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#kavyotsav2 .0 अभी से क्यों थक गए हो अभी और संघर्ष बाकी है जीवन इतना छोटा नहीं बड़े बड़े काम करना बाकी है अभी और.... मुसीबत से न घबराओ हर हार को जीत बनाओ जीवन में पाना है मंज़िल अभी और सीढ़ियां चढ़ना बाकी है अभी और.... कांटे आये तो फूल भी आएंगे घृणा के बादल भी प्रेम बरसायेंगे अभी और संघर्ष बाकी है.....
#kavyotsav2 .0 "हवा" कहां से आती हूं कहां चली जाती हूं एक स्थल पर ना रह पाती हूं चंचल प्रगति से सब को लुभाती हूं कभी शीत तरंगे लाती हूं कभी उष्ण तरंगे लाती हूं कभी तरु पर झूलती हूं कभी सागर में मचलती हूं कभी वस्त्रों से खेलती हूं कभी मंदिरों की घंटी बजाती हूं कभी जुल्फें उड़ाती हूं तो कभी लाज से छिप जाती हूं ऐसे ही बनकर बहती हूं तभी तो कवि की कविता या किसी गीतकार की गीत बन जाती हूं
#आदर करें सभी का आदर ना करे किसी का निरादर आदर करना हमारा धर्म मानवता का यही मर्म निरादर करना है पाप जिससे मिलेगा सिर्फ संताप करें सभी का आदर यही है मानवता की चादर आदर से ही बढ़ेगा प्यार
कितना भी इत्र लगा लो अपनी राख से खुशबू न आएगी सत्कर्म रूपी धुआ ही ईश्वर के घर आत्मा को महकाएगी
World dance day special ( 29 April) # kavyotsav2.0 नृत्य एक कला है नृत्य एक पूजा है इसके है विभिन्न स्वरुप ये कला का है प्रतिरूप हर देश में इसके है उपासक इसका ताण्डव रूप है विनाशक नृत्य हर उत्सव की शोभा लोक, शास्त्रीय रूप देख हुआ अचम्भा इनका साथ देते वाद्य यन्त्र सबको मोहित कर देता नृत्य का मंत्र ये तनाव को दूर भगाता है काया में स्फूर्ति लाता है हमें भी इसे सीखना चाहिए इससे मिली खुशी में रमना चाहिए
# Kavyotsav2.0 corona effect.... कब बजायेगी बाई घण्टी बोल न मेरे बेटे बंटी इतने में आते है बंटी के पापा पहन कर मस्ती का साफा सुनो जी कब आएगी काम वाली बाई कब में पियूंगी उसके हाथ की चाय चलो आप लगाओ पोछा नहीं तो बना दूंगी आपका ओझा अगर छुट्टियाँ नहीं करनी है बेकार शाम के बर्तन धोना जोरदार नहीं तो मैं दिखाउंगी कालिका का अवतार बंद हो जायेगी तुम्हारी शब्दों की तलवार बंटी के पापा हो गए चुप बंटी भी गया छुप बंटी के पापा बन गए आज्ञाकारी घर की शेरनी थी उनपर भारी
आओ सुनाती हूं मेरी कहानी जो है बड़ी सुहानी मैं हूं एक घंटी नहीं हूं किसी की बंदी विभिन्न है मेरा रूप नहीं रहती हूं चुप मैं मंदिर में हूं मैं दरवाजे पर हूं मैं घर में हूं मैं विद्यालय में भी हूं कहीं स्वर है ऊंचा तो कही है नीचा कान के नीचे भी बजाई जाती हूं चल चित्रों में भी दिखाई जाती हूं यही थी मेरी कहानी मैं हूं घंटी सभी है मेरे मित्र चाहे हो सोना, मोना या बंटी
#शिष्ट अगर हम हैं शिष्ट तो हम हैं विशिष्ट सुंदर चेहरा थोड़ी देर करता है मोहित शिष्ट व्यक्ति से हर कोई रहता आकर्षित सुंदरता तो है वो बुलबुला जो हो जाएगा गुलगुला शिष्ट की शिष्टता ही काम आएगी नाम कमा कर जाएगी यही है सच्चे संस्कार जिसमें ना हो कोई विकार तभी होगा हर सपना साकार रखो शिष्ट और शिष्टता से सरोकार फिर से कह लाएगा भारत सोने की चिड़िया होगी शिष्ट और शिष्टता की लड़ियां....
दुनिया ऐसी है जैसे मसाले का डिब्बा कोई साफ है तो किसी में लगा है धब्बा कोई राई जैसा फुट फुट जाता तो कोई है जीरे जैसा चुभता कोई सौंफ जैसा लगता मीठा तो कोई नमक जैसा खारा लेकिन इसके बिना स्वाद रह जाता सारा कोई मिर्ची जैसा होता तीखा स्वाद में ला देता मजा ज्यादा हो जाए याद आ जाती है नानी लेकिन बराबर हो बन जाती स्वाद की जुबानी आओ सब मिलकर गाए मसाले की कहानी अलग-अलग सबकी रंग है जैसे हल्दी का है पीला और धनिए का हरा लेकिन सब सब्जी को कर देते हैं पूरा इसी तरह जीवन में भी मसालों के अलग रंग है अलग-अलग उमंग है लेकिन सब हमेशा संग है वही जीवन का असली रंग है इसी तरह खत्म होती है मसालों की कहानी जिसे सुनाती थी मेरी नानी
#आनंद आज मुझे बहुत आनंद आया मैं खुद भी हसी औरों को भी हसाया आज मुझे बहुत आनंद आया आनंद में पूरा दिन कहां निकल गया कुछ पता न चल पाया अतिरिक्त काम करके भी हाल बुरा न हो पाया आज मुझे बहुत आनंद आया मैं खुद भी हसी औरों को भी हसाया हसो और हसाओ जीवन में आनंद मनाओ दुःख और तनाव के बादल हटाओ आनंद में रहना सभी को सिखाओ
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