Quotes by Sandeep Shrivastava in Bitesapp read free

Sandeep Shrivastava

Sandeep Shrivastava Matrubharti Verified

@sandeepshrivastavaidbiintechmumbai5789
(28)

वो सूर्य की किरणों सी पावन थी
हम पुरवैया के जैसे चंचल थे
वो फुलवारी का आकर्षण थी
हम एक अवांछित डंठल थे
देखा भी हो उसने कभी
हमे ऐसा कोई आभाष नहीं
दसवीं तक रहा यह मानसिक संबंध
मिलन की फिर रही कोई आस नहीं

अधेड़ शरीर-युवा मन, मिलन हुआ FB पर
संवाद कोई अभी भी नहीं, पूर्ण हुआ जीवन पर

-Sandeep Shrivastava

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Kada, kitchen medicine, cow & self urine, hot water tea, yoga, HCQ, Zinc, Vit AtoZ, Sunlight, Rain, Ice, Halwa, Dry Fruit, Chyawanprash, Giloy, Hakim Lukman Ki Dawa, Holy Water, social media advise & medicine etc are accepted blindly to defeat corona except Vaccine. #coronavirus

-Sandeep Shrivastava

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साहस है
विश्वास है
संयम है
सामर्थ्य है।
युद्ध है
विजय है
उत्सव है।।

-Sandeep Shrivastava

पुनः स्थापित करना है, अपने आराध्य धाम को।
माथे पे तिलक लगा लो, नमन करो श्री राम को।।
बाबा विश्वनाथ ने हमें, पावन-काशी बुलाया है।
असंभव सेवा का अवसर, प्रदान हमें कराया है।।
भक्ति और श्रद्धा से बने, पुण्य धाम भक्त वत्सल का।
माता गंगा में भी हो अब, संगम अश्रु - स्वेदजल का।।
यज्ञमय: हो चारों दिशाएं, आकाश में गूंजे नांद यही।
साधना करें अनीश्वर: की,चेतन हों वीरभद्र सभी।।

-Sandeep Shrivastava

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नमन है इश्वर के बनाए हर उस कृति को जो घोर अंधकार और घनघोर बादलों के बाद भी आकाश में चमकते हुए प्रकट होते हैं।

-Sandeep Shrivastava

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आ पास बैठ ज़रा मेरे तु, अपनी एक कहानी बना लूं मैं|
मानो चूम लूं जैसे तुझे मैं, एक ग़ज़ल तेरी भी गुनगुना लूं मैं।।
अधूरी प्यास लेके चला आया था तेरे दर से उस रात मैं,
फिर मिल एक बार तु मुझे, तेरी सारी बेवफाई भुला दूं मैं।।

-Sandeep Shrivastava

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इतनी बड़ी आबादी मेरे शहर की,
सांपों का घर अब नहीं रही ज़मीनें|
एहतियातन हमने कमीजों से अपनी,
आज कटवा डाली हैं आस्तीनें||

-Sandeep Shrivastava

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हम चलेंगे साथ में लेकर भगवा हाथ में
मातृभूमि के विषय रहेंगे हमारी बात में

राम की पावन गाथा गाएंगे हम प्रभात में
अपराह्न सुनेंगे गीता हम सरल अनुवाद में

मंत्रो-तीरों की ध्वनि बजेंगी संध्या वाद्य में
हर हुतात्मा का स्मरण करेंगे हम रात में

देखेंगे स्वप्न हम यही मां भारती की गोद में
जागेंगे कल सभी अखंड भारत की प्रातः में

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ऐ मुकीम-ए-दिल तेरी उदासी की वजह क्या है
अगर वजह हूँ मैं तो तु बता मेरी सज़ा क्या है

बस मुस्कानें ही तो मांगी थी तेरे लिये फ़लक से
सर्द जाम-ए-अश्क मैं तेरे भला मुझे मज़ा क्या है

कैसे मनाऊं खुशिओं के तेरे आँगन में लाने को
ज़ुबां पर तो कभी ला मेरे लिए तेरी रज़ा क्या है

दिल दुखा के खुदका क्यों मुझे तड़फ़ाते हो
मेरा भी दिल है,यह सितमगर अदा क्या है।

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