Quotes by Sastri Mayur Shukal in Bitesapp read free

Sastri Mayur Shukal

Sastri Mayur Shukal

@sastrimayurshukal094111


*तुलसी – नामाष्टक*

*वृन्दां वृन्दावनीं विश्व*
*पावनी विश्वपूजिताम् |*
*पुष्पसारां नन्दिनी च*
*तुलसी कृष्णजीवनीम् ||*

*एतन्नामाष्टकं चैतत्*
*स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |*
*य: पठेत्तां च संपूज्य*
*सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||*

*भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं | यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है |*
*जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है |*

*( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड*

*अंबे*

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*સૌને પ્રેમ કરો,*
*સૌનો ખ્યાલ રાખો,*
*જીવન નો આનંદ લો.*
*એકબીજા સાથે*
*જોડાયેલા રહો.*
*આ જ સાચું જીવન છે.*
*'જમાવટ' તો જીંદગીમાં હોવી જોઈએ...*
*બાકી 'બનાવટ' તો આખી દુનિયા માં છે જ..
Good Morning
Jay dwarkadhish

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें मा आप सबके जिवन मे खुशी दे एशि मे दिल से दुवा कर्ता हू

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*_सदाचार की महिमा_*

_मनु महाराज_ कहते हैं―

*सर्वलक्षणहीनोऽपि यः स्यादाचारवान्नरः ।*
*श्रद्दधानोऽनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति ।।*
―मनु० ४.१५८
_जो सब लक्षणों से हीन भी हो अर्थात् जिसमें कोई कला-कौशल न हो, परन्तु उसके पास सदाचार हो, श्रद्धा हो, ईर्ष्या न हो―वह सौ वर्ष तक जीता है।_???

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जगत्प्रभुं देवदेवमनन्तं पुरुषोत्तमम्
स्तुवन्नामसहेस्त्रेण पुरुष: सततोत्थित: ।
अनादिनिधनं विष्णुं सर्वलोकमहेश्वरम्
लोकाध्यक्षं स्तुवन्नित्यं सर्वदु:खादिगोभवेत्।।
अर्थ-' मनुष्य प्रतिदिन उठकर सारे जगत् के स्वामी,देवताओं के देवता,अनन्त पुरुषोत्तमकी सहस्त्र नामों से स्तुति करे।सारे लोकके महेश्वर,लोकके अध्यक्ष(अर्थात शासन करने वाले),सर्वलोकमें व्यापक विष्णुकी,जो न कभी जन्में हैं,न जिनका कभी मरण होगा,नित्य स्तुति करता हुआ मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो जाता है।'
भगवान श्रीहरिकी कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो??श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी।
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
?? सुप्रभात ??

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*पिता धर्म: पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तप: l*
*पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्व देवता: ll*
*पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च l*
*तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते ll*

महाभारत शान्ति पर्व 266/21,22

भावार्थ-- *पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है l पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं l जिसकी सेवा और सद्गुणों से पिता माता संतुष्ट रहते हैं उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा स्नान का पुण्य मिलता है l*

हर हर महादेव

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*જો રોટલી માં 'ઘી' અને*
*બોલવા માં 'જી'*
*લાગી જાય ને સાહેબ*
*તો 'સ્વાદ' અને 'ઈજ્જત'*
*બેઈ વધી જશે .......!!!*

*મનુષ્ય નો સ્વભાવ છે કે... મળેલી વસ્તુ ની કદર તે બે વાર જ કરે છે...*
*એક મળતા પહેલા અને બીજી ગુમાવ્યા બાદ...*

શુભ સવાર
??

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अति रूपेण वै सीता चातिगर्वेण रावणः। अतिदानाद् बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत्॥

भावार्थ :

अधिक सुन्दरता के कारण ही सीता का हरण हुआ था, अति घमंडी हो जाने पर रावण मारा गया तथा अत्यन्त दानी होने से राजा बलि को छला गया । इसलिए अति सभी जगह वर्जित है ।

?सुप्रभात् ?

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*विदुर नीति - ८५*

*ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्याशङ्कितः।*
*परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुः खिताः।।*

*अर्थ: ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संकित रहने वाला और दूसरों के भाग्य पर जीवन-निर्वाह करने वाला – ये छः सदा दुखी रहते हैं।*

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