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Tujhse milna taqdeer thi, baatein karna intikhab, Par Ishq hona kisi ke bas mein hai hota kya ? Ho gayi tujhse mohabbat teri aankhon mein doob kar, Ab teri aankhon mein bhi mere siwa aur koi hai hota kya ? Teri baaton se din ki shuruwat aur ikhtitam bhi unhi se, Tu Na hota to Tera jaisa koi aur hota kya ? Haa shayad mil bhi Jaye koi tujhse haseen, Par tu hi Bata jitna Ishq tujhse hai kisi aur se hota kya ? Tujhse mohabbat isliye kyunki rote waqt tune hasaya tha, Ab tu hi Bata tere hote huye main kabhi rota kya ? Jab itna haseen khwaab meri Haqeeqat ban Jaye, To tu hi Bata main kisi dusre khwaab ke liye raaton ko sota kya ?
पूछे गर कोई तो सलामत ही फरमाना, हाल-ए-दिल इजहार न किसी को बताना.
चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्तान सुनकर खामोशी तुम समझते नही, बया हमसे होता नही।
ખુલ્લું રાખ્યું બારણું, કદાચ તું આવે.... દિલમાં દિલ ભેળવું, જો તને ફાવે... -Yogesh Suthar
ક્યારે થશે જો મુલાકાત તો હું અનુભવ કહીશ તને આગમાંથી રાખ થઈ મળી કેવી ખુશ્બુ એ કહીશ તને - યોગેશ
वो कहते है ना मैं बुरा हु नहीं, मुझे बुरा बनाया गया है। एसे ही मुझे लिखने का शौक था नहीं, मुझसे लिखवाया गया है। -Yogesh Suthar
होते होंगे दर्द के अहसास खूबसूरत , मुझे नहीं चाहिए तेरे बगैर भी होगी क़ायनात खूबसूरत , मुझे नहीं चाहिए मैं अब भी तेरे ही इंतज़ार में ठहरा हुआ हूँ उस मोड़ पर होगी कोई और भी मुलाक़ात खूबसूरत , मुझे नहीं चाहिए उतरा हुआ है जहन में तेरे लबों से निकला हर अल्फ़ाज़ होगी और लबों पर भी बात खूबसूरत , मुझे नहीं चाहिए मेरी नींदें अब भी तलाश रही तेरे ही पहलू को हर रात किसी और पहलू में हो रात खूबसूरत , मुझे नहीं चाहिए तेरे साथ बिताई बरसातें अब मेरी आंखों से उतरती है क्या अब भी होती है बरसात खूबसूरत ? मुझे नहीं चाहिए -
समझ नहीं आता क्यों उदास हुए बैठा हूं खुद से ही क्यों नाराज़ हुए बैठा हूं मांगना जवाब खुद से एक आदत सी हो गई है पता नही क्यों इतने सवाल लिए बैठा जानता हूं बीता वक्त वापस नहीं लौटेगा फिर क्यों खुदको इतना परेशान करे बैठा हूं जब कोई वजह ही नही इस मेरी उदासी की तो फिर क्यों मैं बेवजह उदास हुए बैठा हूं क्यों मैं यूं उदास हुए बैठा हूं ... -Yogesh Suthar
લખું પત્ર ઝાંકળથી જો તમે તડકામાં ખોલો તો!
તુ જળ નહી તરસ શોધ , ખુશીનું બહાનું એક સરસ શોધ , તુ પ્રેમ નહી વિશ્વાસ શોધ , બે મન વચ્ચે મળતો પ્રાસ શોધ , તુ પ્રકાશ નહી સવાર શોધ , નવી પરોઢે સકારાત્મક નવો વિચાર શોધ , તુ શબ્દો નહી ઉંડાણ શોધ , આંખો થી વાંચે ને હદયે ઉતરે એ ઢળાણ શોધ ..
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