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Iqbal Amrohi

Iqbal Amrohi

@syedazaidi4306
(3)

मेरी आँखों मे जो कैद पानी है,
तुझसे बिछड़ने की एक कहानी है
"इक़बाल अमरोही"

कफ़स(Cage)में क़ैद परिंदो से पूछो,
क्या होता है यूँही जिये जाना?
"इक़बाल अमरोही"

हुस्न, इश्क़, दौलत सब वबा (बीमारी)है!
जो लग जाये रोग इनका तो क्या दवा है??
"इक़बाल अमरोही"

अजी क्या कहूं क्या हूं मैं,
बस नाम का इंसा हु मैं।

दरिन्दगी वहशत समेटे हुए।
अपनी ज़ात पे शर्मिंदा हूं मै,

झूठ, बेईमानी, नफरत से भरा,
गुनाहों का एक पुलिंदा हु मैं।

हक़ीक़त में खुद को मार कर,
बस कायदे किताबो तक जिंदा हु मैं।।



इक़बाल अमरोही

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याद तो याद है, खूब आती होगी
अब हरलम्हा, तुम्हे सताती होगी,

मुमकीन नही, मैं ही जागूँ रात भर
नींद अब तुमको भी ना आती होगी,

कुछ अश्क़, मेरी आँखों मे ठहरे रहे
कुछ अश्क़ तेरी आँखे बहाती होगी,

बचा कर रखी थी जो तस्वीरें तुमने
अब तन्हा ही उनको गले लगाती होँगी,

इक़बाल अमरोही

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चाँद जब दिखेगा दुआ को
हाथ उठायेगे
ना मिलेंगे गले,
ना हाथ मिलायेंगे
इस बार ईद कुछ ऐसे मनायेगे

फासले दरमियाँ होगे
ज़रूर एहतियात के
फिर भी दूरियां दिलो की
मिटायेंगे,
इस बार ईद कुछ ऐसे मनायेगे

ना खरीदेगे कपड़े नए,
ना बाज़ार जायेगे
पुराने कपड़ो से ही खुद को
सजायेंगे
इस बार ईद कुछ ऐसे मनायेगे,

ख्याल रखेगे, ग़रीब का
घर उसका भी सजायेंगे
उदास चेहरों पर खुशियों भरी
मुस्कान लाएंगे
इस बार ईद कुछ ऐसे मनायेगे,
"इक़बाल अमरोही"

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ना हाथ मिलाए, ना गले लगाए
एक त्यौहार ऐसा भी मनाए,
आओ मिलकर ईद मनाए।

दूरियां दरमियाँ ज़रूर हो
पर फासले दिलो में ना आये,
आओ मिलकर ईद मनाए।
"इक़बाल अमरोही"

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ये कैसी मजबूरी आयी है
रोशनी अँधेरा साथ लाई है,
ज़िन्दगी खतरे में डाल कर
भूख सड़क पर ले आई है,
दौलत महफूज़ है घरों में
मायूसी गरीबी पे छाई है

"इक़बाल अमरोही"

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ना हाथ मिलाए, ना गले लगाए
एक त्यौहार ऐसा भी मनाए,
आओ मिलकर ईद मनाएं।

दूरियां दरमियाँ ज़रूर हो
पर फासले दिलो में ना आये,
आओ मिलकर ईद मनाए।
"इक़बाल अमरोही"

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