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Shirin Bhavsar

Shirin Bhavsar

@shirinbhavsargmailco


*लौट आओ पापा*
छुटे हुए मोड़ पर
कई दफ़े मन करता है लौट जाने का
आप के पास आने का

बहुत से उत्तरित अनुत्तरित
प्रश्नों को पुनः दोहराने का
वक़्त पर बातें छोड़ देने का
आपका धैर्य थामें
समय के दिए गए उत्तरों के साथ
आज मैं आना चाहती थी पास आप के

बाँट तो अब भी लेती हूँ मैं आपसे
अपना गुस्सा अपनी मुस्कुराहटें
असंजस की कई परिस्थितियाँ
मगर बिन आपके
जीवन में सबकुछ अधूरा लगता है

उम्मीद, स्नेह और ढांढस बंधाती
आँखे साथ तो अब भी है मेरे मगर
सीने से लग जाने की उत्कंठा
वक़्त वक़्त पर नमी दे जाती है

यादें आपकी सहलाती हो बहुत हैं
मगर
रुलाती भी बहुत है

शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)

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*अधूरापन*
पूरा नही होना चाहती मैं...
पूरा हो जाना
मुझमें बेचैनी जगाता है
एक झुंझलाहट
एक कोफ़्त
एक घुटन जगाता हैं....

फिर तलाशने लगती हूँ मैं
कुछ अधूरा
जिसमे में उलझी रहूँ
कुछ ढूँढती रहूँ
नित नये जतन करू
अधूरे के सिरे ढूँढने का....

कुछ अधूरा
मुझे असीमित
कल्पनाएँ देता हैं
मेरी सोच को
विस्तृत आकाश देता है
और
शब्दों को सँवारने की वज़ह भी...

शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)

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दरो दिवार घर की मेरे अब मुझको पहचानती नही
जाने किस राह किस मोड़ वजूद अपना खो आए

शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)