hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books

हमने दिल दे दिया - अंक २६ By VARUN S. PATEL

अंक २६ सारवार          अंश और दिव्या दोनों दुनिया की सारी झंझाल छोड़कर अपनी अलग ही मोज में खोए हुए थे और अपनी कहनिया और किस्से एक दुसरे को बता रहे थे |     मेरा छोडो तुम जब से मिले...

Read Free

वह बदनाम औरत - भाग 3 By S Sinha

  Part 3  - अभी तक आपने पढ़ा कि शीला ने चंदा और मोहन की मदद के लिए उन्हें साथ ले कर चंडीगढ़ आयी  . अब आगे  …                                                वह बदनाम औरत 3     शीला मो...

Read Free

आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 3 By Ratna Pandey

राजा के द्वारा पिता के बारे में पूछते ही सुशीला को ऐसा लगा मानो हवा का एक तूफ़ानी झोंका आकर उसके कानों से टकरा गया है। वह सहम गई, घबरा गई। उस समय ऐसा लग रहा था मानो समय रुक गया है।...

Read Free

मां की भावनाओं का इन्वेस्टमेंट... By Teena Sharma

हर सुबह की तरह आज की सुबह न थी....आज ना तो सूरज की किरणें घर के भीतर झांक रही थी और ना ही धूपबत्ती की खुशबू से घर महक रहा था। चारों तरफ एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई थी, जो रह रह कर...

Read Free

कामवाली बाई - भाग(२२) By Saroj Verma

जब मेरा उस शहर में मन नहीं लगा तो मैं इस शहर में आ गया,सारंगी और छलिया का बिछड़ना मुझे खल रहा था अब साथ में जग्गू दादा भी मुझे छोड़कर जा चुका था,एक साथ इतने ग़म सहना मेरे लिए बहुत मुश...

Read Free

ममता की छाँव - भाग 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

विदाई के बाद अंशिता हिमांशु के साथ उसके घर के लिए रवाना हो गई। कार में बैठकर हिमांशु ने कहा, “अंशिता आज से तीन माह पहले क्या कभी हमने सोचा था कि हमारा जीवन इतना बदलने वाला है। तुम...

Read Free

स्नेह की थपकी... By Saroj Verma

जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे दादी के थे,मेरे पैदा होने पर शायद वें ही सबसे ज्यादा खुश थीं,दाई माँ को उन्होंने अपने गलें में पड़ी सोने की चेन उ...

Read Free

आखिरी लोरी... By Saroj Verma

साँझ का समय था,गंगाजली मिट्टी से लीपे आँगन को बुहार रही थी,खुला आँगन और घर के पिछवाड़े पीपल और बबूल के पेड़ हैं तो दिनभर में ना जाने कितने सूखे पत्ते आँगन में इकट्ठा हो जाते हैं वो उ...

Read Free

मां By Dinesh Tripathi

एक बार की बात है। एक छोटे से गांव में एक विधवा औरत और उसका बेटा रहता था । वह बहुत गरीब थे। मां दूसरे के घरों में जाकर मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे श्याम को पढ़ाती थी। श्याम एक होनहा...

Read Free

मानभंजन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

प्रेमप्रताप का ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर मोती की प्रसन्नता की सीमा ना रही,उसे अचरज हो रहा था कि कोई भी बुरा इन्सान प्रेम की धारा में बहकर इतना स्वच्छ और निर्मल हो सकता कि वो अपने...

Read Free

देह की दहलीज़ - अंतिम भाग  By prashant sharma ashk

समाज के लोगों की नजर और अपनी मजबूरियों के कारण जिस दलदल में रोशनी उतरी थी, वो उससे निजात पाना चाहती थी, उसे अपनी हर सांस इतनी बोझिल लगने लगी थी, जिससे वो आजाद हो जाता चाहती थी, परं...

Read Free

घूँघट - (इस्मत चुगताई की कहानी) By Saroj Verma

सफ़ेद चांदनी बिछे तख़्त पर बगुले के परों से ज़्यादा सफ़ेद बालों वाली दादी बिलकुल संगमरमर का भद्दा-सा ढेर मालूम होती थीं. जैसे उनके जिस्म में ख़ून की एक बूंद ना हो. उनकी हल्की सुरमई...

Read Free

तुम रूठा न करो By Kishanlal Sharma

पत्नी और पानक्या समानता है इनमेंपहली समानता तो यह है कि दोनों शब्दो की शुरुआत प शब्द से होती है।पान मुख की शोभा बढ़ता है।पान खाने के बाद ताजगी और उमंग का एहसास होता है।पान पत्नी खाल...

Read Free

फ़्लैट नंबर 444 By Ratna Pandey

सरोज और उसके पति मयूर चौथी मंज़िल पर एक फ़्लैट में रहते थे। अभी दो माह पहले ही उनके पड़ोस के फ़्लैट नंबर 444 में किराये से रहने के लिए एक दंपति आये थे। हर दिन उस फ़्लैट से लड़ाई करने...

Read Free

आत्मनिर्भर स्त्री By दिनू

एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी: राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी...

Read Free

सौतन बनी सहेली... By Saroj Verma

जनार्दन प्रसाद गुप्ता सौरीगृह के बाहर बड़ी बैचेनी के साथ चक्कर काट रहे थे,तभी उनकी विधवा माँ अनुसुइया आकर बोली.... अरे इस बार क्यों घबराता है,हरिद्वार से आए़ ज्योतिषी ने गारण्टी लेक...

Read Free

पवित्रता - पवित्र प्यार By दिनू

कुछ पुरूषों की मानसिकता...पुरूष का प्यार तब तक प्यार है, जब तक वो स्त्री को स्पर्श ना करलेजबतक वो स्त्री स्पर्श को छू नहीं पाता उसके लिए वो सबकुछ होती हैऔर जैसे ही स्त्री उसपर भरोस...

Read Free

हीरा दे : एक वज्रहृदया क्षत्राणी By धरमा

हीरा दे : एक वज्रहृदया क्षत्राणीसंवत 1368, वैशाख का निदाघ पत्थर पिघला रहा था। तभी द्वार पर दस्तक सुनी और हीरा-दे ने दरवाजा खोला। स्वेद में नहाया उसका पति विका दहिया एक पोटली उठाये...

Read Free

पहला प्यार--नही भुला पाती - 4 - अंतिम भाग By Kishanlal Sharma

आशा ने अपनर्मन में सोचा जरूर था लेकिन शेखर से वह यह बात कह नही स्की थी।इसके पीछे भी कारण था।उसके माता पिता नही चाहते थे वह शेखर से शादी करे.।शेखर दूसरी जाति का था।लेकिन घरवालों के...

Read Free

हमने दिल दे दिया - अंक २६ By VARUN S. PATEL

अंक २६ सारवार          अंश और दिव्या दोनों दुनिया की सारी झंझाल छोड़कर अपनी अलग ही मोज में खोए हुए थे और अपनी कहनिया और किस्से एक दुसरे को बता रहे थे |     मेरा छोडो तुम जब से मिले...

Read Free

वह बदनाम औरत - भाग 3 By S Sinha

  Part 3  - अभी तक आपने पढ़ा कि शीला ने चंदा और मोहन की मदद के लिए उन्हें साथ ले कर चंडीगढ़ आयी  . अब आगे  …                                                वह बदनाम औरत 3     शीला मो...

Read Free

आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 3 By Ratna Pandey

राजा के द्वारा पिता के बारे में पूछते ही सुशीला को ऐसा लगा मानो हवा का एक तूफ़ानी झोंका आकर उसके कानों से टकरा गया है। वह सहम गई, घबरा गई। उस समय ऐसा लग रहा था मानो समय रुक गया है।...

Read Free

मां की भावनाओं का इन्वेस्टमेंट... By Teena Sharma

हर सुबह की तरह आज की सुबह न थी....आज ना तो सूरज की किरणें घर के भीतर झांक रही थी और ना ही धूपबत्ती की खुशबू से घर महक रहा था। चारों तरफ एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई थी, जो रह रह कर...

Read Free

कामवाली बाई - भाग(२२) By Saroj Verma

जब मेरा उस शहर में मन नहीं लगा तो मैं इस शहर में आ गया,सारंगी और छलिया का बिछड़ना मुझे खल रहा था अब साथ में जग्गू दादा भी मुझे छोड़कर जा चुका था,एक साथ इतने ग़म सहना मेरे लिए बहुत मुश...

Read Free

ममता की छाँव - भाग 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

विदाई के बाद अंशिता हिमांशु के साथ उसके घर के लिए रवाना हो गई। कार में बैठकर हिमांशु ने कहा, “अंशिता आज से तीन माह पहले क्या कभी हमने सोचा था कि हमारा जीवन इतना बदलने वाला है। तुम...

Read Free

स्नेह की थपकी... By Saroj Verma

जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे दादी के थे,मेरे पैदा होने पर शायद वें ही सबसे ज्यादा खुश थीं,दाई माँ को उन्होंने अपने गलें में पड़ी सोने की चेन उ...

Read Free

आखिरी लोरी... By Saroj Verma

साँझ का समय था,गंगाजली मिट्टी से लीपे आँगन को बुहार रही थी,खुला आँगन और घर के पिछवाड़े पीपल और बबूल के पेड़ हैं तो दिनभर में ना जाने कितने सूखे पत्ते आँगन में इकट्ठा हो जाते हैं वो उ...

Read Free

मां By Dinesh Tripathi

एक बार की बात है। एक छोटे से गांव में एक विधवा औरत और उसका बेटा रहता था । वह बहुत गरीब थे। मां दूसरे के घरों में जाकर मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे श्याम को पढ़ाती थी। श्याम एक होनहा...

Read Free

मानभंजन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

प्रेमप्रताप का ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर मोती की प्रसन्नता की सीमा ना रही,उसे अचरज हो रहा था कि कोई भी बुरा इन्सान प्रेम की धारा में बहकर इतना स्वच्छ और निर्मल हो सकता कि वो अपने...

Read Free

देह की दहलीज़ - अंतिम भाग  By prashant sharma ashk

समाज के लोगों की नजर और अपनी मजबूरियों के कारण जिस दलदल में रोशनी उतरी थी, वो उससे निजात पाना चाहती थी, उसे अपनी हर सांस इतनी बोझिल लगने लगी थी, जिससे वो आजाद हो जाता चाहती थी, परं...

Read Free

घूँघट - (इस्मत चुगताई की कहानी) By Saroj Verma

सफ़ेद चांदनी बिछे तख़्त पर बगुले के परों से ज़्यादा सफ़ेद बालों वाली दादी बिलकुल संगमरमर का भद्दा-सा ढेर मालूम होती थीं. जैसे उनके जिस्म में ख़ून की एक बूंद ना हो. उनकी हल्की सुरमई...

Read Free

तुम रूठा न करो By Kishanlal Sharma

पत्नी और पानक्या समानता है इनमेंपहली समानता तो यह है कि दोनों शब्दो की शुरुआत प शब्द से होती है।पान मुख की शोभा बढ़ता है।पान खाने के बाद ताजगी और उमंग का एहसास होता है।पान पत्नी खाल...

Read Free

फ़्लैट नंबर 444 By Ratna Pandey

सरोज और उसके पति मयूर चौथी मंज़िल पर एक फ़्लैट में रहते थे। अभी दो माह पहले ही उनके पड़ोस के फ़्लैट नंबर 444 में किराये से रहने के लिए एक दंपति आये थे। हर दिन उस फ़्लैट से लड़ाई करने...

Read Free

आत्मनिर्भर स्त्री By दिनू

एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी: राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी...

Read Free

सौतन बनी सहेली... By Saroj Verma

जनार्दन प्रसाद गुप्ता सौरीगृह के बाहर बड़ी बैचेनी के साथ चक्कर काट रहे थे,तभी उनकी विधवा माँ अनुसुइया आकर बोली.... अरे इस बार क्यों घबराता है,हरिद्वार से आए़ ज्योतिषी ने गारण्टी लेक...

Read Free

पवित्रता - पवित्र प्यार By दिनू

कुछ पुरूषों की मानसिकता...पुरूष का प्यार तब तक प्यार है, जब तक वो स्त्री को स्पर्श ना करलेजबतक वो स्त्री स्पर्श को छू नहीं पाता उसके लिए वो सबकुछ होती हैऔर जैसे ही स्त्री उसपर भरोस...

Read Free

हीरा दे : एक वज्रहृदया क्षत्राणी By धरमा

हीरा दे : एक वज्रहृदया क्षत्राणीसंवत 1368, वैशाख का निदाघ पत्थर पिघला रहा था। तभी द्वार पर दस्तक सुनी और हीरा-दे ने दरवाजा खोला। स्वेद में नहाया उसका पति विका दहिया एक पोटली उठाये...

Read Free

पहला प्यार--नही भुला पाती - 4 - अंतिम भाग By Kishanlal Sharma

आशा ने अपनर्मन में सोचा जरूर था लेकिन शेखर से वह यह बात कह नही स्की थी।इसके पीछे भी कारण था।उसके माता पिता नही चाहते थे वह शेखर से शादी करे.।शेखर दूसरी जाति का था।लेकिन घरवालों के...

Read Free