hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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कसाईबाड़ा By Ranjana Jaiswal

जब मेरी शादी हुई थी मैं मात्र पंद्रह वर्ष की थी |दुबली-पतली गेहुएं रंग की ...शरीर में भराव अभी शुरू ही हुआ था |पति की उम्र भी बीस से अधिक न थी ,पर वे थे बड़े रंगीन मिजाज |शादी के बा...

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नानी माँ By Priya Gupta

आज पहली बार मुझे कुछ लिखने का अवसर मिला मुझे लिखने का शौक था पर कभी मौका ही नहीं मिल पाया यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं मोबाइल के माध्यम से लिखने जा रही हूं आज की कहानी मेरी नानी...

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वो भूली दास्तां, भाग-१३ By Saroj Prajapati

रश्मि ने सारी बातें चांदनी की मम्मी को बताई तो वह बोली "बिटिया मैं तो पहले ही उसका असली चेहरा देख चुकी हूं । सच्चाई तेरे सामने भी आ ही गई है लेकिन तेरी सहेली का क्या करूं! वह तो मा...

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कटु स्मृतियाँ By Sunita Agarwal

जन्म दिन मुबारक हो सुरेखा कहते हुए सुलभ ने सुरेखा को बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसके गले मे एक खूबसूरत सा नैकलेस पहना दिया।"शुक्रिया जी "कहते हुए सुरेखा सुलभ की बाहों में सि...

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मुखौटा - 5. By S Bhagyam Sharma

मुखौटा अध्याय 5 "आप सिर क्यों मुंडाती हो ? क्यों रंगीन साड़ी नहीं पहनती हो ? आपने माथे पर बिंदी क्यों नहीं लगाई ? गहने क्यों नहीं पहनती हो ? आप थाली में क्यों नहीं खाती हो ?" एक दि...

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स्त्री होने की सज़ा By Ranjana Jaiswal

प्रभा ...तुम मेरे घर कम आया करो ...आओ भी तो ज्यादा वक्त मेरी पत्नी के साथ गुजारो ....|’अपने प्राध्यापक रमेशचन्द्र की यह बात सुनकर प्रभा निष्प्रभ हो उठी |अभी थोड़ी देर पहले दरवाजा खो...

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किस्मत By Sunita Agarwal

बात कॉलेज के दिनों की है ।जब में और मेरी सहेली सीमास्नातक द्वितीय बर्ष में थे।हम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी।सीमा खूबसूरत होने के साथ साथ काफी होनहार भी थी।और हम दोनों ढेर सारी बात...

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बहुरूपिया By Ranjana Jaiswal

वर्षों बाद उसे देख रही थी।वह मेरी एक रिश्तेदार का देवर था। मैं उसके सन जैसे सफेद बालों के कारण पहचान ही नही पाई।चेहरे में ज्यादा बदलाव नहीं था।वही बैल जैसी उभरी हुई आँखें ,तोते जैस...

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एक व्याख्यान भारतीय नारी और दहेज प्रथा By Durgesh Tiwari

संबोधन-"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती, भगवान भारत वर्ष में गूंजे हमारी भारती।हे भद् भावद भवानी हे भगवती हे भारती।सीता पते सीता पते, गीता मते गीता मते।।"पद्माद्राणीय प्रियबन्...

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सिर्फ़ देह नहीं स्त्री By Ranjana Jaiswal

संगोष्ठी की समाप्ति होते -होते शाम गहरी हो गयी थी।मुझे चिंता हुई कि घर कैसे जाऊँगी?मेरा घर थोड़ी अटपटी जगह है, जहां जाने के लिए सवारी आसानी से नहीं मिलती।मुझे साहित्य -संस्कृति से...

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काश ऐसा होता By Sunita Agarwal

इंसान की जिंदगी काश इन दो अक्षरों के बीच झूलती रहती है।काश ये होता तो ऐसा होता, काश वो होता तो ऐसा होता।हम वर्तमान परिस्थिति से कभी खुश नहीं रहते।जो हमारे पास नहीं होता उसके पीछे भ...

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पराये स्पर्श का एहसास(अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

ऑफिस में काम करने वाली औरतो का बॉस यौन उत्पीड़न करते है।औरतो को नौकरी बचाये रखनेव के लिए चाहे अनचाहे समर्पण करना पड़ता है।आज उसे लग रहा था।जो उसने सुना सही था।तभी तो न चाहते हुए भी उ...

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घर में क़ैद आज़ादी By Singh Srishti

आज स्वतंत्रता दिवस है ! आज़ादी का दिन,तो बेशक सब बाहर आज़ादी का जशन मना रहे हैं, हर जगह आज आज़ादी के ही चर्चे हो रहे हैं, भले ही घरों में अपने पक्षी या जानवरों को कैद किए हो पर लोग...

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पेनकिलर By Dr Vinita Rahurikar

पेनकिलर “हाय...कैसी है?” फोन उठाते ही दूसरी तरफ से विद्या का चहकता स्वर सुनाई दिया.“अरे विद्या तू? कैसी है? कितने दिनों बाद याद आई आज मेरी.” विद्या कि९ आवाज सुनते ही मीता ख़ुशी से च...

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अम्मा By टीना सुमन

अम्मा अरे !बबुआ क्या हुआ ?इतना परेशान क्यों दिख रहा है??"" "अब क्या बताऊं अम्मा !सरपंच जी के पास गया था, हमारे मकान के पास जो गड्ढा हो गया है उसे भरवाने के लिए ,पर सरपं...

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दरवाज़ा By Priya Vachhani

अलार्म की आवाज से नीना चौक कर उठी और झट से अलार्म बंद किया ताकि ललित की नींद खराब हो जाए । धीरे से उठ वह कमरे से बाहर चली गई ललित और नीना की शादी को पंद्रह साल बीत चुके थे। उनके आं...

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प्रतिज्ञा By Sunita Agarwal

आज फिर ठाकुर देवेंद्र सिंह सलोनी के घर आये और हर बार की तरह वही पुराना राग अलापने लगे" मुझे माफ कर दो,...

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कमजोर की बीबी By Ranjana Jaiswal

वे डॉक्टर थे ।छोटे -मोटे नहीं ,बहुत बड़े डॉक्टर,पर बड़े ही सरल,सदय,हँसमुख,मिलनसार और समाजसेवी।पिछड़ी जाति के एक गरीब परिवार में जन्मे थे,इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की - 4 - अंतिम भाग By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (4) चश्मे वाला कुछ नही बोला। उसने केक का पैकेट लपेट कर मेज पर रख दिया। उसके चेहरे पर थकान और उदासी थी। ऊब और वितृष्णा भी थी...

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किराए के टीचर By saurabh dixit manas

"अरे! नाश्ता तो कर लेती..." सास की बात अनसुनी करते हुए सीमा बाहर निकल गई। "आज फिर लेट हो गई।" बुदबुदाते हुए बाएं कंधे से सरकते बैग को संभालती और दाईं कलाई पर बंधी छोटे से डायल की घ...

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स्त्री तू सबसे बड़ी अछूत By Ranjana Jaiswal

'तू अछूत है मेरे घर मत आना ...|’--आखिर तूने खानदान की नाक कटा दी न ....|‘’मुझे तो पहले से मालूम था ये लड़की कोई न कोई गुल खिलाएगी |’’‘अरे,किया भी तो कहाँ...कोई ढंग का लड़का नहीं...

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बिन साजन ना भावे सावन By AKANKSHA SRIVASTAVA

काले बदरे ,ओर रिमझिम फुहार...मोर के पंख सावन के झूले,गरजते बादलों में आपसी बातचीत ओर तुम ओर मैं।क्या तुम मुझे फिर अपने रंग में मुझे रंगोंगे मेरी रूह को तुम छुओगे। क्या हम चमकती बिज...

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चंचल की चाहतें By rajendra shrivastava

कहानी-- चंचल की चाहतें राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’है...हेल्‍लो प्रज्ञा; मैं चंचल!’’ ‘’हॉं चंचल बोलो।‘’ कुछ प्रतीक्षा...

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बदनाम राखी By Singh Srishti

बेहद खूबसूरत लगता है ना रात के वक़्त सफर करना और इन ठंडी हवाओं से ना जाने कितनी बातें करना , इन तारों का जगमगाना और आसमान से चांद का हमारा पीछा करना सब इतना ख़ूबसूरत लग रहा था मानो...

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गुलाबो - भाग 1 By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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द्रोपा भाभी By Lovelesh Dutt

“द्रोपा खत्म हो गयी” सुबह आँख खोलते ही माँ ने बताया, “सुबह तीन बजे के करीब खत्म हुई। लोगों की भीड़ लगी है। तुम भी हो आना, मैं तो देख आई।” जब तक मैं बिस्तर से उठता माँ ने मुझसे कह द...

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लहरें By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- लहरें --आर. एन. सुनगरया किसी भी जवान लड़की के लिये सुहागरात का इन्‍तजार कितना सुखद और म...

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बर्फ का गोला By Sheetal

मेरे प्यारे पार्क मेरा पहला प्यार हो तुम. तुम्हारी उम्र की तो ना शुरुआत है न आखिर. हर उम्र के यार हो तुम. मेरे सोलहवे साल कि कुछ परछाईयाँ अब भी तुम्हारे पास रखी है. शादी के पहले की...

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जीने के लिए - 6 अंतिम भाग By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें…. गतांक से आगे-----------/---------- इसके कुछ दिनों के पश्चात की घटना थी।दोपहर में विकास जी के बेटे मानस का फोन आया कि आन्ट...

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घर की मुर्गी - पार्ट - 8 By AKANKSHA SRIVASTAVA

एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर भी रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़...

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लच्छो By Lovelesh Dutt

नाम तो लक्ष्मी था उसका, लेकिन ऐसे नाम भाग्यहीनों, गरीबों और अनाथों को शोभा नहीं देते। शायद यही सोचकर पूरा मुहल्ला उसे लक्ष्मी नहीं लच्छो कहता था। उसकी प्रसिद्धि का कारण उसका नाम हो...

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अंगूरी अंग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- अंगूरी अंग आर.एन. सुनगरिया ‘’गीता.....गीता.....अरे किधर चली गई। गुडि़या तो...

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स्त्रियों की दशा। By Arjuna Bunty

नमस्कार, आज मै बात कर रहा हूं स्त्रियों के बारे में समाज की सोच आज के दौर में कैसे बदला जा सकता है। समाज के वैसे लोग जिसके घर बेटी नहीं है अब उन्हीं लोगों की मानसिकता को बदलने की ज...

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कसाईबाड़ा By Ranjana Jaiswal

जब मेरी शादी हुई थी मैं मात्र पंद्रह वर्ष की थी |दुबली-पतली गेहुएं रंग की ...शरीर में भराव अभी शुरू ही हुआ था |पति की उम्र भी बीस से अधिक न थी ,पर वे थे बड़े रंगीन मिजाज |शादी के बा...

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नानी माँ By Priya Gupta

आज पहली बार मुझे कुछ लिखने का अवसर मिला मुझे लिखने का शौक था पर कभी मौका ही नहीं मिल पाया यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं मोबाइल के माध्यम से लिखने जा रही हूं आज की कहानी मेरी नानी...

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वो भूली दास्तां, भाग-१३ By Saroj Prajapati

रश्मि ने सारी बातें चांदनी की मम्मी को बताई तो वह बोली "बिटिया मैं तो पहले ही उसका असली चेहरा देख चुकी हूं । सच्चाई तेरे सामने भी आ ही गई है लेकिन तेरी सहेली का क्या करूं! वह तो मा...

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कटु स्मृतियाँ By Sunita Agarwal

जन्म दिन मुबारक हो सुरेखा कहते हुए सुलभ ने सुरेखा को बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसके गले मे एक खूबसूरत सा नैकलेस पहना दिया।"शुक्रिया जी "कहते हुए सुरेखा सुलभ की बाहों में सि...

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मुखौटा - 5. By S Bhagyam Sharma

मुखौटा अध्याय 5 "आप सिर क्यों मुंडाती हो ? क्यों रंगीन साड़ी नहीं पहनती हो ? आपने माथे पर बिंदी क्यों नहीं लगाई ? गहने क्यों नहीं पहनती हो ? आप थाली में क्यों नहीं खाती हो ?" एक दि...

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स्त्री होने की सज़ा By Ranjana Jaiswal

प्रभा ...तुम मेरे घर कम आया करो ...आओ भी तो ज्यादा वक्त मेरी पत्नी के साथ गुजारो ....|’अपने प्राध्यापक रमेशचन्द्र की यह बात सुनकर प्रभा निष्प्रभ हो उठी |अभी थोड़ी देर पहले दरवाजा खो...

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किस्मत By Sunita Agarwal

बात कॉलेज के दिनों की है ।जब में और मेरी सहेली सीमास्नातक द्वितीय बर्ष में थे।हम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी।सीमा खूबसूरत होने के साथ साथ काफी होनहार भी थी।और हम दोनों ढेर सारी बात...

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बहुरूपिया By Ranjana Jaiswal

वर्षों बाद उसे देख रही थी।वह मेरी एक रिश्तेदार का देवर था। मैं उसके सन जैसे सफेद बालों के कारण पहचान ही नही पाई।चेहरे में ज्यादा बदलाव नहीं था।वही बैल जैसी उभरी हुई आँखें ,तोते जैस...

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एक व्याख्यान भारतीय नारी और दहेज प्रथा By Durgesh Tiwari

संबोधन-"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती, भगवान भारत वर्ष में गूंजे हमारी भारती।हे भद् भावद भवानी हे भगवती हे भारती।सीता पते सीता पते, गीता मते गीता मते।।"पद्माद्राणीय प्रियबन्...

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सिर्फ़ देह नहीं स्त्री By Ranjana Jaiswal

संगोष्ठी की समाप्ति होते -होते शाम गहरी हो गयी थी।मुझे चिंता हुई कि घर कैसे जाऊँगी?मेरा घर थोड़ी अटपटी जगह है, जहां जाने के लिए सवारी आसानी से नहीं मिलती।मुझे साहित्य -संस्कृति से...

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काश ऐसा होता By Sunita Agarwal

इंसान की जिंदगी काश इन दो अक्षरों के बीच झूलती रहती है।काश ये होता तो ऐसा होता, काश वो होता तो ऐसा होता।हम वर्तमान परिस्थिति से कभी खुश नहीं रहते।जो हमारे पास नहीं होता उसके पीछे भ...

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पराये स्पर्श का एहसास(अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

ऑफिस में काम करने वाली औरतो का बॉस यौन उत्पीड़न करते है।औरतो को नौकरी बचाये रखनेव के लिए चाहे अनचाहे समर्पण करना पड़ता है।आज उसे लग रहा था।जो उसने सुना सही था।तभी तो न चाहते हुए भी उ...

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घर में क़ैद आज़ादी By Singh Srishti

आज स्वतंत्रता दिवस है ! आज़ादी का दिन,तो बेशक सब बाहर आज़ादी का जशन मना रहे हैं, हर जगह आज आज़ादी के ही चर्चे हो रहे हैं, भले ही घरों में अपने पक्षी या जानवरों को कैद किए हो पर लोग...

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पेनकिलर By Dr Vinita Rahurikar

पेनकिलर “हाय...कैसी है?” फोन उठाते ही दूसरी तरफ से विद्या का चहकता स्वर सुनाई दिया.“अरे विद्या तू? कैसी है? कितने दिनों बाद याद आई आज मेरी.” विद्या कि९ आवाज सुनते ही मीता ख़ुशी से च...

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अम्मा By टीना सुमन

अम्मा अरे !बबुआ क्या हुआ ?इतना परेशान क्यों दिख रहा है??"" "अब क्या बताऊं अम्मा !सरपंच जी के पास गया था, हमारे मकान के पास जो गड्ढा हो गया है उसे भरवाने के लिए ,पर सरपं...

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दरवाज़ा By Priya Vachhani

अलार्म की आवाज से नीना चौक कर उठी और झट से अलार्म बंद किया ताकि ललित की नींद खराब हो जाए । धीरे से उठ वह कमरे से बाहर चली गई ललित और नीना की शादी को पंद्रह साल बीत चुके थे। उनके आं...

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प्रतिज्ञा By Sunita Agarwal

आज फिर ठाकुर देवेंद्र सिंह सलोनी के घर आये और हर बार की तरह वही पुराना राग अलापने लगे" मुझे माफ कर दो,...

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कमजोर की बीबी By Ranjana Jaiswal

वे डॉक्टर थे ।छोटे -मोटे नहीं ,बहुत बड़े डॉक्टर,पर बड़े ही सरल,सदय,हँसमुख,मिलनसार और समाजसेवी।पिछड़ी जाति के एक गरीब परिवार में जन्मे थे,इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की - 4 - अंतिम भाग By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (4) चश्मे वाला कुछ नही बोला। उसने केक का पैकेट लपेट कर मेज पर रख दिया। उसके चेहरे पर थकान और उदासी थी। ऊब और वितृष्णा भी थी...

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किराए के टीचर By saurabh dixit manas

"अरे! नाश्ता तो कर लेती..." सास की बात अनसुनी करते हुए सीमा बाहर निकल गई। "आज फिर लेट हो गई।" बुदबुदाते हुए बाएं कंधे से सरकते बैग को संभालती और दाईं कलाई पर बंधी छोटे से डायल की घ...

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स्त्री तू सबसे बड़ी अछूत By Ranjana Jaiswal

'तू अछूत है मेरे घर मत आना ...|’--आखिर तूने खानदान की नाक कटा दी न ....|‘’मुझे तो पहले से मालूम था ये लड़की कोई न कोई गुल खिलाएगी |’’‘अरे,किया भी तो कहाँ...कोई ढंग का लड़का नहीं...

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बिन साजन ना भावे सावन By AKANKSHA SRIVASTAVA

काले बदरे ,ओर रिमझिम फुहार...मोर के पंख सावन के झूले,गरजते बादलों में आपसी बातचीत ओर तुम ओर मैं।क्या तुम मुझे फिर अपने रंग में मुझे रंगोंगे मेरी रूह को तुम छुओगे। क्या हम चमकती बिज...

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चंचल की चाहतें By rajendra shrivastava

कहानी-- चंचल की चाहतें राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’है...हेल्‍लो प्रज्ञा; मैं चंचल!’’ ‘’हॉं चंचल बोलो।‘’ कुछ प्रतीक्षा...

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बदनाम राखी By Singh Srishti

बेहद खूबसूरत लगता है ना रात के वक़्त सफर करना और इन ठंडी हवाओं से ना जाने कितनी बातें करना , इन तारों का जगमगाना और आसमान से चांद का हमारा पीछा करना सब इतना ख़ूबसूरत लग रहा था मानो...

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गुलाबो - भाग 1 By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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द्रोपा भाभी By Lovelesh Dutt

“द्रोपा खत्म हो गयी” सुबह आँख खोलते ही माँ ने बताया, “सुबह तीन बजे के करीब खत्म हुई। लोगों की भीड़ लगी है। तुम भी हो आना, मैं तो देख आई।” जब तक मैं बिस्तर से उठता माँ ने मुझसे कह द...

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लहरें By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- लहरें --आर. एन. सुनगरया किसी भी जवान लड़की के लिये सुहागरात का इन्‍तजार कितना सुखद और म...

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बर्फ का गोला By Sheetal

मेरे प्यारे पार्क मेरा पहला प्यार हो तुम. तुम्हारी उम्र की तो ना शुरुआत है न आखिर. हर उम्र के यार हो तुम. मेरे सोलहवे साल कि कुछ परछाईयाँ अब भी तुम्हारे पास रखी है. शादी के पहले की...

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घर की मुर्गी - पार्ट - 8 By AKANKSHA SRIVASTAVA

एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर भी रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़...

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लच्छो By Lovelesh Dutt

नाम तो लक्ष्मी था उसका, लेकिन ऐसे नाम भाग्यहीनों, गरीबों और अनाथों को शोभा नहीं देते। शायद यही सोचकर पूरा मुहल्ला उसे लक्ष्मी नहीं लच्छो कहता था। उसकी प्रसिद्धि का कारण उसका नाम हो...

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अंगूरी अंग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- अंगूरी अंग आर.एन. सुनगरिया ‘’गीता.....गीता.....अरे किधर चली गई। गुडि़या तो...

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स्त्रियों की दशा। By Arjuna Bunty

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