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नमस्ते मेरे, ' प्रेमम पिंजरम ' के सभी पाठकों को, तो आप सभी यह जान ही गए होंगे कि इस तस्वीर में यह दोनों लड़कियां कौन है ?? जी हा यह दोनों लड़कियां शुभरालक्षमी और मीनाक्षी यानी कि मीनू है!! 😊 थिरुवर कॉफी बागान का दृश्य!"
" यह मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, " उसकी फिर से तेज लेकिन शांत आवाज़ आई, _ पापलोज (माफिया लीडर) कहानी - नासाज़ 7 लेखिका- सृष्टि चौहान
" गर्लफ्रेंड?" और इस पर भी वो जबरदस्ती की हसी हसने जाने ही वाला था, गर्लफ्रेंड? किस एंगल से किस ओर से मै , मै मेलिस्सा मडगन उर्फ एम्मा रेडक्लिफ इस साइको भगौड़े गैंगस्टर की गर्लफ्रेंड लगती हूं, लगता है इस मोटे का अकल भी मोटा है, पागल आदमी, मै अपने बचाव में कुछ बोल पाती कि इससे पहले वो साइको बोलने के लिए कूद पड़ा _ मेलिस्सा मड गन कहानी - नासाज़ 7 लेखिका- सृष्टि चौहान
" मै बहुत ज्यादा कमीना हो सकता हूं, मै जालिम और निर्दय भी हो सकता हूं, पर मै किसी लड़की पर हाथ नहीं उठाता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो मेरे सब्र की परीक्षा ले, इंतेहा तो इंतज़ार की भी होती है, और मै तो एक क्रूर कसाई हूं, मुझे सब्र कहां, मेरे अंदर के शैतान को जगाओ मत, वरना मै खुद नहीं जानता कि मै क्या कर जाऊंगा, इसलिए चुप रहो, " _पापलोज नासाज़ 7 -Srishtichouhan
Srishtichouhan लिखित कहानी "नासाज़ - 7" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19904951/morbid-7 सातवा चैप्टर आ गया है दोस्तों , अब मेलिस्सा और पाप्लॉस की यह मुलाक़ात क्या रंग लाएगी जान ने के लिए जरूर जरूर पढ़े नासाज़ चैप्टर 7 , मेरे बायो में यह किताब, एक आग है तो दूसरा आब है, एक प्यास बुझाता है तो दूसरा चिंगारी भड़काता है, और जब यह दोनों आग और पानी मिलेंगे तो शोला तो भड़केगा ही क्यों?? क्या मेलिस्सा पापलोज से अपने आपको बचा पाएगी, क्या पापलोज पुलिस से बच पाएगा , मे लिस्सा को अपनी ढाल बनाकर, अगर आप भी इस कहानी के नियमित पाठक है तो नीचे कमेंट्स में लिखिए और बताइए कि हा मै इस कहानी को पढ़ता हूं पढ़ती हू, मुझे सच में बेहद खुशी होगी आपकी प्यारी सृष्टि :)
vibe
" सुन रात को 10:30 बजे तैयार निकलना, हम आधे घंटे पहले चले जाएंगे!" मीनू ने मुझसे कहा और उसके चेहरे की चमक से मुझे दाल में कुछ काला नज़र आया ," - शुब्भू
" यह पाट्टी को मुझसे कोई पुराने जन्म की दुश्मनी है क्या, हर समय मुझे कुछ ना कुछ सुनाती है! अब स्टेशन ही तो जाना है कौनसा हमे लंदन जाना है माधवन के पास है ना, शुब्बू ? उसमे भी इतना निर्देश और मुझे तो अपनी चील जैसी आंखों से बार बार घुरे जा रही थी, -प्रेमम पिंजरम (कहानी) -Srishtichouhan
तुम दर्द में रह कर भी इन आंखों के अफसाने पढ़ लिया करते हो जैसे कोई कारीगर अपनी कारीगरी गढ़ लिया करता है लगता है तुम कारीगर हो इस टूटे दिल समान पत्थर की जब पढ़ लेते हो तो तराश भी दो इस पथरीली जज्बातों वाली जेहन को -Srishtichouhan
इस धुंए को उस धुंए से जुड़ना सीखा दिया इस दर्द को उस दर्द से लड़ना सीखा दिया इन आंखों से उन आंखों के आंसुओं को पीकर जीना सीखा दिया यह उल्फतें इश्क़ है इसने रोते हुए को भी हसना सीखा दिया -Srishtichouhan
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