hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मुझे डर लगता है....

    हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा हो...

  • डूबता दिल...

    अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा...

  • वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 5

    सोमेश : वीरा जी ...(जोर से चिल्लाता है )....हटो सामने से वीरा जी को गोली लगी है...

मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 5 By Pooja Singh

सोमेश : वीरा जी ...(जोर से चिल्लाता है )....हटो सामने से वीरा जी को गोली लगी है .....बरखा : डाक्टर साहब को बुलाओ जल्दी....!सरपंच : हां ...सोहनलाल डाक्टर‌‌ को बुलाओ ...!निराली : जल...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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स्त्री क्या नहीं कर सकती! By Ranjana Jaiswal

ममता की आँखों में बार-बार आँसू आ जाते थे |कैसे वह अपने पाप का प्रायश्चित करे ?कैसे अपने चेहरे को उज्ज्वल करे ?गत–वर्षों की कालिमा क्या यूं ही छूट जाएगी ?क्या उसका पाप उसकी बेटी के...

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रूपगर्विता By Ranjana Jaiswal

इसमें कोई शक नहीं था कि वह रूपवती थी और वह भी ‘मुग्धा’ नहीं ‘गर्विता’ |वह मेरे पड़ोस की आंटी के पाँच बेटियों में सबसे छोटी थी |वह पैदा ही मोम की गुड़िया -सी हुई थी |उसे जो भी देखता ,...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 1 By Neerja Pandey

मैं कहानी शुरू करने से पहले आप सब से कुछ कहना चाहती हूं । ये कहानी बिल्कुल सच घटना पर आधारित है। पहले तो सुन कर मुझे भी यकीन नही हुआ की क्या सच में ऐसा हो सकता है! मैं हैरान थी ! ब...

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तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप ! By Ranjana Jaiswal

वैसे तो जाने कब से स्त्री-पुरूष के लिए यह दोहरी नीति चली आ रही है और समाज के रगों में यह इतना घुल गया है कि किसी को इसमे कुछ गलत नहीं लगता ,पर न्याय तो यही कहता कि यह विभेद मिटना च...

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गर्भस्य और स्त्री मन By prema

दुनिया की हर औरत माँ बनना अपना शौभाग्य समझती हैं. उसका सपना होता हैं कि जब वो मरे तो नाती-पोतियों वाली होकर मरे. अगर वो किसी कारण से माँ नही बन सकी है तो उसने इस सुख से पुरुष और प...

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वारिस By Rama Sharma Manavi

आज गायत्री का विवाह हो रहा था।उसकी बगल में अच्छी डील-डौल का देखने में सजीला सा दूल्हा बैठा हुआ था जो बाल सुलभ कौतूहल से सारा ताम-झाम देख रहा था, कभी दुल्हन बनी गायत्री का घूंघट...

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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देख...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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तपस्या--एक सुहागन की.... By Saroj Verma

नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ को लिखा एक ख़त By Neelima Sharrma Nivia

माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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कैसे लिखूँ उजली कहानी By Ranjana Jaiswal

मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ?? By Bushra Hashmi

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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दादी मां... By Saroj Verma

बहुत दिन हो गए थे स्टोररूम की सफाई किए हुए तो सोचा चलो आज स्टोररूम की सफाई करती हूँ,स्टोररूम साफ करते वक्त एक तस्वीर मिली ,जो मैने हाँल में सजा दी,दोपहर के बाद जब मेरी बेटी सौम्या...

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एक सबक उनके जीवन से By Jyoti Prajapati

"आज लगभग छह साल बाद देखा था मैंने सरिता भाभी को..!! हालत में पहले से काफी अंतर आ गया था !! दुबली तो तब भी थी...लेकिन अब कुछ ज़्यादा ही दुबली नज़र आ रही थी !! उनकी गोद मे एक छोटा सा ब...

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मैं बेकसूर हूँ.... By Saroj Verma

अग्रणी! बेटा!तैयार हो गई...एकाध घंटे में बस बारात दरवाज़े पर पहुँचती ही होगी.... किशनलाल जी ने अपनी भाँजी अग्रणी से कहा..... जी! मामाजी! बस!चूडियाँ पहननी बाकी़ रह गई हैं,मामी जी सार...

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एक रिश्ता ऐसा भी - (अंतिम भाग) By Ashish Dalal

एक रिश्ता ऐसा भी (अंतिम भाग) उत्तरा के बारें में जानकर मयंक और भी व्यथित हो गया । अपने जिस अतीत को पीछे छोड़ अपने जीने की एक अलग ही वजह बना ली थी आज वही अतीत उसके वर्तमान के सामने...

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जिल्लत़.... By Saroj Verma

उपासना.... ओ उपासना.... कहां मर गई? कहा था ना कि पूजा की थाली और लोटा मांजकर रखना लेकिन मैं नहाकर आ भी गई और तूने मेरा काम नहीं किया.... हां... हां..सास का कहा सुन लेगी तो पाप में...

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अभिव्यक्ति - दहलीज के पार By Yatendra Tomar

एक आम भारतीय गृहिणी की तरह रजनी भी अपने घर को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालतीं है हर दिन सुबह सूरज से पहले उठ कर देर रात तक घर के कामों की आपाधापी सी मची रहती है रात होते होते शरीर...

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दुल्हन.... By Saroj Verma

रिमझिम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे,वो बस में बैठी यही सोच रही थी कि काश आज उसके पास पंख होते तो वो उड़कर अपने ननिहाल पहुंच जाती,सूजी हुई आंखें और बोझिल मन से वो इन्तज़ार कर...

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यह मेरा हक़ है By Kishanlal Sharma

"भाभी ----इरफान हांफता हुआ दौड़ा दौड़ा आया था,"अनवर ज़िंदा है।""कौन अनवर?""अनवर को नही जानती।भूल गई।तुम्हारा पहला शौहर।""भाभी से मजाक कर रहे हो।"सलमा जानती थी उसका देवर इरफान मजाकिया...

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आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 9 By ARUANDHATEE GARG मीठी

स्तुति के आसूं भरे चेहरे पर, सुनीता जी अपने आसुओं से भरी आंखों में प्यार भरकर , उसे प्यार से देखती है और फिर उसे गले से लगा लेती है , और स्तुति ने जो अब तक का धीरज धरा हुआ था , वह...

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आखिर क्यों ? By Sunita Agarwal

पंद्रह लोगों का भरा पूरा परिवार था, जिस घर में सीमा ब्याहकर आई थी।सुबह पांच बजे से चूल्हा जलता तो दिन के दो बजे तक जलता ही रहता और फिर चार बजे से शाम के खाने की तैयारी शुरू हो जाती...

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मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 5 By Pooja Singh

सोमेश : वीरा जी ...(जोर से चिल्लाता है )....हटो सामने से वीरा जी को गोली लगी है .....बरखा : डाक्टर साहब को बुलाओ जल्दी....!सरपंच : हां ...सोहनलाल डाक्टर‌‌ को बुलाओ ...!निराली : जल...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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स्त्री क्या नहीं कर सकती! By Ranjana Jaiswal

ममता की आँखों में बार-बार आँसू आ जाते थे |कैसे वह अपने पाप का प्रायश्चित करे ?कैसे अपने चेहरे को उज्ज्वल करे ?गत–वर्षों की कालिमा क्या यूं ही छूट जाएगी ?क्या उसका पाप उसकी बेटी के...

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रूपगर्विता By Ranjana Jaiswal

इसमें कोई शक नहीं था कि वह रूपवती थी और वह भी ‘मुग्धा’ नहीं ‘गर्विता’ |वह मेरे पड़ोस की आंटी के पाँच बेटियों में सबसे छोटी थी |वह पैदा ही मोम की गुड़िया -सी हुई थी |उसे जो भी देखता ,...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 1 By Neerja Pandey

मैं कहानी शुरू करने से पहले आप सब से कुछ कहना चाहती हूं । ये कहानी बिल्कुल सच घटना पर आधारित है। पहले तो सुन कर मुझे भी यकीन नही हुआ की क्या सच में ऐसा हो सकता है! मैं हैरान थी ! ब...

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तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप ! By Ranjana Jaiswal

वैसे तो जाने कब से स्त्री-पुरूष के लिए यह दोहरी नीति चली आ रही है और समाज के रगों में यह इतना घुल गया है कि किसी को इसमे कुछ गलत नहीं लगता ,पर न्याय तो यही कहता कि यह विभेद मिटना च...

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गर्भस्य और स्त्री मन By prema

दुनिया की हर औरत माँ बनना अपना शौभाग्य समझती हैं. उसका सपना होता हैं कि जब वो मरे तो नाती-पोतियों वाली होकर मरे. अगर वो किसी कारण से माँ नही बन सकी है तो उसने इस सुख से पुरुष और प...

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वारिस By Rama Sharma Manavi

आज गायत्री का विवाह हो रहा था।उसकी बगल में अच्छी डील-डौल का देखने में सजीला सा दूल्हा बैठा हुआ था जो बाल सुलभ कौतूहल से सारा ताम-झाम देख रहा था, कभी दुल्हन बनी गायत्री का घूंघट...

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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देख...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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तपस्या--एक सुहागन की.... By Saroj Verma

नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ को लिखा एक ख़त By Neelima Sharrma Nivia

माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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कैसे लिखूँ उजली कहानी By Ranjana Jaiswal

मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ?? By Bushra Hashmi

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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दादी मां... By Saroj Verma

बहुत दिन हो गए थे स्टोररूम की सफाई किए हुए तो सोचा चलो आज स्टोररूम की सफाई करती हूँ,स्टोररूम साफ करते वक्त एक तस्वीर मिली ,जो मैने हाँल में सजा दी,दोपहर के बाद जब मेरी बेटी सौम्या...

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"आज लगभग छह साल बाद देखा था मैंने सरिता भाभी को..!! हालत में पहले से काफी अंतर आ गया था !! दुबली तो तब भी थी...लेकिन अब कुछ ज़्यादा ही दुबली नज़र आ रही थी !! उनकी गोद मे एक छोटा सा ब...

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मैं बेकसूर हूँ.... By Saroj Verma

अग्रणी! बेटा!तैयार हो गई...एकाध घंटे में बस बारात दरवाज़े पर पहुँचती ही होगी.... किशनलाल जी ने अपनी भाँजी अग्रणी से कहा..... जी! मामाजी! बस!चूडियाँ पहननी बाकी़ रह गई हैं,मामी जी सार...

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उपासना.... ओ उपासना.... कहां मर गई? कहा था ना कि पूजा की थाली और लोटा मांजकर रखना लेकिन मैं नहाकर आ भी गई और तूने मेरा काम नहीं किया.... हां... हां..सास का कहा सुन लेगी तो पाप में...

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रिमझिम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे,वो बस में बैठी यही सोच रही थी कि काश आज उसके पास पंख होते तो वो उड़कर अपने ननिहाल पहुंच जाती,सूजी हुई आंखें और बोझिल मन से वो इन्तज़ार कर...

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यह मेरा हक़ है By Kishanlal Sharma

"भाभी ----इरफान हांफता हुआ दौड़ा दौड़ा आया था,"अनवर ज़िंदा है।""कौन अनवर?""अनवर को नही जानती।भूल गई।तुम्हारा पहला शौहर।""भाभी से मजाक कर रहे हो।"सलमा जानती थी उसका देवर इरफान मजाकिया...

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आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 9 By ARUANDHATEE GARG मीठी

स्तुति के आसूं भरे चेहरे पर, सुनीता जी अपने आसुओं से भरी आंखों में प्यार भरकर , उसे प्यार से देखती है और फिर उसे गले से लगा लेती है , और स्तुति ने जो अब तक का धीरज धरा हुआ था , वह...

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आखिर क्यों ? By Sunita Agarwal

पंद्रह लोगों का भरा पूरा परिवार था, जिस घर में सीमा ब्याहकर आई थी।सुबह पांच बजे से चूल्हा जलता तो दिन के दो बजे तक जलता ही रहता और फिर चार बजे से शाम के खाने की तैयारी शुरू हो जाती...

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