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ज़मीं और आसमां के वादे बहुत हो चुके, चांद तारों की कहानी पुरानी हो चुकी। कसमें नहीं खाऊंगा कि तारे तोड लाऊंगा, कि वादे ताजमहल के बेमानी हो चुके। मेरी चाहत तू ज़रुर है,पाने की आरज़ू है, अफ़साने लैला औ मजनूं के बासी पड चुके। -Rohit Kumar Singh
खुश्क फि़जा है बेरंग आसमां है जिंदगी अब मेरी ऐसी ही वीरां है। ना कोई अब सपना है ना कहने को अपना है राह मे बिखर गये कांटे खुद ही अब चुनना है। -Rohit Kumar Singh
मै आपसे परिचय का मोहताज हूं आपके लिए सिर्फ एक आवाज हूूं आने वाले कल की जानपहचान का छोटा सा उगता हुआ एक आगाज़ हूं इस शहर मे ,मै गुमनाम सही आपके लिये ,अनजान सही चेहरा पहचानोगे किसी दिन कुछ देर और सही,और सही आज मेरा मकां फुटपाथ है मेरे औजार मेरे ये दो हाथ है मेरा दिल एक जुनुं से है भरा और हौसला भी मेरे साथ है। पता है मुझे,यहाँ जिल्लते मिलेंगी भूख का एहसास ,ठोकरे मिलेंगी पर मेरा सपना और ये दीवानापन किसी हाल,ये कम ना कर सकेंगी। कल तुम भी गुमनाम थे,अनजान थे बेनाम थे,और डरे हुये एक इन्सान थे अब मै तेरे ही कदमो को आजमाऊंगा कुछ कर जाऊंगा,कुछ तो.कर जाऊंगा।
हवा ये कानों में कुछ कहती है, कि अभी इधर से वो गुज़री है। ढूंढ लूंगा मै,उसे किधर से भी, गंध उसकी मेरी सांसो रची है। -Rohit Kumar Singh
ऐ मृत्यु,मन से तेरा स्वागत है दिल करता तेरी आवाभगत है ये रोज़ रोज़ जी जी के मरना, छि:,कैसी ये जीने की चाहत है तेरे आने से पहले,तेरी ये सहेलियाँ टी बी,हृदयरोग, कैंसर सी बीमारियां ज़रुरत क्या है,तुझे संदेशा देने की दर्द से भरी दिखाने ये अठखेलियां आ ना,आ जा,चुपके नि:शब्द सी आ जा बेज़ार हूं,बेकरार हूं,तू बस आ ही जा तेरी राहों पे प्यार की पंखुडियां सजा दी है बिना मसले,बिना कुचले,बांहो मे आ जा ऐ मृत्यु,मन से तेरा स्वागत है दिल करता तेरीआवाभगत है।
आज मै अनजान सही,आपके लिये गुमनाम सही। पहचानोगे ज़रुर इक दिन,बस कुछ देर और सही।
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