hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • परफेक्ट वुमन

    buy now - www.stuffexport.com youtube - Stuff Export तुमने तो अपनी दुनिया बस घर...

  • मैं बेटी हूँ बोझ नहीं

    ये कहानी एक लक्ष्मी नाम की लड़की की है यह सब मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ऐसा मैं...

  • वो फिर नही आते

    वो फिर नही आते आज पूनम के पाँव धरती पर नही पड़ रहे थे, उम्र से लंबा इन्तजार आज सम...

परफेक्ट वुमन By Sushmita Gupta

buy now - www.stuffexport.com youtube - Stuff Export तुमने तो अपनी दुनिया बस घर की चारदीवारी में समेट रखी है. कितनी बार कहा कि समय के साथ ख़ुद को बदलो. कुछ बाहर के और बैंक के काम सी...

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मैं बेटी हूँ बोझ नहीं By Sushmita Gupta

ये कहानी एक लक्ष्मी नाम की लड़की की है यह सब मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ऐसा मैं फील करती हूँ। एक लड़की थी जब उसका जन्म होने वाला था तब उसके दादा दादी और घर के रिश्तेदार जश्न की तैय...

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वो फिर नही आते By Arun Singla

वो फिर नही आते आज पूनम के पाँव धरती पर नही पड़ रहे थे, उम्र से लंबा इन्तजार आज समाप्त हुआ था, उसकी लाडली मिनी के विवाह का दिन आया था. मेहमानों के चलते घर भर में चहल पहल थी, घर छोटा...

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अहसास दबे-दबे से By Riya Jaiswal

सुबह के आठ बज रहे थे। अरे! लीना, तुम अभी तक सो रही हो। उठो, याद है न! आज पार्टी में जाना है। वहां लड़के वाले तुम्हें देखने आएंगे। "लीना की मामी ने अंदर आते हुए कहा"। हां मामी, याद...

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अनोखा बंधन By Archana Anupriya

"अनोखा बंधन"न जाने किस जन्म का कौन सा संबंध था भूरी का माँ के साथ कि हम तीन भाई-बहनों के साथ भूरी भी माँ की चौथी संतान बन गई थी। सफेद और काले रंग के मिश्रण वाली भूरी वैसे तो एक गाय...

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माण्डवी की विरह वेदना By Saroj Verma

मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीर...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 12 By Pooja Singh

इशिता को परेशान देख बरखा पुछती है..." वीरा क्या बात है तुम अब भी परेशान लग रही हो...."" हां बरखा... अभी सबके दिलों से डर खत्म नहीं हुआ है...." इशिता ने गंभीर भाव से कहासुमित : वीरा...

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एक और कुन्ती - (विष्णु प्रभाकर की कहानी) By Saroj Verma

प्यारे दोस्त! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह पत्र लिखने का निर्णय करने में मुझे पूरा एक वर्ष लगा। और अगर यह घटना न घटी होती तो शायद कभी न लिख पाती। मैं नहीं जानती कि आपको क्या कह...

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अभागी का सिन्दूर - (शरतचन्द्र चटोपाध्याय की कहानी) By Saroj Verma

लेखक: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय सात दिनों तक ज्वरग्रस्त रहने के बाद ठाकुरदास मुखोपाध्याय की वृद्धा पत्नी की मृत्यु हो गई. मुखोपाध्याय महाशय अपने धान के व्यापार से काफ़ी समृद्ध थे. उनक...

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एक अश्लील कहानी - (कमलेश्वर की कहानी) By Saroj Verma

एक अश्लील कहानी-(कमलेश्वर की कहानी) नग्नता में भयानक आकर्षण होता है, उससे आदमी की सौन्दर्यवृत्ति की कितनी सन्तुष्टि होती है और कैसे होती है, यह बात बड़े दुःखद रूप में एक दिन स्पष्ट...

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रूठा हुआ मन By Piya

सुबह सुबह कॉफ़ी का कप हाथ मे लेकर में खिड़की के बाहर देख रही थी, इतने में पिहू जाग गई पिहू मेरी 5 साल की बेटी मेरे पास आकर मुझसे लिपट गयी बोली मा आपने मुझे क्यों नही उठाया मुझे सिया...

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घीसू--(जयशंकर प्रसाद की कहानी) By Saroj Verma

सन्ध्या की कालिमा और निर्जनता में किसी कुएं पर नगर के बाहर बड़ी प्यारी स्वर-लहरी गूंजने लगती. घीसू को गाने का चसका था, परन्तु जब कोई न सुने. वह अपनी बूटी अपने लिए घोंटता और आप ही प...

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ममत्व By Jayashree

आज जय बहुत परेशान था क्योंकि उसकी मौसी की तबीयत बहुत खराब थी वह अपनी मौसी को बहुत प्यार करता था और उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था क्योंकि मौसी की बहू और बेटा दूसरे शहर में रहते...

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चन्नी--(शिवानी की कहानी) By Saroj Verma

ट्रेन पूरी रफ़्तार से चली आ रही थी,नीचे की बर्थ पर एक बुज़ुर्ग-से नवाब साहब लेटे ‘स्टेट्समैन’ पढ़ रहे थे. पास ही उनका नाम लिखा सूटकेस धरा था, जिस पर नवाबज़ादा शौकत अली का नाम, उन्ही...

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कल की परछाईं.. By Saroj Verma

त्रिकाली अम्मा! आपसे कोई मिलने आया है,हरिराम बोला।। उन्हें बैठक में बिठाओं और बोलों कि हम अभी आ रहे हैं,त्रिकाली अम्मा ने अपने नौकर से कहा।। जी! अम्मा! और इतना कहकर हरिराम चला गया....

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खुशी का ठिकाना.... By Saroj Verma

आज हीरामनी बहुत खुश थी क्योकिं आज उसका बेटा सुधीर उसे ऋषिकेश लेकर जा रहा था,कितने सालों से उसकी इच्छा ऋषिकेश और हरिद्वार घूमने की थी,जो कि आज पूरी होने जा रही थी।। हीरामनी पहले ऋषि...

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बाज़ार में स्त्री By Ranjana Jaiswal

आज सिर्फ स्त्री ही नहीं पूरी मनुष्य जाति बाजार के केंद्र में है। बाजार में पहले पुरूषों का वर्चस्व था फिर स्त्रियों ने उसमें दखल दिया और पुरूषों को आत्मालोचन,आत्मनिरीक्षण का मौका द...

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दूसरी औरत - 2 By Naziya Ansari

कंवल ने आखिर थोड़ी हिम्मत कर के श्रेयस से पूछ ही लिया कि क्यों वो उससे दूर भाग रहा है। शुरुआत में श्रेयस इस सवाल पर हैरान तो हुआ पर जल्द ही उसने अपने आप को सामान्य करते हुए जवाब दि...

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दीप तले अंधेरा By Ranjana Jaiswal

मदिराधिक्य से लाल चेहरे वाले लालचंद का संदेश पढ़कर पहले उसकी कान की लौ लाल हुई फिर चेहरा |समझ क्या रखा है उसे इस ललमुंहे बानर ने |एकांत में छिपकर पढ़ने वाली मस्तराम की कोई कहानी या च...

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दूसरी औरत By Ranjana Jaiswal

यह सच है कि दूसरी औरत को भारतीय समाज ने अभी तक मान्यता नहीं दी है,फिर भी दूसरी स्त्री सदियों से समाज का हिस्सा रही है |साहित्य,संगीत,कला,फिल्म जैसे क्षेत्रों में तो कई ऐसे पुरूष-ना...

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स्त्री का सच By Ranjana Jaiswal

स्त्री जब तक गुलाम बनी रहती है, तब तक पुरूष की प्रिय बनी रहती है पर जब वह अपनी बुद्धि,तर्क के सहारे अपने वजूद को साबित करती है ।अपने होने को दिखती है ,पुरूष उसका दुश्मन हो जाता है...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 8 By Neerja Pandey

वसुधा की व्यस्तता बढ़ती ही जा रही थी। अरुण जैसे जैसे बड़ा हो रहा था उसकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थी। वसुधा के घर ना रहने पर तो रागिनी और जयंती उसे संभाल लेती थी, पर वापस घर आने पर...

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छिछोरों का छिछियाना By Ranjana Jaiswal

छिछोरों का छिछियानाआजकल बच्चियों से बलात्कार की खबरों से समाचार-पत्र भरे रहते हैं | कितना गिर गया है पुरूष समाज !कौन-सी वजह है इसके पीछे ?एड्स जैसे यौन रोगों से बचाव कि यौन का भ्रा...

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एक मुलाकात By NEELKAMAL GAUTAM

आज से 5 वर्ष पहले मुझे एक लड़की मिली देखने मै सुन्दर जिसका 2 लड़के पीछा कर रहे थे वो लड़की घबराई हुई थी मैंने पूछा क्या हुआ लड़की बोली वो दो लड़के मेरा पीछा कर रहे है मैने कहा कोई...

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस By Pranava Bharti

'नारी तू नारायणी' कहने वाले क्या यह समझते व स्वीकार भी करते हैं कि वास्तव में स्त्री का सम्मान कितना आवश्यक है अथवा जीवन में स्त्री कितनी महत्वपूर्ण है ? यदि इसका उत्तर &#3...

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स्त्री विमर्श बनाम मानवाधिकार By Ranjana Jaiswal

मैं हुआ करती थी /एक ठंडी पतली धारा /बहती हुई जंगलों ,पर्वतों और वादियों में /मैंने जाना कि ठहरा हुआ पानी /भीतर से मारा जाता है /जाना कि समुद्र की लहरों से मिलना धाराओं को नयी जिंदग...

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गुलाबो - भाग 7 By Neerja Pandey

भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की जानकारी होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती...

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भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि By Ranjana Jaiswal

आजादी से पहले बाल-विवाह,बेमेल विवाह ,पर्दा-प्रथा और अशिक्षा पर केन्द्रित कई फिल्में बनाई गईं |दुनिया ना माने ,अछूत कन्या,आदमी ,देवदास ,इन्दिरा एम ए ,बालयोगिनी आदि फिल्में स्त्री –...

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स्त्री कविता की दुश्वारियां By Ranjana Jaiswal

कविता कविता होती है ,उसे स्त्री या पुरूष कविता के रूप में बांटकर नहीं देखना चाहिए ,यह तर्क अक्सर विद्वान देते रहते हैं |वे भूल जाते हैं कि इसी तर्क के कारण स्त्री कविता का सही आकलन...

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गांधारी By Pushp Saini

लघुकथा ( गांधारी )*******************प्रीति = नीलम तुमने मुझे अचानक से ऐसे मिलने क्यों बुलाया, सब ठीक है न ?नीलम = मन बेचैन था, सोचा तुमसे बात करुँ। अच्छा हुआ तुम आ गयी, यह...

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औरत (एक दृष्टि) By Ranjana Jaiswal

औरत को हीन मानना समाज के संस्कारों में रच-बस गया है ,दिलो-दिमाग पर हावी है जहां से उसे खुरच कर हटाना और इसी खुरची हुई जगह पर नयी इबारत लिखना आसान नहीं है ,इसके लिए वक्त भी बहुत चाह...

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सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग By Jyoti Prajapati

अबतक मैंने जिस सुरमयी को जाना था ये उससे बिल्कुल अलग थी ! इतना दुखद और भयावह अतीत ! सुनकर ही दिल मे अजीब सी घबराहट मच गई ! जब पढ़कर ही हम सबका ये हाल था तो सुरमयी पर तो ये सब बीती थ...

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कोख का कारोबार - (लेख) By Ranjana Jaiswal

कोख स्त्री को प्रकृति द्वारा दिया गया अनुपम उपहार है पर सदियों से इस पर पुरूष का अधिकार रहा है |अपनी ही कोख के बारे में स्त्री निर्णय नहीं ले सकती थी |उसकी कोख में क्या पले ,कितना...

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माँ By Pushp Saini

कहानी --- माँ •••••••••••••••••••आज नैना की शादी पर उसकी एक नहीं दो-दो माँ उसका कन्यादान कर रही थी और उसे आशीर्वाद दे रही थी ।तबादले के बाद जब हम इस बड़े से शहर में आए तब पलक से मे...

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परफेक्ट वुमन By Sushmita Gupta

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मैं बेटी हूँ बोझ नहीं By Sushmita Gupta

ये कहानी एक लक्ष्मी नाम की लड़की की है यह सब मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ऐसा मैं फील करती हूँ। एक लड़की थी जब उसका जन्म होने वाला था तब उसके दादा दादी और घर के रिश्तेदार जश्न की तैय...

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वो फिर नही आते By Arun Singla

वो फिर नही आते आज पूनम के पाँव धरती पर नही पड़ रहे थे, उम्र से लंबा इन्तजार आज समाप्त हुआ था, उसकी लाडली मिनी के विवाह का दिन आया था. मेहमानों के चलते घर भर में चहल पहल थी, घर छोटा...

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अहसास दबे-दबे से By Riya Jaiswal

सुबह के आठ बज रहे थे। अरे! लीना, तुम अभी तक सो रही हो। उठो, याद है न! आज पार्टी में जाना है। वहां लड़के वाले तुम्हें देखने आएंगे। "लीना की मामी ने अंदर आते हुए कहा"। हां मामी, याद...

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अनोखा बंधन By Archana Anupriya

"अनोखा बंधन"न जाने किस जन्म का कौन सा संबंध था भूरी का माँ के साथ कि हम तीन भाई-बहनों के साथ भूरी भी माँ की चौथी संतान बन गई थी। सफेद और काले रंग के मिश्रण वाली भूरी वैसे तो एक गाय...

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माण्डवी की विरह वेदना By Saroj Verma

मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीर...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 12 By Pooja Singh

इशिता को परेशान देख बरखा पुछती है..." वीरा क्या बात है तुम अब भी परेशान लग रही हो...."" हां बरखा... अभी सबके दिलों से डर खत्म नहीं हुआ है...." इशिता ने गंभीर भाव से कहासुमित : वीरा...

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एक और कुन्ती - (विष्णु प्रभाकर की कहानी) By Saroj Verma

प्यारे दोस्त! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह पत्र लिखने का निर्णय करने में मुझे पूरा एक वर्ष लगा। और अगर यह घटना न घटी होती तो शायद कभी न लिख पाती। मैं नहीं जानती कि आपको क्या कह...

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अभागी का सिन्दूर - (शरतचन्द्र चटोपाध्याय की कहानी) By Saroj Verma

लेखक: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय सात दिनों तक ज्वरग्रस्त रहने के बाद ठाकुरदास मुखोपाध्याय की वृद्धा पत्नी की मृत्यु हो गई. मुखोपाध्याय महाशय अपने धान के व्यापार से काफ़ी समृद्ध थे. उनक...

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एक अश्लील कहानी - (कमलेश्वर की कहानी) By Saroj Verma

एक अश्लील कहानी-(कमलेश्वर की कहानी) नग्नता में भयानक आकर्षण होता है, उससे आदमी की सौन्दर्यवृत्ति की कितनी सन्तुष्टि होती है और कैसे होती है, यह बात बड़े दुःखद रूप में एक दिन स्पष्ट...

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रूठा हुआ मन By Piya

सुबह सुबह कॉफ़ी का कप हाथ मे लेकर में खिड़की के बाहर देख रही थी, इतने में पिहू जाग गई पिहू मेरी 5 साल की बेटी मेरे पास आकर मुझसे लिपट गयी बोली मा आपने मुझे क्यों नही उठाया मुझे सिया...

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घीसू--(जयशंकर प्रसाद की कहानी) By Saroj Verma

सन्ध्या की कालिमा और निर्जनता में किसी कुएं पर नगर के बाहर बड़ी प्यारी स्वर-लहरी गूंजने लगती. घीसू को गाने का चसका था, परन्तु जब कोई न सुने. वह अपनी बूटी अपने लिए घोंटता और आप ही प...

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ममत्व By Jayashree

आज जय बहुत परेशान था क्योंकि उसकी मौसी की तबीयत बहुत खराब थी वह अपनी मौसी को बहुत प्यार करता था और उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था क्योंकि मौसी की बहू और बेटा दूसरे शहर में रहते...

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चन्नी--(शिवानी की कहानी) By Saroj Verma

ट्रेन पूरी रफ़्तार से चली आ रही थी,नीचे की बर्थ पर एक बुज़ुर्ग-से नवाब साहब लेटे ‘स्टेट्समैन’ पढ़ रहे थे. पास ही उनका नाम लिखा सूटकेस धरा था, जिस पर नवाबज़ादा शौकत अली का नाम, उन्ही...

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कल की परछाईं.. By Saroj Verma

त्रिकाली अम्मा! आपसे कोई मिलने आया है,हरिराम बोला।। उन्हें बैठक में बिठाओं और बोलों कि हम अभी आ रहे हैं,त्रिकाली अम्मा ने अपने नौकर से कहा।। जी! अम्मा! और इतना कहकर हरिराम चला गया....

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खुशी का ठिकाना.... By Saroj Verma

आज हीरामनी बहुत खुश थी क्योकिं आज उसका बेटा सुधीर उसे ऋषिकेश लेकर जा रहा था,कितने सालों से उसकी इच्छा ऋषिकेश और हरिद्वार घूमने की थी,जो कि आज पूरी होने जा रही थी।। हीरामनी पहले ऋषि...

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बाज़ार में स्त्री By Ranjana Jaiswal

आज सिर्फ स्त्री ही नहीं पूरी मनुष्य जाति बाजार के केंद्र में है। बाजार में पहले पुरूषों का वर्चस्व था फिर स्त्रियों ने उसमें दखल दिया और पुरूषों को आत्मालोचन,आत्मनिरीक्षण का मौका द...

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दूसरी औरत - 2 By Naziya Ansari

कंवल ने आखिर थोड़ी हिम्मत कर के श्रेयस से पूछ ही लिया कि क्यों वो उससे दूर भाग रहा है। शुरुआत में श्रेयस इस सवाल पर हैरान तो हुआ पर जल्द ही उसने अपने आप को सामान्य करते हुए जवाब दि...

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दीप तले अंधेरा By Ranjana Jaiswal

मदिराधिक्य से लाल चेहरे वाले लालचंद का संदेश पढ़कर पहले उसकी कान की लौ लाल हुई फिर चेहरा |समझ क्या रखा है उसे इस ललमुंहे बानर ने |एकांत में छिपकर पढ़ने वाली मस्तराम की कोई कहानी या च...

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दूसरी औरत By Ranjana Jaiswal

यह सच है कि दूसरी औरत को भारतीय समाज ने अभी तक मान्यता नहीं दी है,फिर भी दूसरी स्त्री सदियों से समाज का हिस्सा रही है |साहित्य,संगीत,कला,फिल्म जैसे क्षेत्रों में तो कई ऐसे पुरूष-ना...

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स्त्री का सच By Ranjana Jaiswal

स्त्री जब तक गुलाम बनी रहती है, तब तक पुरूष की प्रिय बनी रहती है पर जब वह अपनी बुद्धि,तर्क के सहारे अपने वजूद को साबित करती है ।अपने होने को दिखती है ,पुरूष उसका दुश्मन हो जाता है...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 8 By Neerja Pandey

वसुधा की व्यस्तता बढ़ती ही जा रही थी। अरुण जैसे जैसे बड़ा हो रहा था उसकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थी। वसुधा के घर ना रहने पर तो रागिनी और जयंती उसे संभाल लेती थी, पर वापस घर आने पर...

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छिछोरों का छिछियाना By Ranjana Jaiswal

छिछोरों का छिछियानाआजकल बच्चियों से बलात्कार की खबरों से समाचार-पत्र भरे रहते हैं | कितना गिर गया है पुरूष समाज !कौन-सी वजह है इसके पीछे ?एड्स जैसे यौन रोगों से बचाव कि यौन का भ्रा...

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एक मुलाकात By NEELKAMAL GAUTAM

आज से 5 वर्ष पहले मुझे एक लड़की मिली देखने मै सुन्दर जिसका 2 लड़के पीछा कर रहे थे वो लड़की घबराई हुई थी मैंने पूछा क्या हुआ लड़की बोली वो दो लड़के मेरा पीछा कर रहे है मैने कहा कोई...

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स्त्री विमर्श बनाम मानवाधिकार By Ranjana Jaiswal

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गुलाबो - भाग 7 By Neerja Pandey

भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की जानकारी होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती...

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आजादी से पहले बाल-विवाह,बेमेल विवाह ,पर्दा-प्रथा और अशिक्षा पर केन्द्रित कई फिल्में बनाई गईं |दुनिया ना माने ,अछूत कन्या,आदमी ,देवदास ,इन्दिरा एम ए ,बालयोगिनी आदि फिल्में स्त्री –...

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स्त्री कविता की दुश्वारियां By Ranjana Jaiswal

कविता कविता होती है ,उसे स्त्री या पुरूष कविता के रूप में बांटकर नहीं देखना चाहिए ,यह तर्क अक्सर विद्वान देते रहते हैं |वे भूल जाते हैं कि इसी तर्क के कारण स्त्री कविता का सही आकलन...

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गांधारी By Pushp Saini

लघुकथा ( गांधारी )*******************प्रीति = नीलम तुमने मुझे अचानक से ऐसे मिलने क्यों बुलाया, सब ठीक है न ?नीलम = मन बेचैन था, सोचा तुमसे बात करुँ। अच्छा हुआ तुम आ गयी, यह...

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औरत को हीन मानना समाज के संस्कारों में रच-बस गया है ,दिलो-दिमाग पर हावी है जहां से उसे खुरच कर हटाना और इसी खुरची हुई जगह पर नयी इबारत लिखना आसान नहीं है ,इसके लिए वक्त भी बहुत चाह...

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सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग By Jyoti Prajapati

अबतक मैंने जिस सुरमयी को जाना था ये उससे बिल्कुल अलग थी ! इतना दुखद और भयावह अतीत ! सुनकर ही दिल मे अजीब सी घबराहट मच गई ! जब पढ़कर ही हम सबका ये हाल था तो सुरमयी पर तो ये सब बीती थ...

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कोख का कारोबार - (लेख) By Ranjana Jaiswal

कोख स्त्री को प्रकृति द्वारा दिया गया अनुपम उपहार है पर सदियों से इस पर पुरूष का अधिकार रहा है |अपनी ही कोख के बारे में स्त्री निर्णय नहीं ले सकती थी |उसकी कोख में क्या पले ,कितना...

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माँ By Pushp Saini

कहानी --- माँ •••••••••••••••••••आज नैना की शादी पर उसकी एक नहीं दो-दो माँ उसका कन्यादान कर रही थी और उसे आशीर्वाद दे रही थी ।तबादले के बाद जब हम इस बड़े से शहर में आए तब पलक से मे...

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