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seema singh

seema singh

@seemasingh2251
(21)

झोंका हवा का
तोड़ देता
स्थिरता पत्तियों की
वे हवा के साथ
हवा की दिशा में
बह निकलती ,
स्मृतियाँ
किसी नदी की तरह
बहा ले जाती
उसी दिशा में
जहां की मिट्टी में
समाहित थी याद
छूटे हुए क्षणों की ..
—————-
@सीमा सिंह

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मौसम बीते
और बीत रहा जीवन
थका हारा दिन
बीत ही जाता ,
गुलमोहर झर रहा
पतझड़ की आहट है
एक दिन चुपके से
बारिश आयेगी
और बीत जायेगा
पतझड़ भी ..
—————-
@सीमा सिंह

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वो संभालती रहती
हमारी सभी स्मृतियाँ ,
उसके बड़े से संदूक में
छिपी थी हमारी छोटी छोटी
बदमाशियां ,
उसने संभाल रखे थे आज भी
हमारे बचपन के सपने ,
सिर्फ माँ जानती थी
उन सपनों का सोंधापन ...
————
@सीमा सिंह

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तुम बारिश में बारिश की तरह मिलते
आद्र घने धवल मेघों के बीच
जैसे चटक जाये कोई बिजली
उस चटकते क्षण में मिलते मुझे ,
बरसते पानी के स्वाद में मिलते
मिट्टी की गंध में होती शामिल तुम्हारी गंध
तुम पानी मे पानी की तरह मिलते
किसी घुलनशील पदार्थ की तरह ........
@सीमा सिंह

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दुख की
कोई ठीक ठीक
भाषा नहीं होती
न ही कोई परिभाषा ,
दुख नापने का ,कोई
पैरामीटर भी नहीं होता
थोडा भी दुख
दुखता है, उतना ही
जितना की अधिक ...
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@सीमा सिंह

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उसके स्पर्श से
बिखर गई है देह गंध
ऋतुओं से बरस रहा
मीठा नेह
स्मृतियों की शेफाली
झरने लगी है
कितनी मीठी है न
उसकी स्मरण गंध ....
——————-
@सीमा सिंह

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चलो फिर से नींद उगायें
डाली डाली ख्वाब सजायें
सपनों की बस्ती में फिर से
उम्मीदों का बसंत मनाये ,
झर झर झर झर झरता है
सांसों का झरना बहता है
जीवन के इस अंचल में
रिश्तों की एक झील बनाये
उम्मीदों का बसंत मनायें "
@सीमा सिंह

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कि जैसे आ जाती हैं बारिशें
बिन बताये
वैसे ही आ गये तुम
बिन बताये ,
कि जैसे कोई पुराना ख़त
देता है दस्तक
कि मिल जायेंगे
फिर किसी मोड़ पर ,
कि जैसे सहरा में दिख जाये
कोई दरख्त
अपनी घनी छाँव तले
समेटे हमारी परछाँइयों को ,
कि जैसे सागर को मिल जाये
सीपी
मोती वाला
सफेद होने के सुख के साथ,
वैसे ही तुम आ मिले हो
एक सुकून जैसे
कि कहना सब कुछ नहीं होता
बस तुम्हारा होना
छाँव जैसा है
इस जिंदगी की धूप में ---
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@सीमा सिंह

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तन्हाई में दस्तक दे भाग जातीं हैं अक्सर
आवारा यादें हाथ नहीं आती हैं अक्सर
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@ सीमा सिंह

स्मृति शेष (पिता )

वे अपनी थोड़ी सी ही स्मृतियों के साथ
उपस्थित रहे जीवन भर
उनका जाना बचपन से ही याद रहा
याद रहा कि जो चले जाते हैं
वे लौट कर कभी नही आते
आप कितनी कविताई कर लो
कि लौटना एक सुखद क्रिया है
पर जा चुका व्यक्ति कभी वापस नहीं आता ....

@सीमा सिंह

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