Quotes by Sun in Bitesapp read free

Sun

Sun

@sun1147
(6)

सीता के रखवाले राम थे, जब हरण हुआ – तब कोई नहीं।

द्रौपदी के पाँच पांडव थे, जब चीरहरण हुआ – तब कोई नहीं।

दशरथ के चार दुलारे थे, जब प्राण तजे – तब कोई नहीं।

रावण भी शक्तिशाली था, जब लंका जली – तब कोई नहीं।

अभिमन्यु राजदुलारे थे, पर चक्रव्यूह में – कोई नहीं।

सच यही है दुनियावालों, संसार में -अपना कोई नहीं।

जो लेख लिखे हैं कर्मों ने, उस लेख के आगे -कोई नहीं।

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तेरे बाद जिंदगी वीरान सी है, 
   जैसे कोई मंदिर बिना भगवान सी है।✨
- Sun

मुक़द्दर जब रूठ जाता है,
हर सपना चूर हो जाता है,
जो कल तक था अपना सा,
आज वो भी दूर हो जाता है।

चलते-चलते रुक जाती हैं राहें,
बोलते-बोलते चुप हो जाती हैं आहें।
हर मुस्कान में दर्द छुपा होता है,
जब किस्मत अपना रुख बदलता है।

दिल की चाहत भी अधूरी रह जाती है,
सच्चाई भी झूठी सी लगने लगती है।
कभी किस्मत पर ग़ुस्सा आता है,
कभी खुद से भी नज़र नहीं मिलती है।

आँखें रातभर जागती हैं,
बस एक उम्मीद के सहारे।
कि शायद सुबह कुछ कहे,
कुछ बदल दे ये सितारे।

जो ठोकरें देती है ज़िंदगी,
वो ही सिखाती है संभलना।
जो छीन लेती है सब कुछ,
वही देती है खुद से मिलना।

मुक़द्दर कितना भी रूठे,
हम मुस्कुराना नहीं छोड़ते।
क्योंकि राख में भी चिंगारी होती है,
जो एक दिन शोला बनती है।

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“सच बोलते बोलते, लब थक से गए हैं,
झूठी दुनिया के नकाब, हर दिल पे लगे हैं।

सच की राह में, कांटों से भरे हैं रास्ते,
हर एक कदम पे, छल के मिले हैं वास्ते।

दिल ने हर बार, सच का दिया साथ,
मगर दुनिया ने समझा, इसे एक गलत बात।

सच बोलते बोलते, जख्म गहरे हो गए हैं,
दुनिया के इस खेल में, हम अकेले रह गए हैं।”

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“शब्द आजाद है, लेकिन मेरी कहानी नहीं,
हर एक लफ्ज़ में छुपी है एक न सुनाई जाने वाली कहानी।

एक समय था जब लफ्ज़ों का सरमाया था,
हर बात कहने का हक़ और हिम्मत पास था।
मगर अब हालात कुछ ऐसे बदले,
कि लफ्ज़ तो हैं, पर उन पर पहरे हैं कई।

जब दिल टूटा, तो शब्द भी बिखर गए,
आंसुओं के सैलाब में गुम होकर रह गए।
जिन हर्फ़ों में कभी प्यार का रंग था,
आज उन्हीं में दर्द की परछाई है।

कहने को सब कुछ है, पर जुबां खामोश है,
शब्द आजाद हैं, पर उनका कोई जोश नहीं है।
हर एक बात दिल में दबा कर रखी,
क्योंकि सुनने वाला अब कोई अपना नहीं है।

वक्त ने वो जख्म दिए, जो बयान नहीं हो सके,
शब्दों ने चाहा बहुत, पर दर्द हल्का नहीं हो सके।
हर दिन जी रहा हूँ मैं इस उम्मीद में,
शायद कोई समझे मेरी इस दर्द भरी नज़्म को।

शब्द आजाद हैं, पर मन बंधनों में है,
दिल के जख्मों को अब कोई मरहम नहीं है।
हर एक लफ्ज़ में छुपी है एक सिसकती आवाज़,
शब्द तो आजाद हैं, मगर दिल में एक कैद का राज़।”

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