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ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी

ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी

@thakurpratapsingh.ranaji


स्याह रात मैं उनके खयालों की रोशनी है
किसी सितारे किसी माहताब की जरूरत नहीं

बुझाता हूँ प्यास उनकी निगाहों के जाम से
किसी दरिया किसी आब की जरुरत नहीं

मिलता रहता हूँ हर रोज़ उनसे इस कदर
किसी तार्रुफ किसी आदाब की जरुरत नहीं

पढता हूँ उनकी अदाओं उनके इशारों को
किसी तालीम किसी किताब की जरुरत नहीं

कोई इश्क़ को मेरे नाम ना देना राणाजी
किसी तमगे किसी ख़िताब की जरुरत नहीं

©ठाकुर प्रतापसिंह" राणाजी"
सनावद (मध्यप्रदेश )

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सादर नमन मंच 💐🙏प्रस्तुत है स्वरचित ग़ज़ल

"हमको बनाके पत्थर वो कोहिनूर हो गए...."

दिल के हाथों अपने ही मजबूर हो गए
जिसको चाहा उससे ही हम दूर हो गए

हमारे दिल को दे के दर्द की सजा
दुनिया की नज़रों में वो बेकसूर हो गए

ऐसा दिया जख्म भरेगा नहीं कभी
गोया की चार दिन में ही नासूर हो गए

इश्क़ की बाजी जीतकर भी हार ही मिली
हमको बनाके पत्थर वो कोहिनूर हो गए

अब उनकी यादों को बना के एक ग़ज़ल
पीकर गुनगुनाते हुवे नशे में चूर हो गए

©ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी
सनावद (मध्यप्रदेश )

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वो प्रेमिका बन जाती है...

आवाज़ दिल की पन्नों पे उतर आती है, फिर इस तरह एक कविता बन जाती है

बाकी ना रहे कुछ भी दिल के अन्दर,रहे तो कवि की जान पे बन आती है

पहन के लिबास कवि के भावों का, अपने आप पे ही फिर बड़ा इतराती है

समंदर की लहरों सी चंचल है बहुत,उठती -गिरती है,आती है चली जाती है

एक दूजे बिन नहीं रह सकते हैं दोनो, मैं प्रेमी और वो प्रेमिका बन जाती है

©ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी
सनावद (मध्यप्रदेश)

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" मिट्टी का आदमी "

करता गुरुर किस बात पर ये मिट्टी का आदमी
मिल जाता है मिट्टी में मिट्टी का आदमी

इकठ्ठा किया ताउम्र सब जोड़ते रहा
अब खाली हाथ जा रहा दुनिया से आदमी

देख रहा है अंजाम फिर भी मानता नहीं
खाने के बाद ठोकर सुधरता है आदमी

मिलाता है हाथ सब से आगे बढ़ा के हाथ
पर दिल नहीं मिलाता किसी से आदमी

जमीर बेचने को भीड़ लगती है ” राणाजी”
नहीं बचा शहर में अब ईमानदार आदमी

©ठाकुर प्रतापसिंह” राणाजी ”
सनावद (मध्यप्रदेश )

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