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क्षत्रिय विश्व सिंह जादौन

क्षत्रिय विश्व सिंह जादौन

@vishvajadoungmail.com6603


ये जो जहर है हर मर्ज की दवा है,
यूं कब तक मेरे महबूब अश्कों का सहारा लोगे,
बूंद पानी की बाजुओं पे बिखरने दो जरा,
या खिड़कियों स हीे बारिश का नजारा लोगे,
काट लोगे सारी उम्र किसी दिये के शय की में,
या आसमां से चमकता हुआ सितारा लोगे,
मेरी हर आरज़ू हर ख़्वाब लूटने वालों,
सुना है कि अब जान हमारी लोगे,
हमे यकीं है जब हम डूबने की शक्ल में होंगे,
मेरी जान तुम दरिया का किनारा लोगे,
फिर से कोई गुरबत नई तारीख न लिख दे,
मुझे मालूम है तुम दौलत का सहारा लोगे...

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ये कथा-कहानी चलने दे ,
खुद को तू मुझमें रहने दे।
तन बाहर- बाहर गलने दे ,
मन भीतर- भीतर जलने दे ।।
ये कथा- कहानी चलने दे.....
दरिया आंखों से बहने दे,
पीड़ा पर अंकुश तू रहने दे।
अधरो से सब कुछ बयां न कर,
कुछ काजल को भी कहने से।।
ये कथा कहानी चलने दे ...
दर्पण में सूरत देख जरा,
बाजारी मूरत देख जरा।
कोई मोल नही, कोई तोल नही,
पल भर की जरूरत देख जरा।
हर रात देह को सजने दे,
ये कथा कहानी चलने दे....
इन शर्तों पर तू प्यार न कर,
ये जिस्म का व्यापार न कर।
कुछ चित्र- चरित्र भी रहने दे,
संबंधों का संहार न कर।
अब औरत तो एक पलने दे,
ये कथा कहानी चलने दे.....

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