Quotes by RJ Kirti Prakash All India Radio Mumbai in Bitesapp read free

RJ Kirti Prakash  All India Radio Mumbai

RJ Kirti Prakash All India Radio Mumbai

@rjkirtiprakashallindiaradiomumbai5129


हिन्दी कविता लेखन प्रतियोगिता
“शब्दों के अफ़साने” https://www.facebook.com/SheroShayriDilSe/ "> https://www.facebook.com/SheroShayriDilSe/ नवोदित लेखकों और कवियों के उत्साहवर्धन हेतु “हिन्दी कविता लेखन प्रतियोगिता 2020” आयोजित कर रहा है.
पुरस्कार
1. प्रथम प्रथम पुरस्कार – 500/-
2. द्वितीये पुरस्कार – 300/-
3. तृतीय पुरस्कार – 200/-
4. विशेष टॉप 5 को डिजिटल सर्टिफिकेट.
5. 2 सरप्राईज़ गिफ्ट (लकी ड्रा द्वारा चयन)
निर्णायक मंडल
· Mr. Pankaj S Dayal (Founder & Director – Avlokan Theatre Munch)
RJ Dileep Singh (Writer, Founder & Director- Radio Adda)
RJ Kirti (Script Writer & in direction)
नियम व शर्तें जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2930980393636836&id=590446341023598&ref=bookmarks.
Or
https://www.facebook.com/SheroShayriDilSe/ "> https://www.facebook.com/SheroShayriDilSe/

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#Kavyotsav2
एक छोटी सी चिंगारी
बन शोला दहक उठती है
तो कभी आँच बनकर
वही रोटियां भी सेकती
भाव मन के तुम भी
आँच सा सुलगा लो
सार्थक करो जीवन अपना
किसी की निर्वहन बन जाओ
व्यग्र, उग्र, शांति
उल्लास, राग, आस्था
प्रीत, द्वेष, संवेदना
सहायता, क्षमा या रोषना
सब ही मन के खेल रे
तुम चुन लो उपासना
करो इंसानियत की साधना
साधक बनो परिवार में
मुनि बनके मिलो व्यापार में
धर्म नहीं केवल देवालय में
न मस्जिद चर्च से केवल आलय में
राह में अबला नारी का डर
तेरे धर्म को पुकारती
मासूम के खाली आँखे जब
रोटी को तरस निहारती
तुम धर्म तब अपना याद करो
इंसान हो तो
कर्ज़ इंसा का वहाँ अदा करो
वृद्ध असहाय कंधों को
तुम बन लाठी कभी मिलो
ना करो अत्याचार कभी कि
हर प्राणी हम सी तुम सी रचना है
प्रकृति को यूँ सदा सहेजो
इंसान के हित हेतु ही संरचना है
मिलो सदा ऐसे ही कि
धर्म भी तुमपे नाज़ करे
हे मानव बन जाओ इंसां
काल करे सो आज करे.

@कीर्ति प्रकाश

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प्रिये साथियों, हमारे नवोदित लेखक और कविगण
"शब्दों के अफ़साने"अति प्रसन्नता के साथ आपको सूचित करता है कि हम जल्द ही कविता/ग़ज़ल की ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहे हैं.
इस प्रतियोगिता की विस्तृत जानकारी अर्थात तिथि, शुल्क, नियम और शर्तें तथा जूरी सदस्यों की जानकारी भी जल्द ही आपको उपलब्ध करा दी जाएगी.

इच्छुक प्रतिभागी कमेन्ट बॉक्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करें.

धन्यवाद..
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#Kavyotsav2

सखी साजन तेरे

हे सखी, हैं साजन तेरे
मेरे तो अरदास
तन मन में तेरे बसते हैं
मेरी पीर में उनका वास
पायल बिंदिया कंगन झुमके
सजे हैं तेरे रूप
मेरे नयनों से झरे हैं
बस बनके मोती रूप
तू उनके मन को भायी है
उनके जीवन को रस कर
मेरी कुटिया धूप छाँव है
सबकी पहुँच से दूर गाँव है
मुझको न तो आस कोई
ना मन में है बात कोई
मै सो जाती रोज़ सखी
अपनी यादों को बिस्तर कर
हे सखी तू प्रेम मूर्ति
बन उनके जीवन की पूर्ति
तू उनकी आलिंगन है
तू ही उनकी साजन भी
मेरा स्नेह तो गंगाजल है
बरबस निश्छल और कोमल है
उनके हृदय में रहे तू पल पल
मन मंदिर की आभा तू
तेरा मेरा कोई द्वेष नहीं है
मन मे कोई उद्देश्य नहीं है
उनका आज तू सुंदर कर दे
कल मे तू भर दे उल्लास
मैं तो हूँ बस "कीर्ति"
जो कल बन जाऊंगी इतिहास
हे सखी, हैं साजन तेरे
मेरे तो अरदास..

कीर्ति प्रकाश

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#Kavyotsav2

नया फलसफ़ा

ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो
वक़्त फिसलते रेत की मानिंद गुज़री जा रही
कुछ मुमकिन लम्हें समेटो कुछ को साथ करो
आंधियां बिखेर दे सब कुछ इससे पहले ही
रिश्तों की कुछ मिट्टी लो नए पौधे तैयार करो
कटु वाणी को अब करो विदा तुम
आओ
मिल मधुर वचन अमृत तैयार करो
आओ!
ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो.

कीर्ति प्रकाश

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 #Kavyotsav2

 मधुमास

तुम आ जाओ प्रिय
जीवन मधुमास हो
तुम आस
तुम विश्वास
तुम जीवन की उल्लास हो
तुम केतकी मन की
तुम ही अमलतास हो
तुम आ जाओ प्रिय
जीवन मधुमास हो
ये प्रेम अगन
ये मन की चुभन
तुम बिन जैसे
बहारें भी पतझड़
तुम बिन संगीत भी
जैसे उदास हो
तुम आ जाओ प्रिय
जीवन मधुमास हो
हवाएं जो चीरें हैं
अंतस्तल में लकीर
अंगडाईयां ये अब
हुए हैं व्याकुल
करूँ जतन पर
चुभे हैं शूल
लगे मेरे मन को
तितलियाँ करती परिहास हो
तुम आ जाओ प्रिय
जीवन मधुमस हो
बस
तुम आ जाओ प्रिय
जीवन मधुमास हो..

कीर्ति प्रकाश

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#Kavyotsav2
घाव फिर इक नया सा लगता है

जब भी चेहरा कोई मुझे तुझसा लगता है,
घाव फिर दिल पे कोई इक नया सा लगता है!

साँसे घुटती है मेरे सीने में बारहा फिर कहीं,
सामने फिर कोई सितमगर खड़ा सा लगता है!

सौगातें मिली है ख़लिश की मुझको इतनी,
साथ अब कितना भी मिले ज़रा सा लगता है!

बे-ख़याली में हो जाती है यूंही सहर अक्सर,
रात फिर भी जाने क्यूँ मुझे ठहरा सा लगता है!

तुझसे मिलने की अब कोई चाहत ना रही मुझको,
जीना मगर बिन तेरे क्या जीना सा लगता है!

जब भी चेहरा कोई मुझे तुझसा लगता है,
घाव फिर दिल पे कोई इक नया सा लगता है!!

कीर्ति प्रकाश

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