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हँस्ती हूँ आसपास के आंसू समेट कर वो क्या हँसेंगे जिन्हें रोना नहीं आता -Subhashini Khare
Chehre par muskurahat pehan kr niklna,aankhon mein apne dil ko lekar chlna.... Hame dhundne ki chahat rkhna mashakkat nahi krni pdegi Meri dhadkan door se hi bta dengi main kahaan hun??
मन शांत सा है आज लगता है मेरे साँवरे ने कोई नया किस्सा शुरू किया है मेरी कहानी में, स्वागत की तैयारी जोरों पर है लगता है नया किरदार आ रहा है मेरी जिंदगानी में....
#kavyotsav आज सिर्फ एक ही ख्याल था जो भी है अन्दर सब निकाल दूँ रो लिय फिरसे बहुत रोया मैंने पर रो लेने से शोर थम तो नहीं जाता बड़ी है जिंदगी यही सोचकर ठान लिया कुछ वक्त और यूँ ही निकाल दूँ उठी मुस्कुराई और हँसी भी बहुत पर हँसने से खुशी महसूस हो ऐसा हो तो नहीं जाता नहीं पता खुद से हैं या किसी और से पर बहुत ही पेचीदे से सवाल हैं कुछ जबाव मिलेंगे या नहीं पता नहीं पर फिर भी लौ जला रखी है जबावों की उम्मीद की ऐसे मंजर पर हूँ मैं कि जाना चाहती हूँ बहुत दूर जहाँ कोई न हो जानने वाला पर मजबूरियाँ हैं कुछ सो लेती हूँ पर वो बात नहीं है आ जाए चैन मेरे दिल की गहराई को इंतहाँ है ऐसी नींद की
कहा था मैंने कई दफा कुछ चीजें सह नहीं पाऊंगी चाहकर भी फिर कभी तेरे साथ रह नहीं पाऊंगी कहा था मैंने हर बात हर गलती कबूल है मुझे पर मेरे प्यार को धोखा मिले यह बिल्कुल ना गवार है मुझे कहा था मैंने यह भी कि तुम्हारे बिना जी नहीं सकती पर जब तुम ही तुम ना रहे तो मेरे बदलने में मेरी क्या गलती कहा था मैंने रुक जाओ कहीं गलती सुधारने में देर ना हो जाए जब तुम्हें ही कोई और चाहिए था तो हम खुद से कैसे बेवफा हो जाएं कहा था मैंने अभी भी साथ रहने को तैयार हूं अगर तुम समझ जाते हो रोज रोज messages and call करते हो क्यों नहीं चले जाते हो कहा था मैंने कि वह दिन दूर नहीं कि जब तुम मुझे मनाओगे और मैं मानना तो छोड़ो तुम्हारी बात भी नहीं सुनूंगी तब तुम शायद मेरा दर्द थोड़ा समझ पाओगे
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