hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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वो भूली दास्तां - भाग-१९ - अंतिम भाग By Saroj Prajapati

रश्मि के जाने के बाद चांदनी को चिंतित और परेशान देख विशाल ने इसका कारण जानना चाहा तो चांदनी ने उसे सारी बातें बता दी। सुनकर विशाल ने शांत भाव से कहा "चांदनी, रश्मि सही कह रही है। त...

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Hostel Girls (Hindi) - 4 By Kamal Patadiya

[दृश्य : 4 - सना from कोलकाता] कोलकाता के हावड़ा ब्रिज पर लोगों की चहल पहल है। लोग ऑफिस से अपने घर की तरफ निकल रहे है। शाम का वक्त है, सूरज जैसे आसमान को विदा कर रहा हो ऐसे ढल रहा...

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न्याय - एक अछूत लडक़ी की कथा(भाग 2) By Kishanlal Sharma

दुनिया की ऊंच नीच बताई थी।कुंवारी माँ बनने के क्या दुष्परिणाम हो सकते है।बेटी को समझाए थे।माँ के समझाने के बावजूद कमली बोली,"मैं बच्चा नही गिराउंगी।""बिना बाप का बच्चा हरामी कहलाता...

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क्षात्रावास By Jyoti Prakash Rai

रमेश बाजार से घर लौट रहा था तभी उसे रास्ते में राजू मिला और कहने लगा आज तू तो बड़ा जल्दी बाजार से लौट रहा है, क्यूं क्या कोई अलग योजना है क्या तेरा ?रमेश ने कहा नहीं यार मित्र आज घ...

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आजकल की छोरियां By टीना सुमन

यह आजकल की छोरियां "सुना भागवान तुमने, तुम्हारा बेटा क्या कह रहा है, अपनी मर्जी से शादी करेगा, पढ़ी-लिखी नौकरी वाली बहू लाएगा, तुम्हें नहीं पता आजकल की छोरियां, शर्म हया तो इनमें ह...

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मुखौटा - 13 By S Bhagyam Sharma

मुखौटा अध्याय 13 नलिनी आज सुबह से ही कहीं गई हुई है। लक्ष्मी को जल्दी काम खत्म करने को कह कर मैं उत्तर स्वामी पहाड़ी पर जाने के लिए रवाना हुई। वहां के पुजारी मुझे पहचान कर हंसे। "आ...

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कलयुगी सीता--भाग(१) By Saroj Verma

बात उस समय की है, जब मैं छै-सात साल का रहा हूंगा,अब मेरी उर्म करीब चालीस साल है,वो उस समय का माहौल था,जब लोगों को शहर की हवा नहीं लगी थी,जब लोग कहीं से अगर दूर की रिश्तेदारी निकल आ...

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आर्मी वर्दी वालीं औरत By Prahlad Pk Verma

आज 2 साल हो गये मेरे पति को शहीद हुए, मुझे खुद पर विश्वाश था कि मैं उनकी शहादत को कभी भूलने नहीं दूंगीमेरे पति आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल थे, हम कॉलेज में साथ साथ पढ़ा करते थे और ज...

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वापसी By Sunita Agarwal

लम्बा कद,गहरी नीली,आँखेँ आकर्षक व्यक्तित्व उसके रूप के माया जाल में फँसे बिना न रह सकी थी वह।उसके बात करने का अंदाज, उसकी मुस्कराहट किसी का भी मन मोह ले, फिर वो तो यौवन की दहलीज पर...

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आपसी वाहवाही ने सुधार की गुंजाइश खत्म कर दी है By Neelima Sharrma Nivia

बिना किसी शोर-शराबे के कहानियां लिखने वाली आकांक्षा पारे काशिव लंबे अर्से से कहानियां लिख रही हैं। उनकी कई कहानियां काफी चर्चित रही हैं। उनकी हर कहानी पहली कहानी से अलग होती है। उन...

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नियति By Sunita Agarwal

वह स्याह काली रात थी जब उसके जीवन में भी अंधकार के काले बादल छा गए थे । वह सोचती यह रात तो खत्म हो जाएगी पर उसके जीवन में आई स्याह काली रात कब खत्म होगी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि उस...

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घर को सब पता है By NIKITA SHARMA

भारत एक ऐसा देश है जिसमें लोग पूरे देश को ही अपना परिवार मानते हैं सभी लोगों आपस में मित्र की तरह रहते हैं सभी में अपनापन, सहानुभूति और इंसानियत आज भी जिंदा है। सभी दूसरों की खुश...

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हवा के परों पर सफर By राजनारायण बोहरे

कहानी - इंतजार राजनारायण बोहरे ‘‘ ओफ्फो, देख तो रे ... क्या च्चीज है!’’उसने चौंक कर देखा उस तरफ, जहाँ से आवाज आई थी। ऐसे जुमले सुनने को कब से तरस रही है वह। आधा जुमला सुनकर आँखों म...

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भाग्य-दुर्भाग्य By Sunita Agarwal

महीनों से देख रही थी कि घर में एक एक पैसा सोच समझ कर खर्च किया जाता।कोई भी वस्तु बर्बाद नहीं की जातीरात की रोटियाँ बच जातीं तो उन्हें फेंका नहीं जाता गर्म करके एक एक सबको दी जाती।क...

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राइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री - सपना सिंह का साक्षात्कार द्वारा नीलिमा By Neelima Sharrma Nivia

साक्षात्कारराइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती – सपना सिंह राइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती - सपना सिंह सपना सिंहसपना सिंह न...

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स्त्री मन के आवर्त्त By Vidya Singh

स्त्री मन के आवर्त्त डॉ. डिमरी के कमरे में जाने का इरादा बाँध कर निकले मेरे कदम दरवाजे पर ही ठिठक गए। अभी-अभी मैंने अपने कमरे को ताला लगा कर चाभी पर्स के हवाले की थी। अब मैं उस खिड़...

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हक की ज़मीन By padma sharma

हक की ज़मीन लगातार वारिश से पेड़ों पर अटी धूल छट गयी थी। चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी सो सबका मन अपनी ही लौ में भरमा रहा था। सावन का महीना आते ही जगह-जग...

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मनोविकृति By Sunita Agarwal

जब मेरे पति शौर्य ने आकर बताया कि उनका प्रमोशन हो गया है और उनकी पोस्टिंग मैनेजर के पद पर जयपुर हो गई है तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा इसकी दो वजह थीं पहली ये कि मेरे पति असिस्टेन्ट...

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परवरिश By Sunita Agarwal

उस दिन फिर माँ बेटे में किसी बात पर झगड़ा हुआ था और इस झगड़े ने हर बार की तरह रौद्र रूप धारण कर लिया।माँ बेटे दोनों में जोरदार बहस हो रही थी।न माँ चुप होने को तैयार थी न ही बेटा।अंज...

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रजोनिवृत्ति-पूर्व पश्चात By Rama Sharma Manavi

स्त्री जीवन के दो अहम पड़ाव होते हैं-प्रथम रजोदर्शन, द्वितीय रजोनिवृत्ति।एक के बाद प्रकृति स्त्री को मातृत्व वहन करने की क्षमता प्रदान करती है एवं रजोनिवृत्ति के पश्चात प्रजनन...

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कसाईबाड़ा By Ranjana Jaiswal

जब मेरी शादी हुई थी मैं मात्र पंद्रह वर्ष की थी |दुबली-पतली गेहुएं रंग की ...शरीर में भराव अभी शुरू ही हुआ था |पति की उम्र भी बीस से अधिक न थी ,पर वे थे बड़े रंगीन मिजाज |शादी के बा...

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नानी माँ By Priya Gupta

आज पहली बार मुझे कुछ लिखने का अवसर मिला मुझे लिखने का शौक था पर कभी मौका ही नहीं मिल पाया यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं मोबाइल के माध्यम से लिखने जा रही हूं आज की कहानी मेरी नानी...

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कटु स्मृतियाँ By Sunita Agarwal

जन्म दिन मुबारक हो सुरेखा कहते हुए सुलभ ने सुरेखा को बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसके गले मे एक खूबसूरत सा नैकलेस पहना दिया।"शुक्रिया जी "कहते हुए सुरेखा सुलभ की बाहों में सि...

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स्त्री होने की सज़ा By Ranjana Jaiswal

प्रभा ...तुम मेरे घर कम आया करो ...आओ भी तो ज्यादा वक्त मेरी पत्नी के साथ गुजारो ....|’अपने प्राध्यापक रमेशचन्द्र की यह बात सुनकर प्रभा निष्प्रभ हो उठी |अभी थोड़ी देर पहले दरवाजा खो...

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किस्मत By Sunita Agarwal

बात कॉलेज के दिनों की है ।जब में और मेरी सहेली सीमास्नातक द्वितीय बर्ष में थे।हम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी।सीमा खूबसूरत होने के साथ साथ काफी होनहार भी थी।और हम दोनों ढेर सारी बात...

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बहुरूपिया By Ranjana Jaiswal

वर्षों बाद उसे देख रही थी।वह मेरी एक रिश्तेदार का देवर था। मैं उसके सन जैसे सफेद बालों के कारण पहचान ही नही पाई।चेहरे में ज्यादा बदलाव नहीं था।वही बैल जैसी उभरी हुई आँखें ,तोते जैस...

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एक व्याख्यान भारतीय नारी और दहेज प्रथा By Durgesh Tiwari

संबोधन-"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती, भगवान भारत वर्ष में गूंजे हमारी भारती।हे भद् भावद भवानी हे भगवती हे भारती।सीता पते सीता पते, गीता मते गीता मते।।"पद्माद्राणीय प्रियबन्...

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सिर्फ़ देह नहीं स्त्री By Ranjana Jaiswal

संगोष्ठी की समाप्ति होते -होते शाम गहरी हो गयी थी।मुझे चिंता हुई कि घर कैसे जाऊँगी?मेरा घर थोड़ी अटपटी जगह है, जहां जाने के लिए सवारी आसानी से नहीं मिलती।मुझे साहित्य -संस्कृति से...

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वो भूली दास्तां - भाग-१९ - अंतिम भाग By Saroj Prajapati

रश्मि के जाने के बाद चांदनी को चिंतित और परेशान देख विशाल ने इसका कारण जानना चाहा तो चांदनी ने उसे सारी बातें बता दी। सुनकर विशाल ने शांत भाव से कहा "चांदनी, रश्मि सही कह रही है। त...

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Hostel Girls (Hindi) - 4 By Kamal Patadiya

[दृश्य : 4 - सना from कोलकाता] कोलकाता के हावड़ा ब्रिज पर लोगों की चहल पहल है। लोग ऑफिस से अपने घर की तरफ निकल रहे है। शाम का वक्त है, सूरज जैसे आसमान को विदा कर रहा हो ऐसे ढल रहा...

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न्याय - एक अछूत लडक़ी की कथा(भाग 2) By Kishanlal Sharma

दुनिया की ऊंच नीच बताई थी।कुंवारी माँ बनने के क्या दुष्परिणाम हो सकते है।बेटी को समझाए थे।माँ के समझाने के बावजूद कमली बोली,"मैं बच्चा नही गिराउंगी।""बिना बाप का बच्चा हरामी कहलाता...

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क्षात्रावास By Jyoti Prakash Rai

रमेश बाजार से घर लौट रहा था तभी उसे रास्ते में राजू मिला और कहने लगा आज तू तो बड़ा जल्दी बाजार से लौट रहा है, क्यूं क्या कोई अलग योजना है क्या तेरा ?रमेश ने कहा नहीं यार मित्र आज घ...

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आजकल की छोरियां By टीना सुमन

यह आजकल की छोरियां "सुना भागवान तुमने, तुम्हारा बेटा क्या कह रहा है, अपनी मर्जी से शादी करेगा, पढ़ी-लिखी नौकरी वाली बहू लाएगा, तुम्हें नहीं पता आजकल की छोरियां, शर्म हया तो इनमें ह...

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मुखौटा - 13 By S Bhagyam Sharma

मुखौटा अध्याय 13 नलिनी आज सुबह से ही कहीं गई हुई है। लक्ष्मी को जल्दी काम खत्म करने को कह कर मैं उत्तर स्वामी पहाड़ी पर जाने के लिए रवाना हुई। वहां के पुजारी मुझे पहचान कर हंसे। "आ...

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कलयुगी सीता--भाग(१) By Saroj Verma

बात उस समय की है, जब मैं छै-सात साल का रहा हूंगा,अब मेरी उर्म करीब चालीस साल है,वो उस समय का माहौल था,जब लोगों को शहर की हवा नहीं लगी थी,जब लोग कहीं से अगर दूर की रिश्तेदारी निकल आ...

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आर्मी वर्दी वालीं औरत By Prahlad Pk Verma

आज 2 साल हो गये मेरे पति को शहीद हुए, मुझे खुद पर विश्वाश था कि मैं उनकी शहादत को कभी भूलने नहीं दूंगीमेरे पति आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल थे, हम कॉलेज में साथ साथ पढ़ा करते थे और ज...

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वापसी By Sunita Agarwal

लम्बा कद,गहरी नीली,आँखेँ आकर्षक व्यक्तित्व उसके रूप के माया जाल में फँसे बिना न रह सकी थी वह।उसके बात करने का अंदाज, उसकी मुस्कराहट किसी का भी मन मोह ले, फिर वो तो यौवन की दहलीज पर...

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आपसी वाहवाही ने सुधार की गुंजाइश खत्म कर दी है By Neelima Sharrma Nivia

बिना किसी शोर-शराबे के कहानियां लिखने वाली आकांक्षा पारे काशिव लंबे अर्से से कहानियां लिख रही हैं। उनकी कई कहानियां काफी चर्चित रही हैं। उनकी हर कहानी पहली कहानी से अलग होती है। उन...

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वह स्याह काली रात थी जब उसके जीवन में भी अंधकार के काले बादल छा गए थे । वह सोचती यह रात तो खत्म हो जाएगी पर उसके जीवन में आई स्याह काली रात कब खत्म होगी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि उस...

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घर को सब पता है By NIKITA SHARMA

भारत एक ऐसा देश है जिसमें लोग पूरे देश को ही अपना परिवार मानते हैं सभी लोगों आपस में मित्र की तरह रहते हैं सभी में अपनापन, सहानुभूति और इंसानियत आज भी जिंदा है। सभी दूसरों की खुश...

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महीनों से देख रही थी कि घर में एक एक पैसा सोच समझ कर खर्च किया जाता।कोई भी वस्तु बर्बाद नहीं की जातीरात की रोटियाँ बच जातीं तो उन्हें फेंका नहीं जाता गर्म करके एक एक सबको दी जाती।क...

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राइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री - सपना सिंह का साक्षात्कार द्वारा नीलिमा By Neelima Sharrma Nivia

साक्षात्कारराइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती – सपना सिंह राइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती - सपना सिंह सपना सिंहसपना सिंह न...

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स्त्री मन के आवर्त्त By Vidya Singh

स्त्री मन के आवर्त्त डॉ. डिमरी के कमरे में जाने का इरादा बाँध कर निकले मेरे कदम दरवाजे पर ही ठिठक गए। अभी-अभी मैंने अपने कमरे को ताला लगा कर चाभी पर्स के हवाले की थी। अब मैं उस खिड़...

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हक की ज़मीन By padma sharma

हक की ज़मीन लगातार वारिश से पेड़ों पर अटी धूल छट गयी थी। चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी सो सबका मन अपनी ही लौ में भरमा रहा था। सावन का महीना आते ही जगह-जग...

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उस दिन फिर माँ बेटे में किसी बात पर झगड़ा हुआ था और इस झगड़े ने हर बार की तरह रौद्र रूप धारण कर लिया।माँ बेटे दोनों में जोरदार बहस हो रही थी।न माँ चुप होने को तैयार थी न ही बेटा।अंज...

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स्त्री जीवन के दो अहम पड़ाव होते हैं-प्रथम रजोदर्शन, द्वितीय रजोनिवृत्ति।एक के बाद प्रकृति स्त्री को मातृत्व वहन करने की क्षमता प्रदान करती है एवं रजोनिवृत्ति के पश्चात प्रजनन...

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कसाईबाड़ा By Ranjana Jaiswal

जब मेरी शादी हुई थी मैं मात्र पंद्रह वर्ष की थी |दुबली-पतली गेहुएं रंग की ...शरीर में भराव अभी शुरू ही हुआ था |पति की उम्र भी बीस से अधिक न थी ,पर वे थे बड़े रंगीन मिजाज |शादी के बा...

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नानी माँ By Priya Gupta

आज पहली बार मुझे कुछ लिखने का अवसर मिला मुझे लिखने का शौक था पर कभी मौका ही नहीं मिल पाया यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं मोबाइल के माध्यम से लिखने जा रही हूं आज की कहानी मेरी नानी...

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कटु स्मृतियाँ By Sunita Agarwal

जन्म दिन मुबारक हो सुरेखा कहते हुए सुलभ ने सुरेखा को बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसके गले मे एक खूबसूरत सा नैकलेस पहना दिया।"शुक्रिया जी "कहते हुए सुरेखा सुलभ की बाहों में सि...

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प्रभा ...तुम मेरे घर कम आया करो ...आओ भी तो ज्यादा वक्त मेरी पत्नी के साथ गुजारो ....|’अपने प्राध्यापक रमेशचन्द्र की यह बात सुनकर प्रभा निष्प्रभ हो उठी |अभी थोड़ी देर पहले दरवाजा खो...

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बात कॉलेज के दिनों की है ।जब में और मेरी सहेली सीमास्नातक द्वितीय बर्ष में थे।हम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी।सीमा खूबसूरत होने के साथ साथ काफी होनहार भी थी।और हम दोनों ढेर सारी बात...

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वर्षों बाद उसे देख रही थी।वह मेरी एक रिश्तेदार का देवर था। मैं उसके सन जैसे सफेद बालों के कारण पहचान ही नही पाई।चेहरे में ज्यादा बदलाव नहीं था।वही बैल जैसी उभरी हुई आँखें ,तोते जैस...

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संबोधन-"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती, भगवान भारत वर्ष में गूंजे हमारी भारती।हे भद् भावद भवानी हे भगवती हे भारती।सीता पते सीता पते, गीता मते गीता मते।।"पद्माद्राणीय प्रियबन्...

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सिर्फ़ देह नहीं स्त्री By Ranjana Jaiswal

संगोष्ठी की समाप्ति होते -होते शाम गहरी हो गयी थी।मुझे चिंता हुई कि घर कैसे जाऊँगी?मेरा घर थोड़ी अटपटी जगह है, जहां जाने के लिए सवारी आसानी से नहीं मिलती।मुझे साहित्य -संस्कृति से...

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