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Shikha

Shikha

@shikha120801gmail.com1583


जो हैं ही नहीं उसका हैं ही क्या
मगर जो था उसका था ही क्या

-Shikha

Effort is the destination

-Shikha

इश्क की बूंदों से पलके भींग गए
मैं देखता रह गया उसको और ना जाने कितने पल रूठ गए

-Shikha

हर जवाब मिलता है खुद से गुफ्तगू करके तो देखो
ख़ुद को ही कभी अपना हमदर्द बना कर तो देखो
हर आईना तुम्हारा अंतर्मन होगा
हर सवाल का जवाब तुममें ही होगा
कभी खुद से गुफ्तगू करके तो देखो

-Shikha

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बंद आंखों से सपने देखो तो पूरे नहीं होते,
ऐसा कुछ सुना है!
खुली आंखों से सपने देखो तो सोने नहीं देते सुकून से,
ये तो आजमाया है!
अजीब दास्तां है ना इन आंखों और सपनों का,
साथ रहकर भी साथ नहीं रह सकते ,
और दूर भी नहीं जा सकते!
साथ चलके मगर इनके मंजिल तो
पाई जा सकती है,
बंद आंखों से तो ना सही मगर,
खुली आंखों से मुकाम तो पाई जा सकती है!
ऐसे ही सोच के मैंने अपने ख्वाबों की तरफ,
अपना कदम बढ़ाया है!
अपने कदमों को अपने ख्वाबों की तरफ बढ़ा कर,
कुछ ख्वाबों से रूबरू हो गई हूं मैं!
मगर जो ख्वाब अधूरे से हैं,
उन्हें हकीकत करना चाहती हूं!
जानती हूं मंजिल अभी करीब तो नहीं है,
मगर मंजिल के राहों से बेखबर भी नहीं हूं मैं!

____SHIKHA

-Shikha

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कुछ ख्वाब अंधेरों के "गुलाम" होते हैं,
मगर इनके ही कुछ "मुकाम" होते हैं.....
"

-Shikha

एक अजनबी हर किसी की जिंदगी में आता है,
अपना ना होते हुए भी बहुत अपना सा लगता है।।
एक पल की मुलाकात सदियों लंबी यादें बन जाती हैं,
कभी-कभी पहली ही मुलाकात आखिरी बन जाती है,
उनके ख्यालात जिंदगी की कहानी बन जाती हैं।।
सोचता है दिल मुलाकात हो जाए जिंदगी की राहों पे उन अजनबी से,
मगर ख्यालातो का सफर सिर्फ ख्वावो में ही रहता है।।
ये अजीब-सा सिलसिला जिंदगी की अनकही और अनजाना -सा दास्तान बन जाता है।।
जब एक अजनबी जिंदगी में आता है।।।।
SHIKHA

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खुद में ही गुमनाम-सी अपनो से अनजान-सी
एक लड़की हु मैं हर रिश्तों से पराई - सी......
खुद से ही लड़ता हुआ अपनो को संभालता हुआ
एक लड़का हु मैं जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा हुआ.....

-Shikha

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मैं लिखूं गर तो मेरे अल्फाज समझ पाओगे क्या
मैं बिन कहे सब कुछ बयां कर दू
मेरी खामोशी पढ़ पाओगे क्या

-Shikha

#majdor

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

है आंखों में आशा चेहरे पर हंसी
जेब है खाली मगर उम्मीदें हैं बड़ी
सपने हैं थोड़े मगर पूरा करने का है जज्बा
कहते हैं जिन्हें मजदूर वर्ग जिसे देश को भी है जरूरत
दिन रात तड़पते रहते काहे लोग इन्हें बेबस कहते
ताने देते तकदीर को इनके
पर सच कहे सबूत देते अपनी सोच के
सब हो जाते धनवान और उद्योगपति यदि
सोचो जरा झलकती कैसे शान फिर इस देश की
बड़ी इमारतें बड़े दरवाजे देखकर करते शान खुद पर कैसे
सोचो अगर कोई ना होता मजदूर होते कहां से यह सब ऐसे
गरीबी में रहकर फिर भी जो भूले ना अपना उसूल
विश्वकर्मा की देन है ये शिल्पकार समूह
मिले निराशा भले हजारों बार डटे रहे जैसे हो तूफान
हार जब दुनिया इनसे जाती कर स्वयं अपराध इन्हें अपराधी बनाती
स्वयं को बचाने खातिर खूनी इल्जाम भी लगाते
देते खुद माल खराब दोष इनका लगाते
हर 5 साल बाद कोई ना कोई सरकार से इन्हें फिर खरीदने आती
मासूम समझकर आपस में ही बेचने आते
अपने उसूलों को कायम रखा नाम ना गवाया शिल्पकारों का
रहे भूखे अंधेरे में मगर उज्जवल रखा देश को
सदियों से होते रहे जुल्म इन पर छोड़ी ना पहचान अपनी फिर भी मगर
यातनाओ में इन्हें इतना मजबूत बना डाला
अंधकार ने उज्ज्वल बना डाला
हाथ कट गये आंसू ना बहाया
लाशें बिछ गई ना जाने कितनी मगर किसी को भी नजर ना आया अंधा है इतना यह कालेबाजारियों वर्ग का नजारा
इतना नीचे स्तर की कुछ भी समझ ना आया
दिन -प्रतिदिन हालात बद्दतर होते जा रहे
मजदूर वर्ग देश में ही देश के खातिर भटकते जा रहे
भूखा मर जाए कोई मजदूर लाश पर इनके रोने सरकार भी आ जाती
मगर उस भूख को मिटाने वास्ते कोई सरकार कोई मीडिया नही आती
अपनी हकीकत को जानकर उन्हे समझकर
खुद भूखे रहकर बच्चो को ऊंची शिक्षा उड़ान दी
ये हौसला भी सिर्फ इनमे आया
इनके बच्चे भी हुनर को पाते
क्योंकि इन्हें वो गिरकर खुद से ही सभालना सिखाते
हर मोड़ पर नहीं राह दिखाते हर बात से प्रोत्साहित कराते
करते कोशिश पूरी बनना ना पड़े इन्हे हमारे जैसा मजदूर
ये ना सोच लेना इन्हे पछतावा है अपने मजदूर होने का
इन्हे गर्व से मजदूर होके भी उच्च शिक्षा दिलाने का
मगर इनके राह में अड़चनें यहा भी आई
कालेबाजार में सौदा होने लगा शिक्षा का भी
धन,बल से हक मारा इनका भी
मजदूर हैं हम पर हमेशा मजबूर तो नही
शक्ति नहीं धन की मगर
आत्मशक्ति और ज्ञान कम तो नही
सोचो अगर छोड़ दे अपनी शिल्पकारी गर
कितना विकसित होगा ये देश, ये समाज, ये झलकती शान
जिस दिन जिद पे आ जाए सब कुछ तबाह जो जायेगा मारेगे हम भी भूख में मगर चैन तुम्हे भी न आयेगा
मगर उसूलों को बेचना हमे नहीं आता
होगा सम्मान हमारा भी
जब आएगा वो एक दिन शिल्पकार समुदाय का भी

✨💫
__Shikha Vishwakarma
A blessed and proud daughter of Mr. S.K.V And Mrs.S.V

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