... By मंजरी शर्मा

नमस्ते जी; कैसे हैं आप? अरे!! आपने मुझे पहचाना नहीं. मैं पम्मी; लेकिन मैं पम्मी मम्मी नहीं...रुकिए ज़रा; ठहरिये; परेशान मत होइए ... आराम से बताती हूँ. ज़रा खिड़की वाली सीट पर बैठ तो ज...

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खुली हवा में जीने की तमन्ना By r k lal

खुली हवा में जीने की तमन्नाआर0 के0 लालइन्दु ने नितिन से कई बार अपने बैवाहिक जीवन के बारे में बात की लेकिन उसे नहीं लगा कि वेदोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा समय तक रह पाएंगे। इसलिए उन...

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पत्नी की ख़ुशी By navita

ये दिल मजबूर है ,तेरा दिल मेरे दिल से दूर है ,पत्नी हो मैं तेरी ,फिर भी क्यों ये दिल मजबूर है lतेरी ख़ुशी के लिए मरती मैं ,तेरा खुद से ज्यादा करती मैं ,फिर भी क्यों तेरे से डरती मैं...

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दो रोटियां By Anil jaiswal

सुधा रोज उस भिखारी को देखती थी। देखने मे ढीला-ढाला, बढ़ी हुई दाढ़ी, बेतरतीब बाल। आमतौर पर कोई उस पर सरसरी तौर पर भी नजर डालना पसंद नहीं करता था। पर पता नही क्यों, सुधा की नजरें उस...

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औरत (दास्ताये) By Surbhi Singh

समाज का एक अहम हिस्सा जिन्हें महिला के नाम से जाना जाता है | ये महिलाएँ जो जन्म लेने पर अपने घर की बेटी, बहने बनती हैं, वही शादी के बाद बहु, भाभी, पत्नि का किरदार अदा करती है |यदि...

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गच्चा By रामगोपाल तिवारी

कहानी गच्चा रामगोपाल भावुक ‘वन्दना तू लड़की की जात ठहरी, देख कें च...

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जाल By Anil jaiswal

जाल ‘अरे विकास, आज इतनी जल्दी क्यों मचा रहे हो? अभी तो टाइम भी नहीं हुआ है।’-विनोद ने झल्लाते हुए कहा। सच भी था। विकास काम को बीच में छोड़ कर जाने की तैयारी कर रहा था जबकि आज मही...

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जो जहाँ है By Ramnarayan Sungariya

कहानी जो जहाँ है आर. एन. सुनगरया,...

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गिद्ध By Akhilesh Srivastava

कहानी गिद्ध...

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जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 3 By Neerja Hemendra

कहानी -3- आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो कर वह स्वयं को ध्यानपूर्वक देख रही थी। उसने अपना चेहरा अनेक कोणों से घुमा-घुमा कर देखा। पुनः स्वयं को नख से शिख तक देखा। भरपूर दृष्टि व हर को...

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पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक By Neelam Kulshreshtha

पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक नीलम कुलश्रेष्ठ [ बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से स्त्री विमर्श ने द्रुत गति पकड़ी है. सारी दुनिया की स्त्रियां इस बात से...

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त्रिखंडिता - 22 - अंतिम भाग By Ranjana Jaiswal

त्रिखंडिता 22 'मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ | ' -पर मैं तो मानता हूँ | 'मान लेने से कोई किसी की पत्नी नहीं हो जाती | ' -तो इधर आओ| उन्होंने उसे बांह से पकड़ा और घर के उस...

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अंतर्द्वन्द - 5 By Sunita Agarwal

अंतर्द्वन्द -5अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा एक बेटी की माँ बन जाती है।अब आगे पढिये :- वह बहुत खुश है कि चलो पराये से लगने वाले इस घर में कोई तो ऐसा आया, जिसे वह अपना कह सकती है।उसके मासू...

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शहीद की विधवा By Saroj Verma

गाँव के कुएँ पर___ कस्तूरी को आता हुआ देखकर ,विमला बोली__ लो आ गई महारानी,अब पूछ लो।। तभी शीला बोल पड़ी___ क्यों री !तेरा ब्याह तय हो गया और तूने हमें बताया ही नहीं॥ वो बताने वाली...

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मैं गूँगी नहीं, बना दी गई By Saroj Verma

मैं गूंँगी नहीं बना दी गई...!! ये मेरे बचपन की बात है,तब मैं अपनी नानी के यहाँ कभी कभार जाती थीं, उस समय के गाँव और अब के गाँव में बहुत फर्क हैं, लगभग तीस साल पहले की बात होगी, उस...

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The girl's life is abandoned without dreams - 2 By navita

???Noor???Part - 2चली थी मैं अपनों पर यक़ीन करने..मेरे अपनों ने था, मेरे यक़ीन को तोड़ा..बाहर से ज्यादा, अपनों से था मैंने मुँह मोड़ा..इज़्ज़त का रख ध्यान...,अपनों से रहना पहला सावधान...

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कोख से कब्र तक: स्त्री-विमर्श के विभिन्न रूप By Santosh Srivastav

रवीन्द्र कात्यायन "मुझे जन्म दो मांताकि मैं लपटों की रोशनाई से आग की कलम पकड़कर रचूं धूप का वह गीत जो संदूकों में बंद औरत के बुसाए सीलन भरे अतीत को दफ़न कर उगे सूरज की तरह पूरब की दि...

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नियति... - 12 - (अंतिम भाग) By Apoorva Singh

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नमस्ते जी; कैसे हैं आप? अरे!! आपने मुझे पहचाना नहीं. मैं पम्मी; लेकिन मैं पम्मी मम्मी नहीं...रुकिए ज़रा; ठहरिये; परेशान मत होइए ... आराम से बताती हूँ. ज़रा खिड़की वाली सीट पर बैठ तो ज...

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पत्नी की ख़ुशी By navita

ये दिल मजबूर है ,तेरा दिल मेरे दिल से दूर है ,पत्नी हो मैं तेरी ,फिर भी क्यों ये दिल मजबूर है lतेरी ख़ुशी के लिए मरती मैं ,तेरा खुद से ज्यादा करती मैं ,फिर भी क्यों तेरे से डरती मैं...

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दो रोटियां By Anil jaiswal

सुधा रोज उस भिखारी को देखती थी। देखने मे ढीला-ढाला, बढ़ी हुई दाढ़ी, बेतरतीब बाल। आमतौर पर कोई उस पर सरसरी तौर पर भी नजर डालना पसंद नहीं करता था। पर पता नही क्यों, सुधा की नजरें उस...

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औरत (दास्ताये) By Surbhi Singh

समाज का एक अहम हिस्सा जिन्हें महिला के नाम से जाना जाता है | ये महिलाएँ जो जन्म लेने पर अपने घर की बेटी, बहने बनती हैं, वही शादी के बाद बहु, भाभी, पत्नि का किरदार अदा करती है |यदि...

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गच्चा By रामगोपाल तिवारी

कहानी गच्चा रामगोपाल भावुक ‘वन्दना तू लड़की की जात ठहरी, देख कें च...

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जाल By Anil jaiswal

जाल ‘अरे विकास, आज इतनी जल्दी क्यों मचा रहे हो? अभी तो टाइम भी नहीं हुआ है।’-विनोद ने झल्लाते हुए कहा। सच भी था। विकास काम को बीच में छोड़ कर जाने की तैयारी कर रहा था जबकि आज मही...

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जो जहाँ है By Ramnarayan Sungariya

कहानी जो जहाँ है आर. एन. सुनगरया,...

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गिद्ध By Akhilesh Srivastava

कहानी गिद्ध...

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