hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। By ramgopal bhavuk

मैंने प्रथम श्रेणी से कक्षा पाँच पास कर लिया था। मैं कक्षा छह की किताबं स्कूल बैग में पीठ पर लादकर स्कूल जाने लगी। कक्षा तीन पास करके मेरी यह आदत बन गई कि दुकानों पर लिखे हिन्दी के...

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परम्परावादी समाज में मैहर By ramgopal bhavuk

मेरे मित्र कहते हैं,-‘यार शब्बीर खान, तेरी किस्मत बहुत बुलन्द है, हमें तो मैहर घास ही नहीं डालती।’ सच तो यह है मेरी कौम की एक मात्र लड़की कॉलेज में पढ़ती है। उसका ध्यान रखना मेरा फर्...

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शिक्षा रूपी दरवाजा By Pragya Chandna

सोनी भारत के एक छोटे से गांव में रहने वाली आठ वर्षीय बालिका है....वह आज भी रोज की तरह अपने बापू से डरी-सहमी गेहूं के भूसे के ढेर में छुपी बैठी हुई है। गेहूं के भूसे से उसके पूरे शर...

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प्रेम के नवरात्रि By Pinku Juni

आज फिर साल का दूसरा महीना आया है सब के मन में अनेको समन्दर के बराबर उफान है, विशेष कर लड़कियो के मन में. पर कुछ समझ नहीं आता की क्या करू किस से बोलूँ,हा ये विचार सामान्य बात है.पर...

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रुक जा नूपुर By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ “आज तुझे बरसों बाद पकड़ा है ।” बाज़ार में सहसा किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा । मैं चौंक कर मुड़ी, एक भरे बदन वाली गोरे रंग की युवती मेरे मुड़ते ही मुस्कर...

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ख्वाब जो अधूरे रह गए By Sweety Sharma

हमेशा से बस एक ही ख्वाब देखा है ,और आज फिर एक दिन आया है इस ख्याब को पूरा होते हुए देखने का । आज खुशी का कोई ठिकाना ना था । ऑफिस से जल्दी- जल्दी काम ख़त्म किया और घर की और भागी । र...

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बेटी या माँ By Annada patni

अन्नदा पाटनी अचानक पता लगा कि पिताजी को कैंसर है तो सावेरी की तो जैसे जान ही निकल गई । कैसे क्या होगा ? मां हैं नहीं और परिवार में भी कोई और नहीं है जो उनकी देखभाल कर सके । एक भाई...

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कोरोना काल में बढ़ी घरेलू हिंसा चिंता का सबब। By विवेक वर्मा

कोरोना नें सामान्य जीवन जी रहे लोगों के जीवन शैली को किसी न किसी रूप में प्रभावित जरूर किया है।कोरोना के डर की वजह से लोगो को बीच एक बार बढ़ी दूरी अब भी डर की वजह से लोगों के बीच बन...

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सुनंदा छोकरी की डायरी By Suryabala

सूर्यबाला आज मैं कितने सुब्‍बे-सुब्‍बे उठ गई। खुशखुश बाल बनाया, पीला रिबन बाँधा। माँ के काम वाली बाई का दिया चमाचम फ्रॉक पेना। बाहर आई तो बाजू वाला करीम काका मेरे कू देखके...

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कुर्सी मेज By Satish Sardana Kumar

लड़कियों को पता नहीं ज़िंदगी से क्या चाहिए होता हैपूरी आयु असंतुष्ट रहती हैंऔर मजे में रहती हैंअसंतोष को दूर करने के लिए गहने बनवाती हैं और गहने तुड़वाती रहती हैं।पति से नफ़रत करती है,...

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तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी हैं? By Saroj Verma

तेरा साथ हैं तो मुझे क्या कमी है? मम्मा! आपका टिफिन, फिर छोड़ दिया ना किचन में,आज फिर आपको कैन्टीन का लंच करना पड़ता, कितनी लापरवाह हैं ना आप! और मुझे कहती हो कि तू भुलक्कड़ है, कूहू...

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एक स्त्री के कारनामे By Suryabala

सूर्यबाला मैं औसत कद-काठी की लगभग खूबसूरत एक औरत हूँ, बल्कि महिला कहना ज्‍यादा ठीक होगा। सुशिक्षित, शिष्‍ट और बुद्धिमती, बल्कि बौद्धिक कहना ज्‍यादा ठीक होगा। शादी भी हो...

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ज़िन्दगी का आखिरी दिन By Saroj Verma

अरे, सुबह के चार बजे का अलार्म बजा,चलो उठती हूं, लेकिन आज कुछ अजब सा एहसास हो रहा है,उम्र जो हो गई है, साठ कि जो हो गई हूं,चल धार्मिणी उठ और शुरू कर आज का दिन। चल पहले fresh होकर w...

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कुछ ख़्वाब अधूरे से By Dr. Vandana Gupta

बहुत पहले एक फ़िल्म आई थी... 'जागते रहो'... उसमें एक गाना था...ज़िन्दगी ख्वाब है... ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या... आज सोचती हूँ कि क्या वाकई ज़िन्दगी ख्वाब है... शायद...

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सीता की रामायण By Saroj Verma

बधाई हों जमींदार साहब! बेटी हुई है... शहर से आई डाक्टरनी ने बेटी का जन्म कराकर प्रसूति गृह से बाहर निकलते ही कहा।। फिर से लड़की, जमींदार साहब ने उतरे हुए चेहरे के साथ जवाब...

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फाइल By Yogesh Kanava

फाइल कोई चार बजे होंगे, सरकारी दफ्तरों में प्राय चार बजे ही शाम होने लगती है या यूं कहें कि लोग मान लेते हैं कि शाम हो गई है बस तभी सी अपनी टेबल साफ करने लग जाते हैं । पेंडिग फाइलो...

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निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी By Yogesh Kanava

निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी स्वर्गाधिपति का दरबार , दरबार में आज एक विचित्र सी स्थिति देखने को मिल रही है। सारे दरबारी सन हैं क्योंकि ऐसा ना कभी किसी ने सोचा था और ना किसी ने कोई...

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The girl's life is abandoned without dreams - 4 By navita

?थोड़ा सोचो--? कौन गुनहगार ?"तू निकल मेरे घर से , एक तो चोरी करती है ऊपर से झूठ बोलती है। जा निकल ""मैडम मैंने चोरी नहीं करी, मुझे नोकरी से मत निकालो , मेरा परिवार भुखा मर जायेगा"...

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जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 16 - अंतिम भाग By Neerja Hemendra

कहानी -16- ’’ वो एक वामा हैं ’’ मोबाइल फोन की घंटी बजी। मैं उठ कर नम्बर देखती हूँ। यह नम्बर चन्दा चाची का है। आज लम्बे अरसे बाद उनका फोन आया है। मैं उत्सुकत...

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सम्बल By Yogesh Kanava

सम्बल मोबाइल की घण्टी बजी, नीलमणि ने झट से मोबाइल उठाया और देखा, अरे वाह तिवारीजी का फोन है । झट से कान के लगाया और बतियाने लगी । दुनिया जहान की बातें । वैसे ऐसी कोई भी बात नहीं थी...

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छोटी सी बात By प्रीति कर्ण

मैं उजाला को गौर से देख रही थी। अपने नाम की तरह शांत और आकर्षक चेहरे वाली वो बेहद खूबसूरत लड़की थी। पिछले सात-आठ महीने पहले उसने मेरे पार्लर में काम पकड़ा था। उसे सिखाने में मुझे...

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मुक्ति By Saroj Prajapati

चल यार आज तुझे दिल्ली की रंगीनियों दिखाते हैं ।"अमित के दोस्त ने हंसते हुए कहा। "मतलब!" "तू चल तो सही हमारे साथ। आज तू जिंदगी की भरपूर मजे लेना।" " मैं समझान नहीं !" " सब समझ में आ...

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छंटनी By राज बोहरे

तनु चकित रह गई । कार्यालय को पूरी तरह सुनसान देख उसे अजीब सा लगा। बिस्मय के कारण भोंहों के ऊपर माथे पर उभर आई सिकुड़नों को छिपाने का प्रयास करते हुए उसने रुककर अपने बॉस के कमरे की त...

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सर्दी में गर्मी का अहसास By Neelima Sharrma Nivia

मौसम की साज़िशें बेहतरघर के भीतर उदास रहने से#निविया यह हँसते हँसाते हुए आजकल के दूल्हा दुल्हन कितने प्यारे लगते है न । जैसे चाँद के रथ पर सवार राजकुमार अपनी राजकुमारी को लेन...

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बाबुल का घर By Sunita Agarwal

मायके से विदा होते हुए अवनी संज्ञा शून्य सी हो गई थी।जैसे वो अपने होशोहवास में नहीं थी।आँसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।पति अखिल ने किसी तरह उसे संभाला अवनी सारे रास्ते खामोश...

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शादी के बाद जिंदगी बदल जाती है By Neha Verma

हमारे भारत के अधिकतर परिवारों में लड़कियों को बोझ समझा जाता है|लड़कियों के अरमानों को कुचलकर उन्हें छोटी उम्र में ही ब्याह के बंधन में बाँध दिया जाता है और विवाह के बंधन...

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अंतर्द्वन्द - 7 By Sunita Agarwal

नेहा सामान लौटाकर मायके से ससुराल आती है ।वह रात के नौ बजे घर आकर लगती है।आते ही निखिल और उसकी माँ का वही नाटक शुरू हो जाता है।वह नेहा से कहते हैं"अब उनसे(नेहा के मायके वाले) हमारा...

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लापता सिंगर-एक औरत की कहानी... By निशा शर्मा

हाँ, हाँ दीदी बिल्कुल टाइम पर आ जाऊंगी और वैसे भी मेरी दीदी की शादी की सालगिरह का केक मेरे बिना कैसे कट सकता है भला ! हाँ मेरी प्यारी नटखट बहन, अच्छा चल अब मैं फोन रखती हूँ। मेरा ब...

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स्क्रीन के पीछे की दुनिया By Saroj Verma

राहुल के फोन का अलार्म बोला,राहुल आँखें मलते हुए उठा ,देखा तो दीपक पहले ही जाग उठा है और किचन से उसके लिए चाय बनाकर ला रहा है__ क्या यार!आज इतनी जल्दी कैसे जाग उठा,आज तो संडे ह...

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पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक By Neelam Kulshreshtha

पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक नीलम कुलश्रेष्ठ [ बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से स्त्री विमर्श ने द्रुत गति पकड़ी है. सारी दुनिया की स्त्रियां इस बात से...

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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। By ramgopal bhavuk

मैंने प्रथम श्रेणी से कक्षा पाँच पास कर लिया था। मैं कक्षा छह की किताबं स्कूल बैग में पीठ पर लादकर स्कूल जाने लगी। कक्षा तीन पास करके मेरी यह आदत बन गई कि दुकानों पर लिखे हिन्दी के...

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परम्परावादी समाज में मैहर By ramgopal bhavuk

मेरे मित्र कहते हैं,-‘यार शब्बीर खान, तेरी किस्मत बहुत बुलन्द है, हमें तो मैहर घास ही नहीं डालती।’ सच तो यह है मेरी कौम की एक मात्र लड़की कॉलेज में पढ़ती है। उसका ध्यान रखना मेरा फर्...

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शिक्षा रूपी दरवाजा By Pragya Chandna

सोनी भारत के एक छोटे से गांव में रहने वाली आठ वर्षीय बालिका है....वह आज भी रोज की तरह अपने बापू से डरी-सहमी गेहूं के भूसे के ढेर में छुपी बैठी हुई है। गेहूं के भूसे से उसके पूरे शर...

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प्रेम के नवरात्रि By Pinku Juni

आज फिर साल का दूसरा महीना आया है सब के मन में अनेको समन्दर के बराबर उफान है, विशेष कर लड़कियो के मन में. पर कुछ समझ नहीं आता की क्या करू किस से बोलूँ,हा ये विचार सामान्य बात है.पर...

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रुक जा नूपुर By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ “आज तुझे बरसों बाद पकड़ा है ।” बाज़ार में सहसा किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा । मैं चौंक कर मुड़ी, एक भरे बदन वाली गोरे रंग की युवती मेरे मुड़ते ही मुस्कर...

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ख्वाब जो अधूरे रह गए By Sweety Sharma

हमेशा से बस एक ही ख्वाब देखा है ,और आज फिर एक दिन आया है इस ख्याब को पूरा होते हुए देखने का । आज खुशी का कोई ठिकाना ना था । ऑफिस से जल्दी- जल्दी काम ख़त्म किया और घर की और भागी । र...

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बेटी या माँ By Annada patni

अन्नदा पाटनी अचानक पता लगा कि पिताजी को कैंसर है तो सावेरी की तो जैसे जान ही निकल गई । कैसे क्या होगा ? मां हैं नहीं और परिवार में भी कोई और नहीं है जो उनकी देखभाल कर सके । एक भाई...

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सूर्यबाला आज मैं कितने सुब्‍बे-सुब्‍बे उठ गई। खुशखुश बाल बनाया, पीला रिबन बाँधा। माँ के काम वाली बाई का दिया चमाचम फ्रॉक पेना। बाहर आई तो बाजू वाला करीम काका मेरे कू देखके...

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एक स्त्री के कारनामे By Suryabala

सूर्यबाला मैं औसत कद-काठी की लगभग खूबसूरत एक औरत हूँ, बल्कि महिला कहना ज्‍यादा ठीक होगा। सुशिक्षित, शिष्‍ट और बुद्धिमती, बल्कि बौद्धिक कहना ज्‍यादा ठीक होगा। शादी भी हो...

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ज़िन्दगी का आखिरी दिन By Saroj Verma

अरे, सुबह के चार बजे का अलार्म बजा,चलो उठती हूं, लेकिन आज कुछ अजब सा एहसास हो रहा है,उम्र जो हो गई है, साठ कि जो हो गई हूं,चल धार्मिणी उठ और शुरू कर आज का दिन। चल पहले fresh होकर w...

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सीता की रामायण By Saroj Verma

बधाई हों जमींदार साहब! बेटी हुई है... शहर से आई डाक्टरनी ने बेटी का जन्म कराकर प्रसूति गृह से बाहर निकलते ही कहा।। फिर से लड़की, जमींदार साहब ने उतरे हुए चेहरे के साथ जवाब...

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फाइल By Yogesh Kanava

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निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी By Yogesh Kanava

निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी स्वर्गाधिपति का दरबार , दरबार में आज एक विचित्र सी स्थिति देखने को मिल रही है। सारे दरबारी सन हैं क्योंकि ऐसा ना कभी किसी ने सोचा था और ना किसी ने कोई...

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बाबुल का घर By Sunita Agarwal

मायके से विदा होते हुए अवनी संज्ञा शून्य सी हो गई थी।जैसे वो अपने होशोहवास में नहीं थी।आँसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।पति अखिल ने किसी तरह उसे संभाला अवनी सारे रास्ते खामोश...

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शादी के बाद जिंदगी बदल जाती है By Neha Verma

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लापता सिंगर-एक औरत की कहानी... By निशा शर्मा

हाँ, हाँ दीदी बिल्कुल टाइम पर आ जाऊंगी और वैसे भी मेरी दीदी की शादी की सालगिरह का केक मेरे बिना कैसे कट सकता है भला ! हाँ मेरी प्यारी नटखट बहन, अच्छा चल अब मैं फोन रखती हूँ। मेरा ब...

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पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक By Neelam Kulshreshtha

पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक नीलम कुलश्रेष्ठ [ बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से स्त्री विमर्श ने द्रुत गति पकड़ी है. सारी दुनिया की स्त्रियां इस बात से...

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