hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • नई सुबह - 2

    पापा कार निकाल कर दोनो को छोड़ने गए तो मैंने दांतों से जीभ काट ली। क्या मूढ़ता क...

  • नारी जग पहचान अधिकारी

    माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसम...

  • बारिश और एक हादसा....

    शाम का समय... सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही ह...

सुरमयी आंखों वाली - 2 By Jyoti Prajapati

उस दिन प्रांजल का बर्थडे था..! पापा ने उसे नई ड्रेस लाने के लिए रुपये दिए थे और मम्मी ने भी उसे रुपये ही दिए थे, ताकि उसकी जो इच्छा हो वो खरीद सके !! अब हम लोग ठहरे ठेठ देसी लोग !...

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नई सुबह - 2 By Pallavi Pandey

पापा कार निकाल कर दोनो को छोड़ने गए तो मैंने दांतों से जीभ काट ली। क्या मूढ़ता कर बैठी थी मैं? कौन सी सुखद स्मृति थी उस घर की इन दोनो के पास ?उन दोनों के जाने के बाद मां अन्यमनस्क...

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क्या ये ही मेरी जीत थी  By Ratna Pandey

"नहीं, नहीं, नहीं…एक बार मना कर दिया फिर भी समझ में नहीं आता क्या राधा ? क्या ज़रूरत है अभी मायके जाने की ? बार-बार जाने की ज़िद करके, फिर नाराजी दिखाती हो। 25 साल भी तुम्हें कम पड...

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नारी जग पहचान अधिकारी By Kamal Bhansali

माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसमें कुछ हिन्दु नियम कानूनों का ऐसा समाहित है, जो आज के परिवेश अनुसार उचित नहीं लगते, पर बात जब हम नार...

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पश्चाताप - 2 By Sagar

अध्याय 1 यों तो सभी मेहनत करते हैं किंतु सोहन की मेहनत अलग ही है।कहने को तो वह एक मामूली किसान है।किंतु मेहनत क...

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बारिश और एक हादसा.... By Saroj Verma

शाम का समय... सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही हूँ,प्रियम्वदा ने अपने बेटे कुनाल से कहा.... लेकिन मम्मा ! बाहर बारिश हो रही है,कुनाल बोला।। लेकिन हल...

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आखरी प्रश्न By Narayan Menariya

आखरी प्रश्न - तुम क्यों अपनी आवाज़ नही उठाती ? मेरी लिखी हुई कविताओं मेसे एक सबसे प्रिय कविता है, जो कि समाज में औरत की स्थिती का वर्णन करती हैं। इस कविता मे मैने एक औरत के जन्म से...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 6 By Pooja Singh

सरपंच : मुखिया जी ...आप उसका सामना कैसे करेंगी, आप अभी घायल हैं ....!इशिता : मैं घायल जरुर हूं सरपंच जी पर कमजोर नहीं हूं ..मैं उसे सीमा को चोट नहीं पहुंचाने दूंगी .....बरखा गन दो...

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वो गंगा ही तो थी... By Saroj Verma

सुलोचना के पति गजेन्द्र फोरेस्ट आँफिसर थे और इस बार उनके साथ वो भी गई,बड़ा सरकारी डाक बंगला था अंग्रेजों के जमाने का, गाँव से कुछ दूर जंगल के पास,उस जगह आदिवासियों की संख्या बहुत ही...

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वो बूढ़ी औरत... By Saroj Verma

ओ...कौशल्या जीजी! शाम के हमार घरे आ जइओ,न्यौता है तुम्हार!माल्ती ने अपनी पड़ोसन कौशल्या से कहा... काहे! का बात है? कौशल्या ने पूछा।। हमार बहु की गोद भराई है,माल्ती बोली।। बधाई...

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रिले रेस–स्त्री जीवन की इनफ़िनिट बैटन रेस By Neelam Kulshreshtha

प्रोफ़ेसर डॉ. के. वनजा, कोचीन नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित ‘रिले रेस’ कहानी संग्रह स्त्री विमर्श की दृष्टि से उल्लेखनीय है । अनंत काल से अपने जीवन में स्त्री कई कष्टों...

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मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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स्त्री क्या नहीं कर सकती! By Ranjana Jaiswal

ममता की आँखों में बार-बार आँसू आ जाते थे |कैसे वह अपने पाप का प्रायश्चित करे ?कैसे अपने चेहरे को उज्ज्वल करे ?गत–वर्षों की कालिमा क्या यूं ही छूट जाएगी ?क्या उसका पाप उसकी बेटी के...

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रूपगर्विता By Ranjana Jaiswal

इसमें कोई शक नहीं था कि वह रूपवती थी और वह भी ‘मुग्धा’ नहीं ‘गर्विता’ |वह मेरे पड़ोस की आंटी के पाँच बेटियों में सबसे छोटी थी |वह पैदा ही मोम की गुड़िया -सी हुई थी |उसे जो भी देखता ,...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 1 By Neerja Pandey

मैं कहानी शुरू करने से पहले आप सब से कुछ कहना चाहती हूं । ये कहानी बिल्कुल सच घटना पर आधारित है। पहले तो सुन कर मुझे भी यकीन नही हुआ की क्या सच में ऐसा हो सकता है! मैं हैरान थी ! ब...

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तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप ! By Ranjana Jaiswal

वैसे तो जाने कब से स्त्री-पुरूष के लिए यह दोहरी नीति चली आ रही है और समाज के रगों में यह इतना घुल गया है कि किसी को इसमे कुछ गलत नहीं लगता ,पर न्याय तो यही कहता कि यह विभेद मिटना च...

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गर्भस्य और स्त्री मन By prema

दुनिया की हर औरत माँ बनना अपना शौभाग्य समझती हैं. उसका सपना होता हैं कि जब वो मरे तो नाती-पोतियों वाली होकर मरे. अगर वो किसी कारण से माँ नही बन सकी है तो उसने इस सुख से पुरुष और प...

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वारिस By Rama Sharma Manavi

आज गायत्री का विवाह हो रहा था।उसकी बगल में अच्छी डील-डौल का देखने में सजीला सा दूल्हा बैठा हुआ था जो बाल सुलभ कौतूहल से सारा ताम-झाम देख रहा था, कभी दुल्हन बनी गायत्री का घूंघट...

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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देख...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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तपस्या--एक सुहागन की.... By Saroj Verma

नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ को लिखा एक ख़त By Neelima Sharrma Nivia

माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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कैसे लिखूँ उजली कहानी By Ranjana Jaiswal

मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ?? By Bushra Hashmi

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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सुरमयी आंखों वाली - 2 By Jyoti Prajapati

उस दिन प्रांजल का बर्थडे था..! पापा ने उसे नई ड्रेस लाने के लिए रुपये दिए थे और मम्मी ने भी उसे रुपये ही दिए थे, ताकि उसकी जो इच्छा हो वो खरीद सके !! अब हम लोग ठहरे ठेठ देसी लोग !...

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नई सुबह - 2 By Pallavi Pandey

पापा कार निकाल कर दोनो को छोड़ने गए तो मैंने दांतों से जीभ काट ली। क्या मूढ़ता कर बैठी थी मैं? कौन सी सुखद स्मृति थी उस घर की इन दोनो के पास ?उन दोनों के जाने के बाद मां अन्यमनस्क...

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क्या ये ही मेरी जीत थी  By Ratna Pandey

"नहीं, नहीं, नहीं…एक बार मना कर दिया फिर भी समझ में नहीं आता क्या राधा ? क्या ज़रूरत है अभी मायके जाने की ? बार-बार जाने की ज़िद करके, फिर नाराजी दिखाती हो। 25 साल भी तुम्हें कम पड...

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नारी जग पहचान अधिकारी By Kamal Bhansali

माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसमें कुछ हिन्दु नियम कानूनों का ऐसा समाहित है, जो आज के परिवेश अनुसार उचित नहीं लगते, पर बात जब हम नार...

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पश्चाताप - 2 By Sagar

अध्याय 1 यों तो सभी मेहनत करते हैं किंतु सोहन की मेहनत अलग ही है।कहने को तो वह एक मामूली किसान है।किंतु मेहनत क...

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बारिश और एक हादसा.... By Saroj Verma

शाम का समय... सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही हूँ,प्रियम्वदा ने अपने बेटे कुनाल से कहा.... लेकिन मम्मा ! बाहर बारिश हो रही है,कुनाल बोला।। लेकिन हल...

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आखरी प्रश्न By Narayan Menariya

आखरी प्रश्न - तुम क्यों अपनी आवाज़ नही उठाती ? मेरी लिखी हुई कविताओं मेसे एक सबसे प्रिय कविता है, जो कि समाज में औरत की स्थिती का वर्णन करती हैं। इस कविता मे मैने एक औरत के जन्म से...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 6 By Pooja Singh

सरपंच : मुखिया जी ...आप उसका सामना कैसे करेंगी, आप अभी घायल हैं ....!इशिता : मैं घायल जरुर हूं सरपंच जी पर कमजोर नहीं हूं ..मैं उसे सीमा को चोट नहीं पहुंचाने दूंगी .....बरखा गन दो...

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वो गंगा ही तो थी... By Saroj Verma

सुलोचना के पति गजेन्द्र फोरेस्ट आँफिसर थे और इस बार उनके साथ वो भी गई,बड़ा सरकारी डाक बंगला था अंग्रेजों के जमाने का, गाँव से कुछ दूर जंगल के पास,उस जगह आदिवासियों की संख्या बहुत ही...

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वो बूढ़ी औरत... By Saroj Verma

ओ...कौशल्या जीजी! शाम के हमार घरे आ जइओ,न्यौता है तुम्हार!माल्ती ने अपनी पड़ोसन कौशल्या से कहा... काहे! का बात है? कौशल्या ने पूछा।। हमार बहु की गोद भराई है,माल्ती बोली।। बधाई...

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रिले रेस–स्त्री जीवन की इनफ़िनिट बैटन रेस By Neelam Kulshreshtha

प्रोफ़ेसर डॉ. के. वनजा, कोचीन नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित ‘रिले रेस’ कहानी संग्रह स्त्री विमर्श की दृष्टि से उल्लेखनीय है । अनंत काल से अपने जीवन में स्त्री कई कष्टों...

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मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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स्त्री क्या नहीं कर सकती! By Ranjana Jaiswal

ममता की आँखों में बार-बार आँसू आ जाते थे |कैसे वह अपने पाप का प्रायश्चित करे ?कैसे अपने चेहरे को उज्ज्वल करे ?गत–वर्षों की कालिमा क्या यूं ही छूट जाएगी ?क्या उसका पाप उसकी बेटी के...

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रूपगर्विता By Ranjana Jaiswal

इसमें कोई शक नहीं था कि वह रूपवती थी और वह भी ‘मुग्धा’ नहीं ‘गर्विता’ |वह मेरे पड़ोस की आंटी के पाँच बेटियों में सबसे छोटी थी |वह पैदा ही मोम की गुड़िया -सी हुई थी |उसे जो भी देखता ,...

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मैं कहानी शुरू करने से पहले आप सब से कुछ कहना चाहती हूं । ये कहानी बिल्कुल सच घटना पर आधारित है। पहले तो सुन कर मुझे भी यकीन नही हुआ की क्या सच में ऐसा हो सकता है! मैं हैरान थी ! ब...

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तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप ! By Ranjana Jaiswal

वैसे तो जाने कब से स्त्री-पुरूष के लिए यह दोहरी नीति चली आ रही है और समाज के रगों में यह इतना घुल गया है कि किसी को इसमे कुछ गलत नहीं लगता ,पर न्याय तो यही कहता कि यह विभेद मिटना च...

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गर्भस्य और स्त्री मन By prema

दुनिया की हर औरत माँ बनना अपना शौभाग्य समझती हैं. उसका सपना होता हैं कि जब वो मरे तो नाती-पोतियों वाली होकर मरे. अगर वो किसी कारण से माँ नही बन सकी है तो उसने इस सुख से पुरुष और प...

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आज गायत्री का विवाह हो रहा था।उसकी बगल में अच्छी डील-डौल का देखने में सजीला सा दूल्हा बैठा हुआ था जो बाल सुलभ कौतूहल से सारा ताम-झाम देख रहा था, कभी दुल्हन बनी गायत्री का घूंघट...

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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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