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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • हमने दिल दे दिया - अंक ३१

     अंक ३१ तेज होती हुई राजनीती      सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्...

  • कामवाली बाई - भाग(२४)

    अब पादरी अक्सर हमारी दुकान पर आने लगे और उन्होंने मेरे माँ बाप को भी मना लिया कि...

  • गुलाबो - भाग 8

    भाग 8रज्जो पति,देवर और ससुर के साथ शहर पहुंची। गंभीर रज्जो को बाहर के माहौल से क...

हमने दिल दे दिया - अंक ३१ By VARUN S. PATEL

 अंक ३१ तेज होती हुई राजनीती      सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्ते निकल जाते है और आज पहेली बार चिराग और अंश की लड़ाई की वजह से सारे दोस्तों के बिच दरार पड़ गई थी | आ...

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कामवाली बाई - भाग(२४) By Saroj Verma

अब पादरी अक्सर हमारी दुकान पर आने लगे और उन्होंने मेरे माँ बाप को भी मना लिया कि मैं ही उनके यहाँ खाना पकाने जाऊँ ,अपने माँ बाप के कहने पर मजबूरीवश मुझे उनके घर खाना पकाने जाना ही...

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गुलाबो - भाग 8 By Neerja Pandey

भाग 8रज्जो पति,देवर और ससुर के साथ शहर पहुंची। गंभीर रज्जो को बाहर के माहौल से कोई लेना देना नही था। वो वहां पहुंच कर जल्दी ही अपनी छोटी सी गृहस्ती में रम गई। खाना पीना और घर का सा...

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आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 7 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उधर आदर्श की बात मानकर श्यामा आपसी समझ के साथ ही अलग-अलग रहने के लिए मान गई।  अगले दिन श्यामा ने करुणा के पास जाकर कहा, “माँ मुझे माफ़ कर देना। मैं अब और आगे आदर्श का साथ ना दे पाऊ...

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वह बदनाम औरत - भाग 5 - अंतिम भाग By S Sinha

 Last Part 5    - अभी तक आपने पढ़ा कि शीला की मदद से चंदा और मोहन को एक बेटी हुई   . अब आगे  …                                                                         वह बदनाम औरत 5...

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मां की भावनाओं का इन्वेस्टमेंट... By Teena Sharma

हर सुबह की तरह आज की सुबह न थी....आज ना तो सूरज की किरणें घर के भीतर झांक रही थी और ना ही धूपबत्ती की खुशबू से घर महक रहा था। चारों तरफ एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई थी, जो रह रह कर...

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ममता की छाँव - भाग 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

विदाई के बाद अंशिता हिमांशु के साथ उसके घर के लिए रवाना हो गई। कार में बैठकर हिमांशु ने कहा, “अंशिता आज से तीन माह पहले क्या कभी हमने सोचा था कि हमारा जीवन इतना बदलने वाला है। तुम...

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स्नेह की थपकी... By Saroj Verma

जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे दादी के थे,मेरे पैदा होने पर शायद वें ही सबसे ज्यादा खुश थीं,दाई माँ को उन्होंने अपने गलें में पड़ी सोने की चेन उ...

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आखिरी लोरी... By Saroj Verma

साँझ का समय था,गंगाजली मिट्टी से लीपे आँगन को बुहार रही थी,खुला आँगन और घर के पिछवाड़े पीपल और बबूल के पेड़ हैं तो दिनभर में ना जाने कितने सूखे पत्ते आँगन में इकट्ठा हो जाते हैं वो उ...

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मां By Dinesh Tripathi

एक बार की बात है। एक छोटे से गांव में एक विधवा औरत और उसका बेटा रहता था । वह बहुत गरीब थे। मां दूसरे के घरों में जाकर मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे श्याम को पढ़ाती थी। श्याम एक होनहा...

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मानभंजन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

प्रेमप्रताप का ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर मोती की प्रसन्नता की सीमा ना रही,उसे अचरज हो रहा था कि कोई भी बुरा इन्सान प्रेम की धारा में बहकर इतना स्वच्छ और निर्मल हो सकता कि वो अपने...

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देह की दहलीज़ - अंतिम भाग  By prashant sharma ashk

समाज के लोगों की नजर और अपनी मजबूरियों के कारण जिस दलदल में रोशनी उतरी थी, वो उससे निजात पाना चाहती थी, उसे अपनी हर सांस इतनी बोझिल लगने लगी थी, जिससे वो आजाद हो जाता चाहती थी, परं...

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हमने दिल दे दिया - अंक ३१ By VARUN S. PATEL

 अंक ३१ तेज होती हुई राजनीती      सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्ते निकल जाते है और आज पहेली बार चिराग और अंश की लड़ाई की वजह से सारे दोस्तों के बिच दरार पड़ गई थी | आ...

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कामवाली बाई - भाग(२४) By Saroj Verma

अब पादरी अक्सर हमारी दुकान पर आने लगे और उन्होंने मेरे माँ बाप को भी मना लिया कि मैं ही उनके यहाँ खाना पकाने जाऊँ ,अपने माँ बाप के कहने पर मजबूरीवश मुझे उनके घर खाना पकाने जाना ही...

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गुलाबो - भाग 8 By Neerja Pandey

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आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 7 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उधर आदर्श की बात मानकर श्यामा आपसी समझ के साथ ही अलग-अलग रहने के लिए मान गई।  अगले दिन श्यामा ने करुणा के पास जाकर कहा, “माँ मुझे माफ़ कर देना। मैं अब और आगे आदर्श का साथ ना दे पाऊ...

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वह बदनाम औरत - भाग 5 - अंतिम भाग By S Sinha

 Last Part 5    - अभी तक आपने पढ़ा कि शीला की मदद से चंदा और मोहन को एक बेटी हुई   . अब आगे  …                                                                         वह बदनाम औरत 5...

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हर सुबह की तरह आज की सुबह न थी....आज ना तो सूरज की किरणें घर के भीतर झांक रही थी और ना ही धूपबत्ती की खुशबू से घर महक रहा था। चारों तरफ एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई थी, जो रह रह कर...

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ममता की छाँव - भाग 9 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

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जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे दादी के थे,मेरे पैदा होने पर शायद वें ही सबसे ज्यादा खुश थीं,दाई माँ को उन्होंने अपने गलें में पड़ी सोने की चेन उ...

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आखिरी लोरी... By Saroj Verma

साँझ का समय था,गंगाजली मिट्टी से लीपे आँगन को बुहार रही थी,खुला आँगन और घर के पिछवाड़े पीपल और बबूल के पेड़ हैं तो दिनभर में ना जाने कितने सूखे पत्ते आँगन में इकट्ठा हो जाते हैं वो उ...

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मां By Dinesh Tripathi

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मानभंजन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

प्रेमप्रताप का ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर मोती की प्रसन्नता की सीमा ना रही,उसे अचरज हो रहा था कि कोई भी बुरा इन्सान प्रेम की धारा में बहकर इतना स्वच्छ और निर्मल हो सकता कि वो अपने...

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देह की दहलीज़ - अंतिम भाग  By prashant sharma ashk

समाज के लोगों की नजर और अपनी मजबूरियों के कारण जिस दलदल में रोशनी उतरी थी, वो उससे निजात पाना चाहती थी, उसे अपनी हर सांस इतनी बोझिल लगने लगी थी, जिससे वो आजाद हो जाता चाहती थी, परं...

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