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तुझसे मिलना भी ना चाहे दिल , और तुझे याद करके तड़पना भी ना चाहे दिल। तुझे सर उठा कर देखना भी ना चाहे दिल , और तुझे हर जगह सर उठा के तलाशना भी चाहे दिल । तुझे देख कर सुकून भी नही चाहता है दिल , बस तेरी यादें ना सताए तुझे देखना चाहता है दिल। बदले हुए मौसम को फिर से बदलना चाहता है दिल, सावन लाना चाहता है दिल। तेरी आहटो को पहचानने से इंकार करना चाहता है दिल , तेरी आहटो को भूलना चाहता है दिल। तेरी आवाज को सुनना नही चाहता है दिल , तुझसे बेशुमार नफरत करना चाहता है दिल। तुझे कोई और देखे इसकी इजाज़त नहीं देना चाहता है दिल , तुझसे बिना इजाज़त लिए ,तुझसे नफरत करना चाहता है दिल , तुझसे नफरत करना चाहता है दिल । रितेश पांडे
जब मैंने अकेला चलना शुरू किया था , उस काली रात ने भी मेरा साथ दिया था । मुझे वो काटो भरा पथ ना दिखा कर , दूर खड़ा चांद कि रोशनी में चमकता हुआ सितारा दिखाया था। ये देख कर उस काटो भरे पथ ने भी मुझे गले से लगा लिया था । रितेश पांडे
मैने उस माटी के दिया से पूछ लिया , तो उसने कहा कि धरती माँ की पुत्री जनकनंदनी राम की प्रिय सीता आ रही हैं। मैने उस स्थिर बाती से पूछ लिया , तो उसने कहा की तीनों लोको के स्वामी मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम आ रहे हैं। मैने उस सरसो के तेल से पूछ लिया तो उसने कहा की राम के सेवक श्री हनुमान आ रहे हैं। मैने उस जलती हुई ज्वाला से पूछ लिया तो उसने कहा की शेषावतार रामानुज लक्ष्मण आ रहे हैं। रितेश पांडे
बार बार दिल तोड़ कर इतने सुकून से इसलिए रह पाती हो क्योंकि हमने कसम खाई है तुम्हें बेघर ना होने देंगे .... -RITESH PANDEY
आज फिर से वो पल याद आकार ,दर्द देकर चला गया , जिन आशुओं को रोक रखा था वो भी आज निकल गया, अब तो हम उन पलों को पहचानने से इंकार कर देते है , पर कमबख्त वो पल हि हमे पहचान लिया करते है .... -RITESH PANDEY
ऐ जिंदगी जिधर तू जाएगी उधर ही मैं चला जाउंगा , तेरे इशारों पे चलने का हूनर मैं जगाऊंगा , जो बीत गया उसे याद करके समय ना गवाऊंगा , बस तू एक बार साथ तो देकर देख , इस दुनिया को भी तेरे कदमों में झुकाऊंगा । -RITESH PANDEY
निकल पड़ा था तूफान बनकर , वो मंजर भी याद है मुझको वो दृश्य भी दर्शनीय था , जब लंका में हनुमान गए , अपने राम के काज के लिए , अपनी जान की फिक्र उस हनुमान को भी ना थी , और इस हनुमान को भी ना है , ये जान कर की सर पर हाथ तो राम का है । dedicated to Wing commander Abhinandan .... -RITESH PANDEY
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